डीएनए हिंदीः अजवाइन के बीज एंटीसेप्टिक, एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-पैरासिटिक होते हैं और फाइबर, प्रोटीन, लोहा, सोडियम, पोटेशियम कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे आवश्यक खनिजों के साथ ही विटामिन ए और बी 9, ओमेगा 3 वसा और एंटीऑक्सीडेंट से भरे होते हैं. अगर आपको लगता है कि अजवाइन केवल पाचन के लिए होता है तो यह समय है कि हम इसके और कई औषधिय गुणों के बारे में भी बता दें.
अजवाइन खराब कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और निम्न रक्तचाप को कम करने में बेहद कारगर है और वजन के साथ ये यूरिक एसिड को भी कम करता है.
अजवाइन कैसे करता है कोलेस्ट्रॉल और बीपी कम
अजवाइन के बीज में थाइमोल होता है, जो एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला कैल्शियम चेन ब्लॉकर है जो कैल्शियम को हृदय की कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकता है, जिससे रक्त वाहिकाओं को आराम मिलता है और वे फैल पाती हैं. इसका परिणाम निम्न रक्तचाप में होता है और दिल के दौरे और स्ट्रोक का जोखिम भी कम होता है.
थाइमोल को कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने के लिए भी जाना जाता है. इसके अलावा, उच्च फाइबर शरीर में कोलेस्ट्रॉल के निर्माण को बेअसर करने के लिए अच्छे होते हैं. इसमें घुलनशील फाइबर होता है जो आंतों में जिलेटिनस बन जाता है, पाचन धीमा कर देता हैं. इतना ही नहीं ये ब्लड में शुगर को घोलने से भी रोकता है और वसा को भी फंसाता है, शरीर में उनके अवशोषण को रोकता है. इसलिए जब नियमित रूप से अजवाइन का सेवन किया जाता है, तो यह कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने में मदद मिलती है.
रिसर्च भी यही करती है दावा
जानवरों पर किए गए अध्ययन के अनुसार अजवाइन में भिगोए पानी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीहाइपरलिपिडेमिक गुण होते हैं. शोधकर्ता अजवाइन के बीजों पर अध्ययन कर रहे हैं. 2009 में खरगोशों पर हुए एक अध्ययन से पता चला कि कैरम बीज पाउडर कुल कोलेस्ट्रॉल, कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) या खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करता है. 2017 में निष्कर्ष निकला कि अजवाइन (वैज्ञानिक नाम T.ammi या Trachyspermum ammi) के बीजों में "अच्छी एंटीऑक्सीडेंट क्षमता होती है और ट्राइग्लिसराइड्स, टीसी, एलडीएल, वीएलडीएल, एएलटी, एएसटी, कुल बिलीरुबिन के स्तर को काफी कम कर देता है और एचडीएल के स्तर में वृद्धि करता है ( उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन)
मेटाबॉलिज्म को बूस्ट कर पाचन बढ़ाता है अजवाइन
इसके अलावा, अजवाइन मेटाबॉलिज्म और पाचन प्रक्रियाओं को बढ़ाता है, जिसका अर्थ है कि आप जो खाना खाते हैं वह तेजी से अवशोषित होता है. यह पेट की चर्बी को जमा होने से रोकता है और वजन प्रबंधन में मदद करता है. अजवाइन के पानी में थाइमोल और नियासिन रक्त परिसंचरण को आसान बनाते हैं, तंत्रिका आवेगों को नियंत्रित करते हैं और शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त रखते हैं.
इनके एंटीऑक्सीडेंट और ऐंठन-रोधी गुणों के कारण वे पेट दर्द और बेचैनी को नियंत्रित कर सकते हैं. यह वही एंटी-इंफ्लेमेटरी कार्य है जो महिलाओं को मासिक धर्म में ऐंठन से राहत प्रदान करता है. यह खांसी और जुकाम के लिए जरूरी है, क्योंकि इसमें उच्च एंटीट्यूसिव प्रभाव वाले कोडीन की तुलना में अधिक प्रभावी यौगिक होता है. यह ठंड के दौरान बलगम के स्त्राव को भी आसान बनाता है. थाइमोल एक मजबूत कवकनाशी और कीटाणुनाशक है, जो इसे संक्रमण से लड़ने में आदर्श बनाता है.
अजवाइन के बीज कैसे लें?
अजवाइन का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए - बस एक चम्मच या पांच ग्राम एक गिलास उबलते पानी में भिगो दें और इसे कुछ देर बाद इसे चाय की तरहा पीएं. गर्म पानी शरीर में थाइमोल के अवशोषण को तेज करता है. बेहतर अवशोषण के लिए इसे आदर्श रूप से सुबह जल्दी खाली पेट लेना चाहिए. नहीं तो अजवाइन के बीजों को खाना पकाने में इस्तेमाल किया जा सकता है और आटे में मिलाया जा सकता है. हालांकि, ज़्यादा यूज न करें क्योंकि इससे अतिरिक्त थाइमोल से कुछ लोगों में चक्कर आना, मतली और उल्टी जैसी एलर्जी की दिक्कत हो सकती है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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