Abortion Rule : सुप्रीम कोर्ट ने दिया अविवाहित महिलाओं को भी अधिकार, आसान भाषा में समझिए नए बदलावों को

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Sep 29, 2022, 06:10 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि  विवाहित-अविवाहित महिलाओं में भेदभाव नहीं किया जा सकता. सभी सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की हकदार हैं. वंदना भारद्वाज की रिपोर्ट

डीएनए हिंदी : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court on Abortion Law) ने अविवाहित महिलाओं के गर्भपात पर बड़ा फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अविवाहित महिलाओं को 20 से 24 हफ्ते तक गर्भपात कराने का अधिकार दे दिया है. अब तक ये अधिकार सिर्फ विवाहित महिलाओं को ही था. फैसला देते समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि  विवाहित और अविवाहित महिलाओं में भेदभाव नहीं किया जा सकता. सभी महिलाएं सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की हकदार हैं, किसी महिला की वैवाहिक स्थिति को उसे अनचाहे गर्भ गिराने के अधिकार से वंचित करने का आधार नहीं बनाया जा सकता है.  कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी रूल्स (MTP Act) के नियम 3-B का विस्तार किया है. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सांखला के मुताबिक यह एक ऐतिहासिक और बहुत जरूरी फैसला है. 

Abortion Law : पहले क्या था कानून?
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सांखला ने जी मीडिया से बातचीत में कहा कि सेक्शन 3 बी में कहीं भी नहीं लिखा था कि यह विवाहित या अविवाहित महिलाओं के लिए होगा. परंतु 3 बी के सब सेक्शन सी में  मैरिटल स्टेटस शब्द का इस्तेमाल किया गया था. पूरे एक्ट में  कहीं भी सहमति से संबंध के बारे में कुछ नहीं लिखा था इसलिए माना जाता था कि यह सिर्फ शादीशुदा महिलाओं के लिए है. मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी रूल्स (MTP Act) 1971 में भी समस्या ये थी कि उसमें 'पति' शब्द का इस्तेमाल किया गया था, इसलिए ये माना जाता था कि यह सिर्फ शादीशुदा लोगों के लिए है. 2021 में हसबैंड की जगह पार्टनर डाल दिया गया, जिसकी वजह से MTP Act के सेक्शन 3 का  दायरा बढ़ गया.

पढ़े-लिखे भ्रूण हत्या में अव्वल, भारत में 22 फीसदी महिलाएं कराती हैं गर्भपात


Abortion Law : अब सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने इस बदलाव को ध्यान में रखते हुए कहा कि जमाना बदल गया है विवाहित के साथ अविवाहित महिलाओं (Unmarried Women Getting Abortion Rights) का भी अपने शरीर पर हक है और चुनने का अधिकार है. जरूरी नहीं है कि किसी नकारात्मक कारण की वजह से प्रेगनेंसी हुई हो या गर्भपात की जरूरत पड़ी हो, आपसी सहमति से बनाए गए संबध के बाद भी इसकी जरूरत पड़ सकती है. एक डर होता था लड़कियों में, वह डॉक्टर के पास नहीं जा पाती थी, और डॉक्टर में भी डर होता था कि अगर वो ऐसी लड़कियों का गर्भपात करते हैं तो उनपर एक्शन होगा. अब यह डर खत्म हो जाएगा.

Abortion: सभी महिलाएं 24 हफ्ते तक सुरक्षित, कानूनी गर्भपात की हकदार- सुप्रीम कोर्ट


फैसले के बाद गैरकानूनी गर्भपात (Illegal Abortion) पर लगेगी रोक
कपिल सांखला ने बताया कि इस ऐतिहासिक फैसले (Supreme Court on Abortion Law) से गैरकानूनी गर्भपात पर रोक लगेगी. लड़कियां बिना किसी डर के डॉक्टर के पास जा पाएंगी और उनके लिए क्या सही है इसका फैसला कर पाएंगी. 


डॉक्टर की राय में फैसले से क्या फायदा होगा?
गंगाराम अस्पताल की डॉक्टर माला श्रीवास्तव के मुताबिक यह फैसला बहुत अच्छा है क्योंकि लड़कियां अब गर्भपात के लिए सीधे डॉक्टर के पास आ पाएंगी. पहले ये होता था कि जो लडकियां गर्भ नहीं रखना चाहतीं थी वो डॉ़क्टर के पास नहीं जा पाती थी क्योंकि डॉक्टर के लिए यह काम गैरकानूनी होता था. इसके बाद उन लड़कियों के पास जो उपाय बचता था वो था खुद दवाई ले लेना जो उनके लिए हानिकारक साबित हो सकता था. अब वो डॉक्टर से सलाह के  बाद अगर गर्भ नहीं रखना चाहतीं तो गर्भपात करवा पाएंगी.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.