डीएनए हिंदी: भारतीय समाज में लोग शादी से पहले कई तरह के रीति-रिवाज और परम्पराओं को मानते हैं. इनमें से कुंडली मिलना और 36 गुणों का मिलना सबसे ज्यादा जरूरी है. कई बार ऐसा भी देखा गया है कि कुंडली न मिलने पर अच्छा से अच्छा रिश्ता भी टूट जाता है. अब शादी से पहले कुंडली मिलाना ये तो लोगों की मानसिकता पर निर्भर करता है, लेकिन शादी से पहले दूल्हा दुल्हन के टेस्ट कराने से उनका आगे का जीवन संभल जाता है. इतना नहीं बच्चों में थैलीसीमिया जैसी बीमारी का खतरा टल जाता है. इसको लेकर पिछले कई सालों एमबीबीएस एमडी डाॅक्टर अनिल नौसरान एक मुहिम चला रहे हैं. उनकी मानें तो शादी से पहले मेडिकल कुंडली का मिलान करना ज्यादा जरूरी है. इसे भविष्य में आने वाली बीमारियों का खतरा टल जाता है.
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एमबीबीएस एमडी डॉक्टर नौसरान ने बताते हैं कि थैलेसीमिया एक जेनेटिक डिजीज है. यह बीमारी माता पिता से बच्चों में आती है. जब माता पिता दोनों ही थैलेसीमिया के कैरियर होते हैं तब बच्चे में भी थैलेसीमिया की बीमारी हो सकती है. हालांकि माता पिता में से किसी एक के थैलेसीमिया कैरियर होने पर बच्चा भी कैरियर होगा, लेकिन उसमें थैलेसीमिया खतरा कम हो जाता है. इसका पता मेडिकल टेस्ट कराने पर ही पता चलता है.
क्या होता है थैलेसीमिया
थैलेसीमिया डिजीज होने पर शरीर में खून ठीक से नहीं बन पाता है. इसकी वजह हीमोग्लोबिन बनने वाले कोड में डिफेक्ट होना है. थैलेसीमिया और कैरियर दोनों लगभग जुड़े हुए हैं. कैरियर वह होता है, जिसके जीन में थैलेसीमिया के संकेत या लक्षण पाए जाते हैं. इसे थैलेसीमिया माइनर भी कहा जाता है. हालांकि कैरियर वाले बच्चे इस पर काबू पा सकते हैं. उनमें एनीमिया माइल्ड होता है. वह बच्चे को स्वस्थ्य रखता है, उन्हें इसका पता भी टेस्ट कराने पर लगता है, लेकिन थैलेसीमिया से ग्रस्त बच्चों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए जीवित रखा जाता है. थैलेसीमिया से ग्रस्त मरीज में बहुत ज्यादा आयरन जमा हो जाता है. इसे दवा देकर बाहर निकाला जाता है. डाॅ नौसरीन हैं कि ऐसे व्यक्ति को खून बदलकर ही जिंदा रखा जा सकता है. इनकी उम्र भी 25 से 30 साल तक ही होती है. इसे ज्यादा उनके जीने की संभावना कम होती जाती है.
भारत में हैं इसके सबसे ज्यादा मरीज
भारत में थैलेसीमिया से ग्रस्त बच्चों की संख्या करोड़ों में है. डाॅक्टर नौसरीन बताते हैं कि उन्होंने इस बीमारी को रोका जा सकता है, जिसमें शादी होने पर युवक युवतियों को जन्म कुंडली मिलान की जगह पर मेडिकल टेस्ट जरूर कराएं. इसे थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी को रोका जा सकता है.
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कुंडली नहीं पार्टनर के करवाएं ये टेस्ट
फर्टिलिटी टेस्ट
कई कपल शादी के बाद माता पिता नहीं बन पाते है. इसलिए शादी से पहले फर्टिलिटी टेस्ट कराना बहुत जरूरी है. यह टेस्ट प्रजनन क्षमता को बताता है. अगर फर्टिलिटी टेस्ट शादी से पहले ही करा लिया जाए तो बाद में कोई दिक्कत नहीं होती. साथ ही समय से इसका इलाज करा सकते हैं.
एचआईवी स्क्रिनिंग
शादी से पहले कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनका पता लगाना बेहद जरूरी हो जाता है. यह संबंधों को भावनात्मक रूप से तनावपूर्ण होने से बचाता है. अगर आपके जीवनसाथी को कोई भी सेक्सुअल बीमारी रहेगी तो इसका पता एचआईवी टेस्ट से लगाया जा सकता है. इसलिए शादी से पहले इस टेस्ट को कराना बहुत जरूरी है.
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स्क्रीनिंग फॉर क्रॉनिक डिजीज
किडनी डिजीज, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कार्डियोंवॉस्कुलर डिजीज जैसी बीमारियों की जांच विवाह से पहले करवाना आवश्यक है. डायबिटीज स्क्रीनिंग इसलिए भी बहुत जरूरी है क्योंकि इसके कारण हाई स्किन प्रेग्नेंसी और इनफर्टिलिटी का खतरा बढ़ जाता है.
आरएच फैक्टर टेस्ट
आरएच फैक्टर एक एंटीजन होता है यह ब्लड सेजल की सतह पर पाया जाता है. 85 फीसदी उन लोगों में पाया जाता है, जो आरएच पॉजिटिव होते हैं. इसके अलावा जिन लोगों में यह नहीं होता. वे आरएच निगेटिव होते हैं. अगर मां और बच्चे का अलग अलग आरएच फैक्टर होगा तो दोनों को ही स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती है. इसलिए जरूरी है कि शादी से पहले यह चेकअप करा लें.
ब्लड टेस्ट
विवाह से पहले एक दूसरे का ब्लड ग्रुप क्या है इसका जरूर पता कर लेंण् जीवनसाथी का ब्लड ग्रुप पता होना चाहिए ताकि फ्यूचर प्लानिंग में कोई दिक्कत न आ जाए.
कौन-कौन से टेस्ट कराना है जरूरी
शादी के पहले इन बीमारियों का टेस्ट करवाना चाहिए. जैसे एनीमिया, शुगर या थायराइड टेस्ट, थैलेसीमिया जीन, इनफर्टिलिटी टेस्ट, सिकल सेल एनीमिया, हेपेटाइटिस, सिफलिस, आरएच फैक्टर टेस्ट, एड्स, जेनेटिक मेडिकल हिस्ट्री.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।)
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