Independence Day 2022 : रसगुल्ले से लेकर जलेबी तक, मिठाइयों ने भी Freedom Movement में निभाया था खास रोल

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 10, 2022, 03:06 PM IST

Independence Day 2022 Special : भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मिठाइयों ने भी अपना योगदान दिया है. रसगुल्ले से लेकर जलेबी तक की पूरी कहानी है कि कैसे इन मिठाइयों ने क्रांतिकारियों की मदद की

डीएनए हिंदी : Independence Day 2022 Special : भारत की आज़ादी की लड़ाई में कई चीज़ों का योगदान है. आज़ादी के दीवाने न केवल अपने जोश और जुनून से लड़ रहे थे बल्कि उन्होंने आज़ाद होने की चाह को जीने-मरने के ढंग में भी उतार लिया था. गांधी जी ने स्वदेसी का नारा दिया, लोगों ने अंग्रज़ों की दी हुई तमाम चीज़ों को छोड़ दिया. इस पहल में समाज का सभी तबका साथ था. हर तरह के कामगार अपनी ओर से अपना योगदान दे रहे थे. इनमें मिठाई बनाने वालों का भी ख़ास योगदान था. बंगाली मिठाई रसगुल्ला फेमस कोड वर्ड था. आइए जानते हैं क्या रहा है मिठाइयों का आज़ादी कनेक्शन

Independence Day 2022 Special Story : पैक ऑफ़ बंगाली रसगुल्ला था फेमस कोड 
आज़ादी की लड़ाई में बंगाल के स्वतंत्रता सेनानियों का काफ़ी योगदान रहा है. ख़ुदी राम बसु से लेकर सुभाष चंद्र बोस तक क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों की पूरी फ़ौज थी.  इन बंगाली क्रांतिकारियों को बाकी देश के क्रांतिकारियों के द्वारा पैक ऑफ़ बंगाली स्वीट्स कहा जाता था. एक क़िस्से के अनुसार 1930 में जब अवज्ञा आंदोलन अपने चरम पर था, उस वक़्त के प्रमुख वकील चेत्तूर शंकरण नायर को एक टेलीग्राम मिला जिसमें 'बंगाली स्वीट डिस्पैच्ड' लिखा था.

अंग्रेजी सरकार की पुलिस को लगा कि क्रांतिकारी आ रहे हैं और पूरा महकमा रेड अलर्ट में आ गया. चेत्तूर वही वकील थे जिन्होंने अंग्रेज़ लेफ्टिनेंट जनरल माइकल ओ डायर पर क्रूरता का आरोप लगाया था. हालांकि तब पुलिस के रसगुल्ले का डब्बा ही लगा था पर बाद में कई बार इस कोड का इस्तेमाल क्रांतिकारियों के लिए भी हुआ. 
यह कहा जाता है कि एडविना माउंट बेटन सहित कई नामचीन अंग्रज़ों को यह मिठाई बहुत पसंद थी. 

World war 1 में भारतीय सैनिकों के लिए सेवई तैयार की गई थी 
पहले विश्व युद्ध के दौरान भारत के कई सैनिक युद्ध लड़ रहे थे.  इन सैनिकों को बेहतर महसूस करवाने के लिए उन तक भारतीय मिठाइयों को भेजने का निर्णय लिया गया जिसे फ्रांस ने मना कर दिया. बाद में इन सैनिकों के लिए सूखी सेवइयां भेजी गई कि दूध के साथ मिलाकर वे युद्ध क्षेत्र में भारतीय स्वाद का आनंद ले सकें. 

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Freedom Movement में मिठाई की दुकानों पर जुटते थे क्रांतिकारी 
चूंकि मिठाइयों की दुकानों पर शक सबसे कम जाता, अक्सर क्रान्तिकारी इन दुकानों पर जुटते थे और अपनी रणनीति डिसकस किया करते थे. एक किस्सा यह भी है कि 1857 में आज़ादी की पहली लड़ाई में मशहूर तवायफ अज़ीज़न बाई क्रांतिकारियों तक गुप्त संदेश बताशे या लड्डू के डब्बे में भिजवाती थी.  

जलेबी ऐसे हुई Independence Day की हॉट फेवरेट मिठाई
पंद्रह अगस्त के दिन जलेबी खाने की विशेष परम्परा है. ऐसा माना जाता है कि एक उर्दू अखबार में जलेबी लपेटकर भगत सिंह तक पहुंचाया गया. इस अखबार का नाम मिलाप था. माना जाता है कि अक्सर चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह अक्सर जलेबी खाते हुए मंत्रणा करते थे इसलिए जलेबी उन तक सन्देश भेजने का काम  जलेबी पहुंचाने के माध्यम से किया गया था. इस ख़ातिर जलेबी को आज़ादी के स्वाद से जोड़ा जाता है.
 
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