Uric acid Control Tips: इस हरे पत्ते को चबाकर खाने से गल जाएगा यूरिक एसिड का क्रिस्टल तक, आर्थराइटिस की नेचुरल दवा है ये

ऋतु सिंह | Updated:Jun 27, 2023, 08:08 AM IST

Uric acid Control Tips

ब्लड में बढ़ा हुआ यूरिक एसिड जोड़ों में जाकर जमने लगता है और यहां ये छोटे-छोटे क्रिस्टल का रूप ले लेता है जो सबसे ज्यादा खतरनाक होता है.

डीएनए हिंदीः  यूरिक एसिड का बढ़ना यानी गठिया या किडनी की खराबी का खतरा भी हाई होना होता है. यूरिक एसिड खून में पाया जाने वाली वो गंदगी है जो हाइपरयुरिसीमिया कही जाती है. यूरिक एसिड लंबे समय तक शरीर के जोड़ों के बीच गैप के सॉफ्ट टिशू को हटा कर वहां जाकर जम जाता है और ठोस या क्रिस्टल का रूप ले लेता है.

यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए घरेलू उपाय मौजूद हैं, लेकिन लोगों को उनके बारे में जानकारी नहीं होती है. यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए पान के पत्ते बेहद लाभकारी होते हैं. National Institutes of Health के अनुसार पान के पत्ते प्राचीन काल से औषधि के रूप में प्रयोग होते रहे हैं. पान का पत्ता सेहत के लिए अच्छा होता है. इसमें कैंसर रोधी, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-एलर्जी, एंटीफंगल, मधुमेह रोधी, रोगाणुरोधी और कैंसर रोधी गुण हो सकते हैं.

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पान का पत्ता यूरिक एसिड को कैसे कम करता है? | How does betel leaf reduce uric acid?

एंटी-हाइपरयूरिसीमिया के रूप में पान के पत्ते का अर्क यूरिक एसिड के स्तर को कम कर सकता है और एमडीए के स्तर को कम करके और एसओडी को बढ़ाकर ऑक्सीडेटिव तनाव को कम कर सकता है.  एक शोध के अनुसार, कुछ चूहों को पान के पत्ते का अर्क दिया गया और यूरिक एसिड घट गया. पान के पत्तों में एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिकों का खजाना पाया जाता है, जो जोड़ों में होने वाली परेशानी और दर्द को काफी हद तक कम कर सकते हैं. जो कई पुरानी बीमारियों जैसे रुमेटीइड अर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस आदि के लक्षण हैं.

यूरिक एसिड में पान के पत्ते का सेवन कैसे करें? | How to consume betel leaf in uric acid?

यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए मरीजों को बस रोजाना पान के पत्ते चबाने की सलाह दी जाती है. इससे आपका यूरिक एसिड लेवल कम हो सकता है. इसके अलावा आयुर्वेद में इसे पान के पत्तों में पीसकर रात भर पानी में डाल दें. सुबह इसे खाली पेट पी लें. तुरंत आराम मिल जाएगा.

पान के पत्तों के और भी है जबरदस्त फायदे 

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मुंह के बैक्टिरिया मरेंगे

पान के पत्तों में कई एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं जो मुंह बैक्टीरिया से लड़ते हैं. भोजन के बाद थोड़ी मात्रा में पान के पत्तों का पेस्ट चबाने से न केवल पेट हेल्दी रहता है, बल्कि सांसों की दुर्गंध, मुंह की दुर्गंध से भी लड़ता है, साथ ही दांत दर्द, मसूड़ों में दर्द, सूजन और ओरल इंफेक्शन से भी राहत मिलती है.

सुधर जाएगा पाचन
पान का पत्ता पेट फूलने को रोकने वाले होते हैं जो आंत की रक्षा करने में मदद करते हैं. पान के पत्ते मेटाबॉलिज्म को बढ़ाते हैं जिससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और आंतों को विटामिन और पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद मिलती है.

डायबिटीज भी कंट्रोल
पान के पत्ते के पाउडर में टाइप 2 डायबिटीज रोगियों में ब्लड शुगर को कंट्रोल करने की क्षमता होती है. पान का पत्ता एक मजबूत एंटीऑक्सीडेंट है जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से निपटने और अनकंट्रोल ब्लड ग्लूकोज के कारण होने वाली सूजन को कम करने में मदद करता है.

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(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.) 

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