डीएनए हिंदी: चिकनगुनिया एक ऐसी बीमारी है, जिससे पूरी दुनिया परेशान है. मच्छरों से होने वाली इस खतरनाक बीमारी से भारत समेत दुनियाभर (Chikungunya Vaccine) के कई देशों में मौत की खबरें आती रही हैं. ऐसे में चिकनगुनिया वैक्सीन को लेकर गुड न्यूज आ रही है. दरअसल, चिकनगुनिया के खिलाफ पहली वैक्सीन के तीसरे फेज के नतीजे काफी प्रभावी रहे हैं और इसके तीसरे चरण का ह्यूमन ट्रायल सफल हो गया है. ट्रायल में इस वैक्सीन को पूरी तरह (Chikungunya Virus) से सुरक्षित बताया गया है. जब इसका पहला शॉट इंसानों को लगाया गया तो इसके बेहतर परिणाम देखने को मिले. आइए जानते हैं क्या है ये (Chikungunya Symptoms) बीमारी और कितना कारगर है ये वैक्सीन..
क्या है चिकनगुनिया?
दरअसल, चिकनगुनिया एक मच्छर जनित बीमारी है और यह संक्रमित मच्छर के काटे जाने से होती है. ऐसे में इन मच्छरों के काटने के लगभग चार से आठ दिनों के बाद बुखार आने लगता है. ऐसे में सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होने लगता है और जोड़ों का दर्द अक्सर रोगी को कमजोर करने वाला होता है. आमतौर पर यह और कुछ दिनों तक ही रहता है. लेकिन कई मामलों में यह हफ्तों, महीनों या वर्षों तक भी बना रह सकता है.
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इतना ही नहीं इस बीमारी के गंभीर होने की स्थिति में व्यक्ति की मौत भी हो जाती है, जिसमें वृद्ध लोगों और नवजात शिशुओं को सबसे अधिक खतरा होता है.
नहीं था अभी तक चिकनगुनिया का वैक्सीन
फ्रेंच बायोटेक कंपनी वेलनेवानइस वैक्सीन को बना रही है, बता दें कि यह वैक्सीन सिंगल डोज में होगी और कंपनी के फेज 3 के ट्रायल डेटा को मेडिकल जर्नल लैंसेट ने पब्लिश किया है. अभी तक CHIKV संक्रमण के कारण होने वाली बीमारी को रोकने के लिए कोई स्वीकृत टीके नहीं हैं. इसके अलावा इसके लिए प्रभावी एंटीवायरल इलाज भी नहीं है.
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एंटीबॉडी लेवल पर दिखा है असर
ऐसे में वैक्सीन के ट्रायल की सफलता का भारत जैसे देशों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा. ट्रायल रिजल्ट के मुताबिक, एक सिंगल डोज के बाद, वैक्सीन ने चिकनगुनिया से बचाव के लिए 99% (263/266) प्रतिभागियों में न्यूट्रीलाइंजिंग एंटीबॉडी को प्रोड्यूस किया और बताया कि रहा है कि रिजल्ट में वैक्सीनेशन के बाद एंटीबॉडी के लेवल की अच्छी निरंतरता दिखाई दी.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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