Chemically Ripened Mangoes: केमिकल वाले आम खरीदने से पहले करें चेक वरना ऑक्सीजन की कमी जैसी होंगी कई दिक्कतें

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 22, 2023, 01:58 PM IST

बाजार में धड़ल्ले से बिक रहे हैं केमिकल वाले आम, खरीदने से पहले कर लें चेक 

Chemically Ripened Mangoes: बाजार में केमिकल से पके आमों की भरमार है, ऐसे में आम खरीदने से पहले उन्हें चेक करना बहुत जरूरी है. क्योंकि इसकी वजह से आप डायरिया-एसिडिटी समेत इन बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं. 

डीएनए हिंदीः गर्मी का सीजन शुरू हो गया है और गर्मियों का सबसे स्वादिष्ट फल है आम. इसे खाए बिना गर्मी का मौसम पूरा नहीं माना जा सकता है. इस मौसम के आते ही बाजार में आम की (Chemically Ripened Mangoes) डिमांड भी काफी बढ़ जाती है. ऐसे में कई बार उत्पादन से ज्यादा खपत होती है और इसी डिमांड को पूरा करने के लिए विक्रेता शॉर्टकट अपनाते हैं. जी हां, ऐसी में आम को जल्द से जल्द पकाकर बाजार में उतारने के लिए केमिकल का इस्तेमाल किया (Chemically Ripened Mangoes Bad For Health) जाता है, जो सेहत को बहुत ही ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. 

ऐसे में अगर आप बाजार से आम खरीद कर ला रहें हैं, तो पहले इस बात की जांच जरूर कर लें कि कहीं आम को केमिकल से तो नहीं पकाया गया है, आइए जानते हैं इसके बारे में.. 

केमिकल से पके आम खाने के ये हैं नुकसान

केमिकल से पके आमों को ज्यादा खाने से उल्टी, डायरिया, कमजोरी, सीने में दर्द, सिर दर्द और एसिडिटी जैसी गंभीर  समस्या हो सकती है. इतना ही नहीं, कुछ मामलों में ये केमिकल्स बुरी तरह से रिएक्ट करते हैं, जिसकी वजह से स्किन अल्सर, आंखों में जलन के अलावा गले में भी समस्या हो सकती है, ऐसी स्थिति में खाना निगलने में परेशानी आती है. 

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इसके अलावा, केमिकल से पके आमों के कुछ और साइड इफेक्ट्स भी हैं, जैसे खांसी, मुंह में छाले. इन आमों को खाने के तुरंत बाद सांस लेने में भी परेशानी आती है, ऐसे में बिना देरी किए डॉक्टर के पास जाएं. 

केमिकल से नसों को हो सकता है नुकसान 

केमिकली से पके आमों को खाने से होने वाले खतरों में हाइपोक्सिया भी एक सामान्य समस्या है. दरअसल हाइपोक्सिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें सेल्स तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंचता और ऐसा तब होता है, जब खून में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. 

आम को पकाने में होता है इन केमिकल का इस्तेमाल 

आमों को समय से पहले और जल्दी पकाने के लिए कार्बाइड का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है. इसके अलावा एथेफोन भी प्लांट ग्रोथ रेगुलटर है, जिसका इस्तेमाल आम पकाने के लिए भी होता है. ये केमिकल्स एसिटिलीन रिलीज करते हैं और आम को अपने निर्धारित समय से पहले पकने पर जोर देते हैं. ऐसे में आमों में मौजूद प्राकृतिक पोषक तत्व और खनिज टूट जाते हैं. इतना ही नहीं केमिकल्स से पके आम आर्सेनिक और फॉसफोरस जैसे जहरीले पदार्थों से भरे होते हैं. 

इस तरह करें पहचान

आमों को प्राकृतिक रूप से पकने में मौसम, पक्षियों समेत अन्य चीजों का भी योगदान होता है. इसलिए नेचुरली पके आम देखने में उतने आकर्षक नहीं लगते, जितने केमिकल से पके देखने में लगते हैं. 

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साथ ही अपने समय के साथ और प्राकृतिक रूप से पके आमों में उसके पेड़ की हल्की खुशबू और स्वाद मौजूद रहती है. वहीं आर्टिफिशियल तरीके से पकाए गए आमों का स्वाद और उसकी खूशबू काफी तेज होती है. 

आर्टिफिशियल आम के दुष्प्रभावों से बचने का एक मात्र तरीका है कि बिना सीजन इसे खाने से बचें. सीजन के बीच में आम खरीदना सबसे अच्छा रहता है.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।) 

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