Yoga For Uric Acid: यूरिक एसिड को कम करने के लिए ये 5 योगासन हैं रामबाण

Written By ऋतु सिंह | Updated: Jun 17, 2023, 09:02 AM IST

 पवनमुक्तासन के फायदे

अगर यूरिक एसिड ब्लड में हाई है तो आपके लिए कुछ योगासन जोड़ों के दर्द में दवा की तरह काम करेंगे. ये योग ज्वाइंट में जमा एसिड के क्रिस्टल को भी तोड़ देते हैं.

डीएनए हिंदीः यूरिक एसिड का ब्लड में ज्यादा होना आर्थराइटिस का कारण बता है. हाई प्य.रीन डाइट से शरीर में यूरिक एसिड बनता है और किडनी हाई प्यूरीन को जब सही तरीके से फिल्टर नहीं कर पाती तो ये शरीर में ब्लड के जरिये फैल जाता है और क्रिस्टल बनकर जोड़ों के बीच जमने लगता है, लेकिन खानपान और योग से यूरिक एसिड ही नहीं, क्रिस्टल को भी तोड़कर बाहर किया जा सकता है.

आज आपको कुछ ऐसे योगासन के बारे में बताएंगे जो यूरिक एसिड को कम करने और जोड़ों में जमा क्रिस्टल को तोड़ने में मदद करेंगे. 

इन 5 योगासन से कंट्रोल हो सकता है यूरिक एस‍िड
 

1. मण्डूकासन 

मण्डूकासन करने के लिए आपको घुटनों के बल बैठकर अपने सिर को आगे की तरफ ले जाना है और अपनी गर्दन और सिर को धीरे धीरे उठाएं और नजर सामने रखें, यह ध्यान रखें कि नाभि में खिंचाव महसूस हो.

इस मुद्रा में धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे छोड़ें, फिर वापस सीधे बैठ जाएं. इस क्रिया को भी 3 से 5 बार दोहराना है.

2. उष्ट्रासन भी बेहतर ऑप्शन

उष्ट्रासन करने के लिए सबसे पहले आप घुटनों के बल बैठ जाएं और अपनी जांघों और पैरों को चिपकाकर रखें. इसके बाद पंजे पीछे की ओर हो और फर्श में रखे हुए हो.

अपने हाथों को धीरे धीरे पीछे की तरफ ले जाएं और एक ऊंट की मुद्रा में आ जाएं. इस प्रक्रिया को भी 3 से 4 बार करें और ध्यान रहे कि आसन के समय नाभि पर जोर पड़े.

3.भुजंगासन 

जिन लोगों को यूरिक एस‍िड के बढ़ने की परेशानी हैं, उनके लिए भुजंगासन एक सरल और बेहतर ऑप्शन हैं. इसके करने के लिए आपको कोबरा की तरह लेट होता हैं.

आप पेट के बल लेटे और अपनी हथेली को कंधे की सीध में लाएं और धीरे धीरे ऊपर की ओर उठें, धीरे धीरे सांस लें और छोड़ें, ध्यान रहे कि इस अवस्था में खिंचाव शरीर के आगे के भाग से नाभी तक जाए.

इसके बाद धीरे से सांस छोड़ते हुए वापस उसी मुद्रा में आ जाएं. इस क्रिया शुरू में आप 3 से 4 बार दोहरा सकते है.

4. पवनमुक्तासन 

पवनमुक्तासन करने के लिए सबसे पहले अपनी पीठ के सहारे लेट जाएं और अपने पांवों को फैलाते हुए ऊपर की तरफ ले जाएं.

साथ ही अपने हाथों से घुटनों को घेरकर पकड़ लें और घुटनों से ठोड़ी को छूने की कोशिश करें और धीरे धीरे वापस पांव नीचे रख लें. इस अवस्था में ध्यान रहे कि जोर आपकी नाभी में पड़े और इसे 3 से 4 बार करना हैं.

5. त्रिकोणासन 

त्रिकोणासन करने के लिए आपको सीधे खड़े होना है और दोनों हाथों को सावधान की मुद्रा में ले जाएं. धीरे धीरे अपने पांव खोलें और दाहिने हाथ को सर के पीछे से बांए कान की तरफ ले जाएं. इसी प्रकार बांए हाथ को दाएं कान की तरफ ले जाएं, लेकिन ध्यान रहे कान छूना नहीं है.

हाथ को सीधा रखना है और कान की दिशा में धीरे-धीरे झुकना है. इसके करते समय आपके पांवों के बीच 2 से 3 फिट का फासला जरूरी है.

इसके साथ ही हाथ और पांव एकदम सीधे होने चाहिए. धीरे धीरे सांस छोड़ते हुए वापस अपनी अवस्था में आ जाएं और ऐसे ही इस प्रक्रिया को 3 से 4 बार करें.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)

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