बिहार के छोटे से शहर दानापुर के रहने वाले एक शख़्स ने आयुर्वेद का एक बड़ा साम्राज्य खड़ा कर दिया है. जयपुर में रहने वाले अनिल सिंह ने 'नारायण औषधि' नामक कंपनी खोली जो आज करोड़ों का टर्नओवर दे रही है.
10 जुलाई 1974 को बिहार के दानापुर में जन्मे अनिल सिंह आखिर कैसे आयुर्वेदिक के इस साम्राज्य को खड़ा किया ये जानते हैं. क्योंकि अपना स्टार्टअप शुरू करने वालों के लिए ये एक बेहतरी आइडिया दे सकती है.
अनिल सिंह के पिता धीरज नारायण सिंह आर्मी में डॉक्टर थे. अनिल ने अपनी स्कूली शिक्षा केंद्रीय विद्यालय, दानापुर कैंट से पूरी की और फिर बी.ए. की डिग्री दानापुर बी.एस. कॉलेज से हासिल की. कुछ अलग करने की धुन अनिल के मन में हमेशा से थी. महज 9वीं कक्षा में ही उन्होंने बिहार रेजिमेंट सेंटर के कोच बी.डी. सिंह के मार्गदर्शन में अपना पहला व्यापार शुरू कर दिया था और मार्केटिंग और ट्रेडिंग का करना शुरू किया जो बिहार रेजिमेंट कैण्टीन में रोज़ मर्रा की ज़रूरत के समान की सप्लाई देते थे.
खेल के मैदान से व्यापार की दुनिया तक
अनिल सिंह न सिर्फ व्यापार में, बल्कि खेल के मैदान में भी अव्वल थे , राष्ट्रीय स्तर में कई बार भाग लिये और सम्मानित किए जा चुके है , अनिल सिंह के बिहार के एथलीट रहे है जो नेशनल एथलीट 200 मीटर दौड़ के प्रतिभागी थे . 1993 में उन्होंने बिहार सरकार द्वारा आयोजित कई खेलों में हिस्सा लिया और राष्ट्रीय स्तर पर कई बार सम्मानित भी हुए. लेकिन उनकी असली पहचान उन्हें व्यापार की दुनिया में ही मिलनी थी.
उतार-चढ़ाव भरी जिंदगी
हालांकि, अनिल सिंह की जिंदगी हमेशा आसान नहीं रही. उन्होंने कई तरह के व्यापार किए, लेकिन हर बार उन्हें असफलता ही हाथ लगी. फिर पैतृक व्यवसाय में उन्होंने आयुर्वेदिक औषधियों की खेती-किसानी में भी हाथ आजमाया, जिसे आज भी कर रहे है , अश्वगंधा, सतवारी, जीरा, सफ़ेद मूसली , एलोविरा सहित तमाम औषधियाओं की खेती कर रहे है
आयुर्वेद से हुआ गहरा नाता
इन्हीं मुश्किल दिनों में अनिल सिंह का रुझान आयुर्वेद की ओर हुआ. उनके दादा और परदादा भी आयुर्वेदिक औषधियों के किसान थे, जिससे उन्हें इस क्षेत्र में गहरी रुचि पैदा हुई. उन्होंने 25 साल पहले विभिन्न जड़ी-बूटियों की खेती शुरू की, जिसमें एलोवेरा, शतावरी, अश्वगंधा, शार्पगंधा, सफेद मूसली और मुलेठी जैसी महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियां शामिल थीं.
नारायण औषधि' की नींव
वर्ष 2010 में अनिल सिंह ने अपने पिता के नाम पर 'धीरज हर्ब्स प्राइवेट लिमिटेड' नामक कंपनी की स्थापना की. इस कंपनी का मुख्य कार्यालय उनके गृहनगर दानापुर में ही है. यह कंपनी आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण और वितरण का काम करती है.
ड्रग होम से मिली नई पहचान
आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण के साथ-साथ अनिल सिंह ने 'ड्रग होम' नामक एक फार्मा चेन बिजनेस भी शुरू किया. यह बिजनेस पूरे बिहार में तेजी से फैल रहा है और अब तक 10 से ज्यादा ड्रग होम खुल चुके हैं. इन दुकानों के जरिए लोग किफायती दामों पर उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं खरीद सकते हैं.
जयपुर में नई शुरुआत
2020 में अनिल सिंह ने अपने कुछ दोस्तों और बिजनेस गुरुओं की सलाह पर जयपुर में 'नारायण औषधि प्राइवेट लिमिटेड' की स्थापना की. यह कंपनी आज 400 से ज्यादा तरह की आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण करती है. इन दवाओं का निर्माण जीएमपी सर्टिफाइड सुविधाओं में होता है और इनकी गुणवत्ता की जांच कुशल चिकित्सकों द्वारा की जाती है.
कई असाध्य बीमारियों को ठीक करने का भी करते हैं दावा
अनिल सिंह और उनकी टीम कई गंभीर बीमारियों के लाइलाज पर भी शोध कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने 'KIM100' नामक एक दवा लॉन्च की है जिसपर उनकादावा है कि ये कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकने में मदद करती है.
देश-विदेश में मिल रही है पहचान
आज 'नारायण औषधि' की दवाएं बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में 15,000 से ज्यादा आयुर्वेदिक डॉक्टरों द्वारा इस्तेमाल की जा रही हैं. अनिल सिंह की योजना जल्द ही यूएई सहित अन्य देशों में भी अपनी दवाओं का निर्यात शुरू करने की है.
प्रधानमंत्री मोदी का आभार
अनिल सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आयुष मंत्रालय के भी आभारी हैं. वे कहते हैं, "उनके प्रयासों से ही आज आयुर्वेद को वैश्विक पहचान मिल रही है. कोरोना काल में पूरी दुनिया ने आयुर्वेद की ताकत को देखा है. अनिल सिंह अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां चानों देवी को देते हैं.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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