डीएनए हिंदीः डेंगू का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. इस बीमारी से सचेत रहना जरूरी है. लेकिन दिक्कत ये है कि इस मौसम में डेंगू के साथ-साथ मलेरिया का प्रकोप भी बढ़ रहा है. वहीं आम लोग इन दोनों बीमारियों के एक जैसे लक्षणों से भ्रमित हो रहे हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वे डेंगू की चपेट में हैं या मलेरिया की. इसलिए, इन दोनों मच्छर जनित बीमारियों के बीच लक्षणात्मक अंतर को चलिए जान लें.
डेंगू के मरीज के शरीर में निम्नलिखित लक्षण मौजूद हो सकते हैं -
1. तेज़ बुखार और बार-बार बुखार आना
2. सिरदर्द हो सकता है
3. आंखों के पीछे दर्द संभव है
4. कमर में दर्द हो सकता है
5. उल्टी, मतली या पेट खराब होने के जोखिम से इंकार नहीं किया जा सकता है.
इसलिए अगर आपको ये संकेत दिखें तो सावधान हो जाएं.
मलेरिया के लक्षण क्या हैं?
मलेरिया मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है. इस स्थिति में, रोगी में ये लक्षण हो सकते हैं:
1. बुखार आमतौर पर दिन में एक बार ठंड लगने के साथ होता है
2. शाम या रात में शरीर का तापमान बढ़ जाता है
3. पूरे शरीर की मालिश की जा सकती है
4. स्वाद ख़त्म हो गया
5. खाने की इच्छा नहीं होती.
अगर आपको ये लक्षण दिखें तो जल्द से जल्द डॉक्टर से सलाह लें.
मलेरिया और डेंगू के लक्षणों में क्या अंतर है?
डेंगू में दिन भर में कई बार कंपकंपी के साथ बुखार आ सकता है. वहीं, मलेरिया होने पर आमतौर पर दिन में एक बार बुखार आने का खतरा रहता है. ऐसे में शरीर का तापमान मुख्य रूप से रात में बढ़ता है. यह मलेरिया और डेंगू बुखार के बीच मुख्य लक्षण अंतर है. इसके अलावा, किसी भी अन्य तरीके से इन दोनों बीमारियों के बीच चिकित्सकीय रूप से अंतर करना संभव नहीं है.
परीक्षण आवश्यक है
वायरस और बैक्टीरिया इन दिनों हर मिनट म्यूटेशन कर रहे हैं. परिणामस्वरूप, उनका करेक्टर तेजी से बदल रहा है. इसलिए, डेंगू और मलेरिया के प्रकोप के समय क्लिनिकल टेस्ट करना जरूरी है.
उनके मुताबिक इस समय डेंगू, मलेरिया के साथ-साथ टाइफाइड का प्रकोप भी बढ़ रहा है. इसलिए अगर किसी मरीज को बुखार आता है तो उसे तीनों टेस्ट एक साथ कराने की सलाह दी जाती है. जांच रिपोर्ट देखने के बाद इलाज शुरू होता है.
इलाज क्या है?
डेंगू जैसी वायरल बीमारियों के उपचार के लिए रोगसूचक उपचार की आवश्यकता होती है. ऐसे में अगर बुखार हो तो बुखार की दवा दी जाती है, उल्टी हो तो उल्टी की दवा दी जाती है. साथ ही मरीज को पर्याप्त पानी पीने की सलाह दी जाती है. इसी इलाज से मरीज जल्दी ठीक हो जाता है.
दूसरी ओर मलेरिया और टाइफाइड के लिए विशिष्ट दवाएं हैं. इन दवाओं को डॉक्टर की सलाह के अनुसार विशिष्ट खुराक में लिया जाना चाहिए. अन्यथा बीमारी से उबरना बिल्कुल भी संभव नहीं होगा. इसलिए बुखार आने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से सलाह लें.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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