गाने की धुन पर होगा AIIMS में ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों का इलाज, Music Therapy Modules हुआ तैयार

Written By ऋतु सिंह | Updated: Feb 12, 2024, 01:58 PM IST

AIIMS Brain Stroke Music Therapy

ब्रेन स्ट्रोक के उन मरीजों के लिए खुशी की खबर है जिनके बोलने की क्षमता खो चुकी है. ऐसे मरीजों का इलाज म्यूजिक के जरिए किया जाएगा.

दिल्ली एम्स में  बोलने की क्षमता खोए लोगों को इलाज के लिए नई थेरेपी शुरू की गई है. इसके लिए म्यूजिक थेरेपी मॉड्यूल तैयार किया गया है और इसे आईआईटी दिल्ली की मदद से तैयार किया गया है. इस मॉड्यूल की क्षमता चेक करने के लिए प्राइमरी स्टडी शुरू हो चुकी है.

इस म्यूजिक थेरेपी से ब्रेन स्ट्रोक के बाद बोलने की क्षमता का इलाज होगा. इसके लिए एम्स ने देसी म्यूजिक थेरपी का इस्तेमाल करेगी. इस मॉड्यूल में देसी गाने ही शामिल होंगे. मरीज अपनी पसंद के गाने के साथ अपना इलाज करा सकेगा. इससे उसके बोलने की क्षमता आएगी और रिकवरी तेज हो जाएगी.

एम्स की डॉक्टर दीप्ति बीवा ने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक के बाद मरीज सुनने और बोलने की क्षमता खो देते हैं. उन्हें ठीक करने के लिए म्यूजिक थेरेपी का इस्तेमाल किया जाएगा. उन्होंने यह भी बताया कि ब्रेन स्ट्रोक पीड़ितों को म्यूजिक थेरेपी के जरिए गुनगुनाना और बोलना सिखाया जाएगा. उन्होंने कहा कि भारत में पहली बार वाचाघात के रोगियों के लिए एक संगीत थेरेपी मॉड्यूल विकसित किया जा रहा है. आईआईटी दिल्ली एम्स में न्यूरोलॉजी विभाग का समर्थन कर रहा है.

लगभग 21 से 38 प्रतिशत मरीज ब्रेन स्ट्रोक के बाद ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित हैं. ब्रेन स्ट्रोक में  दिमाग का बायां हिस्सा काम करना बंद कर देता है. मस्तिष्क के बाएं भाग के कारण ही व्यक्ति बोलता है, चीज़ों को समझता है और अपनी भावनाओं को लोगों के सामने व्यक्त करता है. स्ट्रोक पीड़ित मरीज एक शब्द भी बोलने में असमर्थ होता है और इस समस्या को दूर करने के लिए एम्स का न्यूरोलॉजी विभाग मरीजों के लिए म्यूजिक थेरेपी पर काम कर रहा है. विदेशों में ऐसे मरीजों के लिए अक्सर म्यूजिक थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है.

कैसे होगी ये थेरेपी:

डॉक्टर ने बताया कि स्ट्रोक से पीड़ित मरीज के दिमाग का बायां हिस्सा बिल्कुल भी काम नहीं करता है. लेकिन दाहिना हिस्सा काम करता है. पूर्णतः स्वस्थ. जिससे मरीज संगीत को समझ सकता है. इसलिए संगीत सुनने से उसमे सुधार तेजी से हो सकता है. यहां तक ​​कि जो मरीज थोड़ा सा भी पानी नहीं पी पाता है लेकिन वे भी म्यूजिक थेरेपी से ठीक हो सकते हैं.

संगीत चिकित्सा के माध्यम से, रोगी के दाहिने हिस्से को सक्रिय किया जाता है ताकि उसे भाषण और संगीत को समझना सिखाया जा सके. इसमें सबसे पहले मरीज के सामने छोटे-छोटे संगीत वाद्ययंत्र बजाए जाते हैं, जिन्हें मरीज न सिर्फ समझ सकता है बल्कि गुनगुना भी सकता है. ये धुनें पहले से तय होती हैं. इसका मतलब यह है कि मरीज़ पहले टुकड़े बोलें और फिर पूरी पंक्ति बोलें. इसमें रघुपति राघव राजा राम या ऐ मेरे वतन के लोगन जैसी धुनें शामिल हैं, जिन्हें लगभग हर भारतीय जानता और सुन चुका है.

सफल होने की प्रक्रिया कितनी लंबी है?

फिलहाल आईआईटी दिल्ली और एम्स दिल्ली मिलकर मरीजों पर रिसर्च कर रहे हैं और इसके मॉड्यूल तैयार करने में जुटे हैं. इस परियोजना में एक संगीत विशेषज्ञ भी है. कुछ गाने और धुनें ढूंढ़ रहा हूं. पहले चरण में 60 मरीजों पर अध्ययन किया जा रहा है. पहले 30 मरीजों को म्यूजिक थेरेपी दी जा रही है. बाकी 30 मरीजों का इलाज चल रहा है. 3 महीने बाद इनमें बदलाव दिखेगा. इसके बाद इसकी सफलता तय की जाएगी.

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