डेंगू मच्छर का चरित्र अजीब है. वे लड़कों की अपेक्षा लड़कियों को अधिक काटते हैं. उन्हें यही पसंद है. ऐसा एक भारतीय अध्ययन कहता है. जिसे सुनकर मन में कई सवाल उठते हैं. ऐसा क्यों होता है? चलिए जानें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिपोर्ट क्या बता रही है.
सामान्य तौर पर मच्छरों में नर और मादा के खून में अंतर करने की क्षमता नहीं होती है. उसे यह भी नहीं पता कि वह लड़के को काट रहा है या लड़की को. फिर भी लड़कों को डेंगू मच्छरों द्वारा काटे जाने की संभावना अधिक होती है. तो क्या मच्छर में ऐसी कोई विशेष क्षमता होती है जिससे वह नर और मादा को पहचान सके?
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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लड़कियों की तुलना में लड़कों को डेंगू मच्छर द्वारा काटे जाने की अधिक संभावना है. अध्ययन से पता चला कि 8-12 वर्ष की आयु के बच्चे डेंगू से अधिक प्रभावित होते हैं. इसके अलावा डेंगू से लड़के अधिक प्रभावित होते हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून के दौरान डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप अधिक होता है. डेंगू का लार्वा घरों के पास खड़े पानी में पनपता है. परिणामस्वरूप डेंगू तेजी से फैलता है. आसपास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखकर इस बीमारी से बचा जा सकता है. लेकिन भारत में लड़कियों की तुलना में लड़के अधिक बाहर रहते हैं. पार्क से लेकर स्कूल के मैदान तक, खेतों से लेकर सड़कों तक, लड़के ही ज्यादा घूमते हैं.
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परिणामस्वरूप वे डेंगू मच्छरों के अधिक शिकार होते हैं. अगला है कपड़े. गांव से लेकर शहर तक लड़के लड़कियों की तुलना में अपने शरीर को ज्यादा दिखाने वाले कपड़े पहनते हैं. इससे मच्छरों द्वारा काटे जाने की संभावना बढ़ जाती है.
इन कारणों से लड़कियों को लड़कों की तुलना में कम डेंगू होता है. नतीजतन, इससे बचने के लिए उन्हें ढके हुए कपड़े पहनने पड़े, ताकि उनके हाथ और पैर का ज्यादातर हिस्सा ढका रहे. घर के बाहर पानी जमा नहीं होने देना चाहिए. सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए. बच्चों में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.
(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)
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