Urine Color: इन 3 रंग का पेशाब देता है किडनी की गंभीर खराबी का संकेत, डायबिटीज-हाई ब्लड प्रेशर वालों को खतरा ज्यादा

ऋतु सिंह | Updated:Dec 31, 2023, 11:12 AM IST

kidney failure Symptoms

अगर आपके पेशाब का रंग बदल गया है खास कर 3 रंग में से किसी भी रंग से मेल खा रहा तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करें.

डीएनए हिंदीः किडनी हमारे शरीर में तरल पदार्थ से अनावश्यक पदार्थों और अतिरिक्त पानी को छानते हैं. फिर यह यूरिन के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है. भारत में 10 में से 9 बड़ी मौतों का कारण किडनी की बीमारी है.
 
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की रिपोर्ट 'इंडिया: हेल्थ ऑफ द नेशन स्टेट (2017)' के अनुसार, किडनी की बीमारी भारत में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है. अनियंत्रित डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और उम्र बढ़ना इस बीमारी के बढ़ने के प्रमुख कारण हैं.
 
मेडिकल जर्नल नेचर के एक विश्लेषण के अनुसार, दुनिया में किडनी रोग के लगभग 69.7 मिलियन मामले हैं, जिनमें से 1.15 मिलियन मामले अकेले भारत में हैं. डायबिटीज किडनी की विफलता का एक प्रमुख कारण है.
 
यूरिन का निर्माण किडनी में होता है. यूरिन शरीर से हानिकारक चयापचय पदार्थों को बाहर निकालता है. किडनी शरीर में तरल पदार्थ से अतिरिक्त अपशिष्ट को बाहर निकालने का काम करते हैं.  सरल शब्दों में कहें तो किडनी हमारे शरीर का फिल्टर सिस्टम है. किडनी रक्त से अपशिष्ट पदार्थ निकालते हैं, जो यूरिन के माध्यम से बाहर निकल जाता है.
 
प्रोटीनुरिया क्या है और आप किडनी की क्षति को कैसे समझते हैं?
प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति का शरीर यूरिन के माध्यम से कुछ मात्रा में प्रोटीन उत्सर्जित करता है. लेकिन जब ये प्रोटीन शरीर से बड़ी मात्रा में उत्सर्जित होता है, तो यह शरीर के लिए खतरनाक हो जाता है. और इस रिसाव को प्रोटीनुरिया कहा जाता है. 
 
प्रोटीनूरिया का सबसे आम कारण डायबिटीज है. यदि किसी व्यक्ति को अनियंत्रित डायबिटीज है, तो यूरिन में बड़ी मात्रा में प्रोटीन उत्सर्जित होता है. इस प्रकार, अनियंत्रित डायबिटीज का पहला लक्षण प्रोटीनुरिया है.
 
प्रोटीनुरिया के अन्य कारण हाई ब्लड प्रेशर और किडनी से संबंधित अन्य बीमारियां हैं.
अगर पेशाब में झाग आ रहा है, तो यह प्रोटीनमेह का संकेत है.  प्रोटीनुरिया के बाद के चरणों में, रोगियों के हाथ और पैर सूज जाते हैं. थकान, पेट दर्द या पेट में संक्रमण हो सकता है.
  
यूरिन का रंग और किडनी की बीमारी
यूरिन में पानी, यूरिया और लवण होते हैं. शरीर में अमीनो एसिड की अधिकता होने पर लीवर में यूरिया का उत्पादन होता है. मेडिकल जर्नल हार्वर्ड हेल्थ के अनुसार, यूरिन में अतिरिक्त पानी और अपशिष्ट होता है. हमारे शरीर में तरल पदार्थ किडनी द्वारा साफ किए जाते हैं और रक्त में अवशोषित होते हैं. इसका रंग आमतौर पर हल्का पीला से गहरा भूरा होता है. इस रंग पर बहुत सी बातें निर्भर करती हैं.
 
अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि उसका पेशाब लाल, भूरा या किसी अन्य गहरे रंग का है तो उसे सावधान हो जाना चाहिए. इसके अलावा अगर पेशाब की मात्रा सामान्य से बहुत कम या सामान्य से अधिक हो या व्यक्ति को बार-बार पेशाब करना पड़ता हो या फिर व्यक्ति को पेशाब करने में बहुत कठिनाई होती हो और वह उस पर बिल्कुल भी नियंत्रण नहीं कर पाता हो तो किडनी की समस्या होने की संभावना होती है.
 
किडनी का सटीक कार्य क्या है?
किडनी शरीर का एक आवश्यक अंग है और इसके कई कार्य हैं. जैसे, वे आपके शरीर में कैल्शियम, सोडियम और पोटेशियम जैसे खनिजों और इलेक्ट्रोलाइट्स का एक स्वस्थ संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं. ये लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. आपके रक्त के नाजुक एसिड-बेस (पीएच) संतुलन को बनाए रखता है. हमारे शरीर से तरल रूप में अपशिष्ट पदार्थ को बाहर निकालता है. किडनी शरीर से अतिरिक्त पानी, नमक और यूरिया को बाहर निकाल देते हैं.
 
हमारे शरीर में रक्त उच्च दबाव पर शुद्ध होता है. यह रक्त किडनी में प्रवेश करता है और किडनी से ग्लूकोज, लाभकारी लवण और पानी जैसे उपयोगी पदार्थों को पुनः अवशोषित कर लेता है. रक्त शुद्ध होने के बाद, यह शिराओं के माध्यम से संचार प्रणाली में वापस आ जाता है.किडनी शरीर में पानी का संतुलन बनाए रखने में मदद करती है.

किडनी की गंभीर बीमारियाँ क्या हैं?
किडनी की बीमारी का सबसे आम कारण हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज हैं.प्रत्येक किडनी में लगभग 1 मिलियन छोटी फ़िल्टरिंग इकाइयाँ होती हैं जिन्हें नेफ्रॉन कहा जाता है. कोई भी कारक जो नेफ्रॉन को घायल या प्रभावित करता है, किडनी की बीमारी का कारण बन सकता है. मधुमेह और उच्च रक्तचाप दोनों ही किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
 
उच्च रक्तचाप किडनी, हृदय और मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं को भी नुकसान पहुंचा सकता है. किडनी अत्यधिक संवहनी होती है. इसका मतलब है कि इसमें कई रक्त वाहिकाएं होती हैं. इसलिए रक्त वाहिकाओं के रोग आमतौर पर हमारी किडनी के लिए भी खतरनाक होते हैं. क्रोनिक किडनी रोग (जिसे क्रोनिक किडनी फेल्योर भी कहा जाता है) का मतलब है कि किडनी काम करना बंद कर देती है. क्रोनिक किडनी रोग के लक्षण समय के साथ विकसित होते हैं और धीरे-धीरे किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं.
 
इन लक्षणों में मतली, उल्टी, भूख न लगना, थकान और कमजोरी, नींद की समस्या, यूरिन परिवर्तन, अवसाद, मांसपेशियों में दर्द और हाथों की सूजन शामिल हैं. क्रोनिक किडनी रोग समय के साथ बढ़ता जाता है और किडनी काम करना बंद कर देती है.

(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)

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