Same Sex Marriage में शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य संबंधी इन चुनौतियों का करना पड़ता सामना, जानिए क्या कहते हैं आंकड़े 

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Apr 11, 2023, 04:33 PM IST

समलैंगिक रिश्ते में शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का करना पड़ता सामना

Same Sex Relationship पर समाज के अलग व्यवहार के चलते ऐसे जोड़े अपनी समस्याओं के बारे में किसी से बात ही नहीं कर पाते, जिसकी वजह से उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. 

डीएनए हिंदी: हाल ही में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में एक और हस्तक्षेप याचिका दाखिल की गई है. दरअसल जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind0 के बाद एक और मुस्लिम निकाय ने समलैंगिक विवाह को कानूनी (Same Sex Marriage) मान्यता देने की मुखालिफत की है. एलजीबीटीक्यू समुदाय (LGBTQ Community) अपनी अस्मिता की लड़ाई लड़ रहा है. ऐसे में समाज को अब भी यह समझा पाना बहुत मुश्किल है कि कोई लड़की एक दूसरी लड़की या कोई लड़का एक दूसरे लड़के के साथ भी प्रेम में हो सकता है.

यही कारण है कि एलजीबीटीक्यू समुदाय से जुड़े लोग भारी (Same Sex Relationship) मानसिक तनाव और यौन समस्याओं का सामना करते हैं. 

क्या कहते हैं आंकड़े

इनके साथ मारपीट और रेप के आंकडों की बात करें, तो लेसबियन और बायसेक्सुअल महिलाओं का पर्सनटेंज इसमें ज्यादा है. इसके अलावा राष्ट्रीय गठबंधन की रिपोर्ट की मानें, तो हेटेरोसेक्सयुअल महिलाएं 35 प्रतिशत, लेसबियन महिलाएं 43.8 प्रतिशत व बायसेक्सुअल महिलाएं 61.1 प्रतिशत बलात्कार व शारीरिक हिंसा का शिकार होती हैं. 

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समलैंगिक रिश्ते में स्वास्थ समस्याओं का करना पड़ता है सामना

ये लोग अपने प्रेम, पसंद और अस्मिता के कारण वे समाज से अलग-थलग पड़ जाते हैं, जबकि जरूरत है इस मुद्दे पर खुलकर बात करने की ताकि हर व्यक्ति अपनी पसंद के साथ एक स्वस्थ जीवन जी सके. कई शोधों से पता चलता है कि समलैंगिक महिलाओं को (lesbians) समाज ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य से संबंधित कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, ऐसे में इन समस्याओं से सावधान रहना बेहद जरूरी है, तो चलिए जानते हैं इसके बारे में. (Common Lesbian Issues)

सोशल टैबू और मानसिक तनाव

समलैंगिक लोगों को डिप्रेशन और एंज़ाइटी का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. क्योंकि समाज में उनके प्रति लोगों का नज़रिया बदलने लगता है, उनके लिए अपनों के व्यवहार बदल जाता है और भेदभाव होता है.

डर और यौन संक्रमण

इसके अलावा इनके साथ मिसबिहेव और वायलेंस जैसे समस्याएं भी पैदा हो जाती है, जो उन्हें अंदर से उन्हें कमज़ोर बना देती हैं. ऐसे में ये लोग खुद को अकेला और दूसरों से कम आंकने लगते हैं. इसके अलावा इन लोगों में एचआईवी का खतरा रहता है. 

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एचआईवी/ एड्स और वैक्सीनेशन

समलैंगिक लोग अकसर अपने लिए परफेक्ट पार्टनर के लिए काफी संघर्ष करते हैं. ऐसे में जो लोग उनसे थोड़ी भी विनम्रता से पेश आते हैं ये उनके प्रति आकर्षित होने लगते  हैं. ऐसे में भावनात्मक अंतरंगता के साथ अगर आप यौन व्यवहार में शामिल हो रहीं हैं, तो जरूरी है कि आप अपने पार्टनर का एचआईवी टेस्ट करवा लें. इसमें झिझकने या डरने की कोई बात नहीं है. 

सेक्स और ईमानदारी

वही अगर आप एसटीडी से बचना चाहते हैं, तो एक स्वस्थ रिश्ते में रहें. बहुत से लोगों के संपर्क में आने से बचें और किसी एक पार्टनर के प्रति पूरी तरह से रिलायबल रहें. ऐसा पार्टनर तलाशें जो इस तरह के किसी भी रोग से संक्रमित न हों. 

अनकन्वेंशनल सेक्स और सेफ्टी

ओरल सेक्स के दौरान लेटेक्स का प्रयोग करें और सेक्स टॉयज को इस्तेमाल करने से पहले उन्हें अच्छी तरह से क्लीन करें. साथ ही हर बार सेक्स के लिए नए कंडोम का उपयोग करें.

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