Golden Blood: दुनिया के महज 45 लोगों में पाया जाता है ये ब्लड, एक बूंद खून की कीमत सोने से भी महंगी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 17, 2022, 11:17 AM IST

दुनिया भर मे महज 45 लोगों में पाया जाता है ये ब्लड

Golden Blood- वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में एक नए तरीके के ब्लड ग्रुप की खोज की है, यह खून दुर्लभ और बेशकीमती है, क्या हैं इसके फायदे

डीएनए हिंदी: Rarest Blood Golden Blood- वैसे तो व्यक्ति के शरीर में 8 तरह के ब्लड ग्रुप पाए जाते हैं लेकिन वैज्ञानिकों ने मानव के शरीर में एक दुर्लभ और नए तरीके के ब्लड ग्रुप की खोज की है. यह ब्लड कीमती है. यही नहीं, यह ब्लड पूरी दुनिया में केवल (Rarest Blood Group) 45 लोगों के शरीर में ही पाया गया है. वैज्ञानिकों के अनुसार इस ब्लड की पहचान कर पाना भी बहुत मुश्किल है. यह एक ऐसा ब्लड ग्रुप है जिसके बारे में ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं है. इस दुर्लभ ब्लड को गोल्डन ब्लड (Golden Blood) कहा जाता है जिसका वैज्ञानिक नाम आरएच नल (Rh-null) है. यह ब्लड किसी भी ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को चढ़ाया जा सकता है. चलिए जानते हैं इस ब्लड ग्रुप के बारे में विस्तार से. 

इसलिए इसे कहते हैं गोल्डन ब्लड (Golden Blood or Rh-null)

यह ब्लड बहुत कम लोगों में पाया जाता है इसलिए इसलिए इसे गोल्डन ब्लड कहा जाता है. यह ब्लड किसी भी समूह के किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है. अगर किसी का ब्लड ग्रुप O है तो उसे भी गोल्डन ब्लड चढ़ाया जा सकता है. यह ब्लड समूह उसी व्यक्ति के शरीर में पाया जाता है जिसका Rh फैक्टर शून्य यानी null होता है. अगर आपको नहीं पता कि Rh क्या है? तो बता दें यह एक प्रकार का प्रोटीन है जो लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर मौजूद होता है.  व्यक्ति के शरीर  में यह Rh या तो धनात्मक होता है या ऋणात्मक, लेकिन जिनके शरीर में गोल्डन ब्लड पाया जाता है उनके शरीर में Rh न ही पॉजिटिव होता है और न ही नेगेटिव. 

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45 में से डोनर हैं बस 9 

रिपोर्ट्स की मानें तो पूरी दुनिया में इस दुर्लभतम ब्लड ग्रुप वाले 45 लोगों की पहचान हो चुकी है. लेकिन इनमें से केवल 9 लोग ही रक्तदान करने की स्थिति में है या करते हैं बाकी 36 लोग रक्तदान नहीं करने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि इनमें से कुछ लोग अपनी हेल्थ हिस्ट्री की वजह से रक्तदान नहीं कर सकते इसके अलावा कुछ ऐसे लोग भी है जो अपना ब्लड डोनेट नहीं करना चाहते हैं.

कई तरह की परेशानी लाता है गोल्डन ब्लड

यह ब्लड जिन लोगों की बॉडी में होता है, उन्हें अनीमिया की शिकायत हो जाती है. ऐसे में उन्हें आयरन युक्त चीजों का अधिक सेवन करने की सलाह दी जाती है. इस ब्लड में एंटीजन नहीं होता है. इस ब्लड ग्रुप के लोग समय-समय पर अपना खून ब्लड बैंक में जमा करते रहते हैं. इसे किसी और को नहीं चढ़ाया जाता. यह खून खून जरूरत पड़ने पर फिर से उसी शख्स को चढ़ाया जाता है. 

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सोने से ज्यादा महंगा है यह ब्लड 

अमूमन अस्पतालों में जरूरत पड़ने पर किसी बीमार या घायल शख्स के परिजन अपना खून देकर जरूरी ब्लड ग्रुप का खून ब्लड बैंक से ले सकते हैं. लेकिन यह ब्लड ग्रुप सिर्फ 45 लोगों में पाया जाता है. इसलिए इस ब्लड ग्रुप के एक बूंद खून की कीमत एक ग्राम सोने से भी कहीं ज्यादा है. इसलिए इसे गोल्डन ब्लड ग्रुप भी कहा जाता है.

साइंस एनालिसिस 

किसी व्यक्ति के शरीर में इस बल्ड ग्रुप्स के पाए जाने की मुख्यतौर पर दो वजह सामने आई है. पहला वजह है ‘जेनेटिक म्युटेशन' जिसकी वजह से यह ब्लड एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के लोगों में ट्रांसफर होता है, और दूसरी वजह की अगर बात करें तो इसके बारे में ‘नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन’ में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. रिपोर्ट के अनुसार  बेहद करीबी रिश्तों खासकर चचेरे भाई, भाई-बहन या अन्य किसी रिश्तेदार के बीच शादी होने की वजह से भी उनके बच्चों में गोल्डन ब्लड (Rarest Blood group) पाए जाने की संभावना बढ़ जाती है. ब्रिटेन में इस ब्लड ग्रुप को लेकर बड़े पैमाने पर शोध हुआ. जहां असिस्टेंट क्यूरेटर केटी मैकनाब इस गोल्डन ब्लड और दुर्लभ रक्त सौदों की दलाली करने वालों की जांच -पड़ताल करती हैं. इस ब्लड ग्रुप वाले लोगों की पहचान सुरक्षा कारणों से सार्वजनिक नहीं की जाती है.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.) 

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