डीएनए हिंदीः जैसे-जैसे पारा चढ़ रहा है लोग एसी में ही रहने लगे हैं. जिनके घरों में पेट्स हैं वो भी अपने साथ उन्हें एसी में ही सुला रहे हैं लेकिन क्या अपने या बुजुर्ग माता-पिता या बच्चों के कमरे में कुत्ते-बिल्ली को भी सुलाना सेफ है?
गर्मी का मौसम पालतू जानवरों के लिए भी एक कठिन होता है, इंसानों की तरह इन्हें भी डिहाइड्रेशन, हीट स्ट्रोक से लेकर डायरिया तक गर्मी से खतरा होता है. इन स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए लोग इन्हें अपने ही एसी रूम में सुलाते हैं. तो विशेषज्ञों से जान लें क्या ऐसा करना सही है?
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एयर कंडीशनिंग पालतू जानवरों के लिए काफी हद तक सुरक्षित है, और यह हीट स्ट्रोक जैसी कुछ स्थितियों को भी रोक सकता है जो पालतू जानवरों के लिए घातक हो सकती हैं.
पालतू जानवरों के लिए एयर कंडीशनिंग के फायदे और नुकसान
गर्मियों में पेट्स को एसी में सोने देने के पक्ष और विपक्ष दोनों हैं. दूसरी ओर, एयर कंडीशनिंग उन पालतू जानवरों के लिए राहत प्रदान कर सकता है जो गर्मी और आर्द्रता के प्रति संवेदनशील हैं. बुलडॉग और पग जैसी सपाट चेहरे वाली नस्लों के लिए भी ठीक है. इससे ये हीट स्ट्रोक से बचे रहते हैं लेकिन इसके नुकसान हो सकता है. तापमान में अचानक परिवर्तन कुछ पालतू जानवरों के लिए तनावपूर्ण हो सकता है. हालांकि एसी में पालतू जानवर के लिए सोना सुरक्षित है और उसे भी इंसानों की तरह कभी सर्द तो कभी गर्म से बचाना भी जरूऱी है.
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जान लें ये नुकसान
1-खुद या बच्चों- बूढ़े और बच्चों के कमरे में पेट्स को रखने से बचना चाहिए, क्योंकि इनसे एलर्जी का खतरा बढ़ता है. पेट्स के छोटे बाल या छींक से दूसरे को भी इंफेक्शन हो सकता है. इसलिए कभी कुत्तों को सुलाने से बचें.
2-एक नई स्टडी में सामने आया है यदि आप अपने कुत्ते के साथ एक ही बेडरूम में सो रहे हैं तो ठीक हैं लेकिन यदि आप अपने कुत्ते के साथ एक ही बिस्तर पर सो रहे हैं तो ये आपकी नींद पर असर डाल सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है इससे आपकी नींद पर नकारात्मक असर हो सकता है.
3-Catch scratch disease का खतरा रहता है. ये एक तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो बिल्लियों की खरोंच से होता है. जरूरी नहीं, कि ये खरोंच बिल्ली ने गुस्से में मारी हो या खेलते हुए खरोंच लग गई हो, ये खतरनाक हो सकती है. छोटे बच्चों, प्रेगनेंट महिला या बुजुर्गों या पहले से ही बीमार लोगों के लिए पालतू बिल्ली की मामूली खरोंच भी इंफेक्शन दे सकती है.
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4- कुत्तों में अगर zoonotic skin infection का खतरा है तो इससे उसके साथ सोने-बैठने वाले लोगों और ज्यादा गर्म घरों में रहने वालों में त्वचा का ये संक्रमण दिखता है. इस बीमारी में फंगस की बीमारी है जिसके लक्षण हैं, त्वचा पर चकत्ते, दाने और लगातार खुजली हो सकती है.
5-टीबी की बीमारी भी पालतू भेड़-बकरियों से इंसानों में फैल सकती है. जानवरों की छींक, बगलम या स्किन-टू-स्किन कॉन्टेक्ट से भी ये बीमारी फैलती है. टीबी के लक्षणों में सीने में दर्द, खांसी, बुकार, थकान और लगातार वजन घटना शामिल हैं.
तो कुत्ते या बिल्ली को एसी में जरूर रखें लेकिन इनके लिए अलग से व्यवस्था करें या केज में रखें और इस केज को नेट से ढक देना चाहिए.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।)
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