Beer Made From Human Urine: मानव पेशाब से बनती हैं ये बियर, पीने से पहले जान लें इनके नाम

मनीष कुमार | Updated:May 29, 2023, 02:14 PM IST

Beer Made From Human Urine: मानव पेशाब की मदद धड़ल्ले से बनाई जा रही हैं बीयर, लोगों को भी पीने में आ रहा है बड़ा स्वाद. आइए जानते हैं क्या है इस बियर को बनाने के पीछे की पूरी कहानी और प्रोसेस.

डीएनए हिंदी: गर्मियों के मौसम में अक्सर बियर पीने वालों की तदाद बढ़ जाती है. शराब के ठेके हो या बड़े लॉन्ज  बियर के शौकीन भर-भर के जाम छलकाते हैं और झाग वाली बियर का मजा लेते हैं.  बियर पीते समय क्या आपने कभी सोचा भी होगा कि बियर आखिर कैसे बन रही है? अधिकतर बियर बनाने वाली कंपनी गेहूं, जौं या अन्य मौटे अनाज, फल आदि को फरमेंट प्रक्रिया के माध्यम से बनाती हैं. हालांकि कुछ एक कंपनियां ऐसी भी हैं जो बीयर में मानव के पेशाब का प्रयोग करती हैं. आपको ये सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगेगा पर यह बात सच है. आइए समझते हैं कौन-सी कंपनियां हैं जो पेशाब का प्रयोग बियर के लिए कर रही हैं.

दरअसल साल 2017 में एक डेनिश कंपनी नोरेब्रो ब्रायघस ने अपने नवीनतम बियर उत्पाद का उत्पादन करने के लिए मानव मूत्र का उपयोग किया था. हालांकि जब ये बात सामने आई तो कई कंपनियों ने अपनी मार्केटिंग में इस बात का भरपूर फायदा उठाया और ये बताने की कोशिश की गई कि ये बीयर बहुत ही खराब है कोई कैसे मानव पेशाब का प्रयोग कर सकता है? नोरेब्रो ब्रायघस शराब कंपनी के प्रबंध निदेशक हेनरिक वांग ने उस समय बताया कि, "जब लोगों ने पहली बार सोचा कि हम मानव पेशाब को छान रहे हैं और इसे बीयर में एक घटक के रूप में जोड़ रहे हैं, तो इस बात ने हमें खूब हंसाया, वे आगे बताते हैं कि हमारा एकमात्र उद्देशय था कि जिस पेशाब को सीवर और गटर में बहा दिया जाता है उसको रिसाइकल करना. इसलिए हमने जौं के खेत के लिए खाद के रूप में 50,000 लीटर से ज्यादा पेशाब का उपयोग किया. इससे फर्टिलाइजर की जगह इसके प्रयोग से  फसल अच्छी हुई, इसलिए हमने इस प्रोडक्ट को पिनसर नाम दिया और बियर ब्रांड दिया, बाद में इसको पिल्सनर बियर कैटेगरी में पहचान मिली".

फसलों के लिए उर्वरक बेहतर हैं या मानव पेशाब?
साल 2012 में  रिच अर्थ इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला परीक्षणों में पाया कि आर्टिफिशियली नाइट्रोजन डाइऑक्साइड वाले उर्वरकों की अपेक्षा मानव मूत्र क प्रयोग से उगाई जाने वाली फसलों का उत्पादन दोगुना था. इसके अलावा केमिकल रसायनों की अपेक्षा मूत्र से होने वाली फसलों की हेल्थ भी अपेक्षाकृत अच्छी थी.

बड़े ब्रांड भी बना रहें हैं पिल्सनर बियर
आपको बता दें कि आज कई सारी शराब कंपनियां मानव पेशाब का प्रयोग कर रही हैं. रासायनिक उर्वकों की अपेक्षा मूत्र के प्रयोग से फसल दोगुना होती है. यही कारण है कि आज पिल्सनर(Pilsner)  नाम की कैटेगरी से कई सारी बीयर कंपनियां बीयर बेच रही है. इन बियर को पीने वालों की भी अलग ही तदाद है और उन्हें ये कॉन्सेप्ट बेहद पसंद आ रहा है. हालांकि हर देश में इस तरह की बीयर नहीं बिकती ये कुछ खास चुनिंदा जगहों पर ही उपलब्ध है. 

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