डीएनए हिंदी: How To Handle Situations Everyday- सारा दिन में हमारे सामने अलग-अलग परिस्थितियां आती हैं और हम चाहते हैं कि हम हर परिस्थिति में सही तरह से सोचें, सही बोलें और सही व्यवहार करें. सोचते भी हैं, निर्णय भी करते हैं और करना भी चाहते हैं लेकिन कहते हैं कि बात आई, फिर वो हो गया, फिर मूड ख़राब हो गया, फिर गुस्सा आ गया, फिर डर लगने लगा, फिर चिंता होने लगी. कर ही नहीं पाते हैं. ऐसा क्यों है कि जो हम निर्णय कर रहे हैं, वो हम कर नहीं पा रहे हैं. आईए सिस्टर शिवानी से जानते हैं.
जब हम परिस्थिति को हैंडल नहीं कर पाते हैं तब हम कहते हैं कि परिस्थिति ऐसी थी ना, इसलिए मेरा मूड डिस्टर्ब हो गया. फिर हम अपनी मन की स्थिति का जिम्मेवार, परिस्थिति को ठहरा देते हैं. जितना हम मन की स्थिति का जिम्मेवार, सिचुएशन को, लोगों को ठहराते हैं, उतना ही हम अपनी एनर्जी या शक्ति उनको दे देते हैं. माना मेरे मन का रिमोट कण्ट्रोल इस बात के पास है. यदि हम ऐसा कह देते हैं तो हम उनके गुलाम हैं, क्योंकि वो हमारी मन की स्थिति के ऊपर हावी हो गए, जो सच नहीं है.
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बात चाहे कोई हो, सामने वाला व्यक्ति कोई भी हो, उसका व्यवहार कैसा भी हो, वो बाहर की बात है, किसी भी बात को अपने सामने लेकर आये. चाहे आज ही हुई हो, पिछले हफ्ते हुई हो, क्या हुआ था, उन्होंने कैसा व्यवहार किया था, और उस क्षण मैंने कैसा फील किया, बोला और व्यवहार किया. वो बाहर है, वो एक परिस्थिति है, वो अपना काम कर रहे हैं, वो अपना रोल प्ले कर रहे हैं. वो जब ऐसा करते हैं तो हम कैसा सोचते हैं? कैसा फील करते हैं? फिर हम क्या बोलते हैं? हम कैसा रिस्पांस करते हैं, ये मेरे ऊपर है. वहां खड़े होकर कुछ भी बोल सकते हैं, आप पर ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला सकते हैं, वो इतना ही कर सकते हैं, वो यहाँ (मन में) नहीं घुस सकते
तो हम ये कह सकते हैं कि उन्होंने मुझे धोखा दिया, उन्होंने मुझसे झूठ बोला, उन्होंने मुझे डांटा, उन्होंने मुझे फाइनेंसली एक्सप्लॉइट (आर्थिक शोषण) किया. किसी ने मुझे फिजिकली भी मारा, मुझे फिजिकली एब्यूज किया, लेकिन इमोशनली मुझे कोई कुछ नहीं कर सकता. जो भी मन में होता है, वो हमारी क्रिएशन है. मैं अपने हर संकल्प को क्रिएट करती हूं. कोई भी परिस्थिति आये, चाहे आपका रिएक्शन भी हो जाए, सिर्फ एक चीज़ नहीं कहना, "उनकी वजह से'. इसे मैंने क्रिएट किया है. अगर हम ऐसा कहेंगे, उनकी वजह से ऐसा हुआ तो हम गुलाम हैं लेकिन हम गुलाम नहीं हैं, हम अपने जीवन के मालिक हैं.
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मैं शक्तिशाली आत्मा हूं. अपनी हर सोच, बोल और व्यवहार की ज़िम्मेदारी लेती हूं. सारे दिन में कोई भी बात आये, सामने वाला कैसा भी व्यवहार करे, कुछ भी कहे लेकिन हम बहुत क्लियर होंगे तो मन में जो चलता है, यह मेरी क्रिएशन है. मैं क्रिएटर (रचता) हूँ, रोज़ अपने आपको यह याद दिलाएं. मैं अपनी हर सोच, हर फीलिंग्स की निर्माता खुद हूँ. यह मेरी चॉइस है कि मुझे कैसा सोचना है. जब हम इसे बार-बार अपने को याद दिलाएंगे तो हम औरों को दोष नहीं देंगे, फिर हम यह सोचना शुरू कर देंगे, परिस्थिति सही है या नहीं, हम नहीं जानते लेकिन सही सोचना यह हमारी शक्ति, हमारी ज़िम्मेदारी है.
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