डीएनए हिंदी: नवजात और छोटे बच्चों की देखभाल के लिए माता-पिता बहुत ही ज्यादा सतर्क रहते हैं. वह बहुत अच्छे से बच्चों की देखभाल (Baby Care) करते हैं और उन्हें किसी भी चीज की कमी नहीं होने देते हैं. हालांकि दुनिया में एक जगह ऐसी भी है जहां पर बच्चों से ज्यादा लाड प्यार माता पिता को भारी (Baby Care Strict Rules) पड़ सकता है. यहां पर बच्चों को अपने हाथों से खाना खिलाने अपने साथ सुलाने के लिए कड़े नियम (Baby Care Strict Rules) हैं. नियमों का पालन न करने पर बच्चों को छीन लिया जाता है. ये नियम नार्वे में हैं. एक बार यह नियम भारतीय दंपत्ति पर भी भारी पड़ गए थें. आज से करीब 10 साल पहले एक भारतीय दंपत्ति के साथ हुए मामले के बाद यह पूरी दुनिया में सूर्खियों में आया था. चलिए इस मामले की पूरी कहानी के बारे में जानते हैं.
भारतीय दंपत्ति के साथ हुआ था ऐसा
नार्वे में साल 2011 में अनुरुप भट्टाचार्य और उनकी पत्नि सगारिका के दोनों बच्चों को नार्वे सरकार अधिकारी ने उठा लिया था. दरअसल, यह भारतीय दंपत्ति वहां पर अपनी खुशहाल जिंदगी व्यतीत कर रहे थे. वह बच्चों से खूब लाड प्यार करते थे लेकिन एक दिन अचानक ही नार्वे सरकार अधिकारियों ने दंपत्ति पर बच्चों को हाथ से खाना खिलाने का आरोप लगाकर उनके दोनों बच्चों को उठा लिया था. उनके बच्चों में एक तीन साल का बेटा था और एक एक साल की बेटी थी. नार्वे में बच्चों को हाथ से खाना खिलाना जबरदस्ती खाना खिलाना माना जाता हैं. इसे अपराध माना जाता है. ऐसे में सरकार बच्चों को अपनी कस्टडी में ले लेती है.
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सरकार ने बच्चों की कस्टडी लेकर उनके चाचा को दी थी और उन्हें भारत भेज दिया था. यह मामला भारत और नार्वे सरकार के स्तर तक भी पहुंच गया था. मां सागरिका ने अपने बच्चों की कस्टडी के लिए बहुत संघर्ष किया था. बच्चों की कस्टडी के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी. भारत में इस कहानी को फिल्मी पर्दे पर उतारने की तैयारी चल रही है. रानी मुखर्जी इस फिल्म में बच्चों की मां का किरदार निभाने वाली है.
नार्वे के कड़े नियम
नार्वे में बच्चों के विकास के लिए बाल कल्याण सेवा चलाई जाती है. यह बहुत ही पावरफुल सर्विस है. यह सवैंधानिक संस्था है जो बच्चों के देखभाल और उचित स्वास्थ्य व्यवस्था को देखती है. बच्चों की सही देखभाल न हो रही हो तो वह इन बच्चों को अपनी कस्टडी में लेते हैं और 18 साल की उम्र के बाद ही इन बच्चों को छोड़ते हैं.
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