डीएनए हिंदीः क्या आप तनाव में या मूड खराब होने पर शॉपिंग करके रिलेक्स फील करते हैं. खरीदारी के लिए अगर आप उधार या क्रेडिट कार्ड से खर्च करने में भी गुरेज नहीं कर रहे तो आपको थोड़ा सोचने की जरूरत है. अगर खुद पर खर्च करना आपके स्ट्रेस या दर्द को कम करता है तो कहीं न कहीं आप इमोशनल स्पेंडिंग के शिकार है.
अमूमन स्ट्रेस में लोग चॉकलेट खाते हैं या कुछ मीठा खाने लगते हैं क्योंकि इससे कुछ हैप्पी हार्मोंस एक्टिवेट होते हैं, लेकिन अगर आपको शॉपिंग करना स्ट्रेस बस्टर लगता है तो आपको ये खबर जरूर पढ़नी चाहिए.
इमोशनल स्पेंडिंग यानी भावनात्मक खर्च एक ऐसा शब्द है, जिसके बारे में बहुत से लोगों को पता ही नहीं होता और इसलिए वह खर्च पर खर्च करते रहते हैं और इसका अहसास भी उन्हें नहीं होता कि वह केवल शॉपिंग अपने स्ट्रेस, बोरियत या फ्रस्टेशन को दूर करने के लिए कर रहे हैं. चलिए जानें ये इमोशनल स्पेंडिंग क्या है और इसके निगेटिव इफेक्ट्स क्या हैं. साथ ही इससे कैसे निकला जा सकता है.
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क्या है भावनात्मक खर्च
भावनात्मक खर्च का मतलब है जब आप अपने मूड को बेहतर बनाने के लिए शॉपिंग करने लगते है. ये शॉपिंग बिना जरूरत के किसी भी तरह की हो सकती है. कपड़े से लेकर सैलून या गैजेट्स लेकर फूडिंग तक. साफतौर पर कहें तो ये बोरियत, तनाव, गुस्सा या किसी दुख को कम करने लिए जब किया जाए तो इमोशनल शॅपिंग या स्पेडिंग कहा जाता है. ठीक उसी तरह जैसे इमोशनल ईटिंग होती है.
इमोशनल स्पेंडिंग के नुकसानदायक
इस तरह की स्पेंडिंग यानी खर्च के कई मायनों में नुकसानदायक हैं. सबसे पहले तो इसके कारण आप अपने पैसों को सही तरह से मैनेज नहीं कर पाएंगे. यह आपके पर्सनल फाइनेंस को पूरी तरह से बर्बाद कर सकता है.उदाहरण के तौर पर, अगर आप खुद को भावनात्मक रूप से संतुष्ट करने के लिए लगातार खर्चा करते हैं तो इससे आपके लिए बचत मुश्किल होगी और इमरजेंसी में आप खुद को एक बहुत बड़ी मुश्किल में पाएंगे.
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