जेनरेशन Z यानी 1997-2012 के बीच और जेनरेशन अल्फा यानी 2010-2024 के बीच पैदा हुए लोगों का दिमाग 100 साल पहले पैदा हुए लोगों की तुलना में बड़ा होता है. ब्रिटिश वेबसाइट 'डेली मेल' के अनुसार एक तरफ तो यूथ का दिमाग बड़ा है लेकिन उनका आईक्यू लेवल पिछली पीढ़ियों की तुलना में कम हो गया है. आइए जानें क्या कहती है ये स्टडी.
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मस्तिष्क के आकार में वृद्धि
विश्वविद्यालय के 'यूसी डेविस हेल्थ रिसर्च' ने 1930-1970 के बीच पैदा हुए लोगों के मस्तिष्क के विभिन्न आकारों पर एक अध्ययन किया. जिसमें यह बात सामने आई कि साइलेंट जेनरेशन का मतलब 1928-1946 के बीच पैदा हुए लोगों से है. 1965-1980 के बीच जन्मे लोगों की तुलना में जेनरेशन X का दिमाग 6.6 प्रतिशत बढ़ गया है. अध्ययन में कहा गया है कि ऐसा कई सामाजिक, सांस्कृतिक और स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं के कारण हो सकता है. इसके अलावा, इन लोगों में उम्र से संबंधित मनोभ्रंश का जोखिम भी कम हो सकता है.
युवा पीढ़ी के आईक्यू स्कोर में गिरावट
अध्ययन में कहा गया है कि युवा पीढ़ी के आईक्यू स्कोर में उल्लेखनीय गिरावट आई है. जिसका कारण मोबाइल और इंटरनेट पर बढ़ती निर्भरता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि किसी व्यक्ति के मस्तिष्क के आकार का उसकी बुद्धि पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है. दोनों में थोड़ा अंतर है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूरो वैज्ञानिकों ने यह भी पाया है कि मस्तिष्क में अतिरिक्त वजन हमारी बुद्धि पर थोड़ा प्रभाव डालता है. यह आपके मस्तिष्क में अधिक यादें संग्रहीत करने में मदद कर सकता है.
मस्तिष्क का आकार कितना बढ़ गया?
अध्ययन से पता चला कि 1970 के दशक में पैदा हुए लोगों के मस्तिष्क का आकार 1930 के दशक में पैदा हुए लोगों की तुलना में 6.6 प्रतिशत बढ़ गया. 75 वर्षों में किए गए इस अध्ययन के अनुसार, आज की पीढ़ी के मस्तिष्क का आकार लगभग 1,400 मिलीलीटर है. वहीं, 1930 में पैदा हुए लोगों के मस्तिष्क का आकार 1,234 मिलीलीटर था. शोधकर्ताओं का कहना है कि वास्तविक कारणों का पता शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में हुए विकास से ही लगाया जा सकता है.
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मस्तिष्क के आकार में परिवर्तन
75 वर्षों तक चले अध्ययन में पाया गया कि 1970 के दशक में पैदा हुए लोगों के मस्तिष्क के आकार में 1930 के दशक में पैदा हुए लोगों की तुलना में 6.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. शोध के अनुसार, आज की पीढ़ी के मस्तिष्क का आकार लगभग 1,400 मिलीलीटर है. जबकि 1930 में पैदा हुए लोगों के मस्तिष्क का आकार 1,234ml था. शोधकर्ताओं का कहना है कि इतने सालों में ऐसा क्यों हुआ है, यह शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुए विकास से ही पता चल सकता है.
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(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.
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