Women Safety Rights: महिलाओं के लिए सुरक्षा कवच का काम करते हैं ये सुरक्षा अधिकार, सभी महिलाओं को होना चाहिए पता

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 06, 2023, 03:22 PM IST

प्रतीकात्मक तस्वीर

Law For Women Safety: महिलाओं को अपने प्रति हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए कई अधिकार दिए गए हैं. सभी महिलाओं को इनके बारे में जानकारी होनी चाहिए.

डीएनए हिंदी: अक्सर महिलाओं के साथ अत्याचार और उत्पीड़न के मामले सामने आते रहते हैं. महिलाओं को समाज में कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. हाल ही में 31 दिसंबर की रात को दिल्ली के सुल्तानपारी इलाके से एक ऐसा ही मामला (Delhi Accident Case) सामना आया था. जहां एक लड़की को बहुत ही बुरी तरह गाड़ी से करीब 4 किलोमीटर तक घसीटा गया था. लड़की के साथ हुए इस अपराध में उसे बहुत ही गंभीर चोटें आई थी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई. यह कोई इकलौता मामला नहीं है जिसमें किसी महिला के साथ इतना बुरा व्यवहार किया हो. महिलाओं को समाज में अपने प्रति हो रहे अत्याचार और भद्दे व्यवहार को रोकने के लिए कई अधिकार (Rights For Women Safety) दिए गए हैं. सभी महिलाओं को इन अधिकारों के बारे में पता होना बहुत जरूरी है. तो चलिए महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए बनाए गए कानूनों (Law For Women) के बारे में बताते हैं. 

1. वर्कप्लेस पर उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार (Sexual Harassment Of Women At Workplace)
यह एक्ट 2013 में बनाया गया था. इस कानून के तहत वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए हर ऑफिस में शिकायत समिती बनाई जाती है. सभी महिलाएं यहां पर अपनी शिकायतें बता सकती है. 

2. घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार (Protection Of Women From Domestic Violence)
यह कानून महिलाओं की घरेलू हिंसा से सुरक्षा के लिए 2005 में मनाया गया था. महिला इस एक्ट के तहत परिवार और रिश्तेदारों के द्वारा परेशान करने की शिकायत दर्ज करा सकती है. 

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3. दहेज के लिए उत्पीड़न (Dowry Prohibition Act)
यह कानून 1961 में बनाया गया था इसमें आईपीसी की धारा, 498 (ए) के तहत यदि लड़की को शादी के दौरान या बाद में दहेज और पैसों के लिए परेशान किया जाता है तो उन्हें 3 साल तक की सजा हो सकती है. 

4. मैटरनिटी के दौरान अधिकार (Rights During Maternity)
2017 में बने मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट के तहत महिला को गर्भावस्था के दौरान 6 महीने तक की लीव लेने का अधिकार है. अगर कोई महिला 3 महीने से छोटे बच्चे को गोद लेती है तो भी वह 12 हफ्तों की मैटरनिटी लीव ले सकती है. महिला को पहले और दूसरे बच्चे पर 6 महीने और तीसरे बच्चे पर 12 हफ्तों की लीव मिल सकती है. 

5. गिरफ्तारी संबंधी अधिकार (Arrest Rights Of Women)
महिलाओं को अपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 46(4) के अनुसार शाम 6 बजे के बाद और सुबह 6 बजे से पहले गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं. महिला को अपनी गिरफ्तारी के बारे में परिवार व दोस्तों का बताने का अधिकार है. महिला को 24 घंटे से ज्यादा पुलिस हिरासत में नहीं रखा जा सकता है. 

6. जीरो एफआईआर का अधिकार (Zero FIR Rights)
महिला को जीरो एफआईआर का अधिकार होता है. जरूरी नहीं कि वह घटना के तुरंत बाद शिकायत दर्ज कराए. महिला घटना स्थल से अलग थाने में भी शिकायत दर्ज करा सकती है. 

7. वर्चुअल शिकायत करने का अधिकार (Virtual Complaint)
थाने में बिना जाए भी महिलाओं को शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है. वह ईमेल या थाने में लेटर की मदद से शिकायत कर सकती है. महिला का बयान लेने के लिए कांस्टेबल को घर भेजा जाता है. 

8. कोई अश्लील हरकत करता है तो उसे सजा दिलाने का अधिकार
यदि कोई सार्वजनिक स्थान पर महिलओं के सामने अश्लील हरकते करता है या उसे गंदी विडियो दिखाता है. ऐसे में महिला उसके खिलाफ शिकायत करने पर उसे 3 महीने की सजा हो सकती है. यह कानून आईपीसी की धारा 294 के तहत है.  

9. गलत काम कराने के खिलाफ अधिकार 
महिलाओं पर किसी भी बुरे काम के लिए दबाव नहीं बनाया जा सकता है. अगर महिला को जबरन वेश्यागृह पर रखा जाता है तो उस शख्स के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.  

10. कुछ नियमों के साथ अबॉर्शन का अधिकार (Right To Abortion)
संविधान के प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत महिला 20 हफ्ते के अंदर अबॉर्शन करा सकती है. यदि महिला का तलाक हो गया है या वह विधवा हो चुकी है तो वह 24 हफ्ते तक गर्भपात करना सकती है.

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