Sindoor Tree Benefits: इस पेड़ के बीज से बनता है सिंदूर, आयुर्वेद में इसकी पत्तियां और बीज दवा का करते हैं काम

ऋतु सिंह | Updated:Dec 06, 2023, 11:21 AM IST

 kamila Tree leaves and seeds for health 

हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए सिंदूर लगना जरूरी होता. क्या आपको पता है कि ये सिंदूर न केवल आपके भाग्य को बल्कि आपकी सेहत को भी चमकाता है.

डीएनए हिंदीः बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि सिंदूर एक पेड़ के बीज से बनता है और ये नेचुरल तरीके से प्राप्त होता लेकिन इसकी प्रॉसेसिंग के समय इसमें शीशा मिला दिया जाता है जिससे ये हानिकारक हो जाता है. लेकिन सिंदूर के पेड़ के बीज, पत्ते का यूज आयुर्वेद में भी किया जाता है. सिंदूर के पेड़ को कुमकुम ट्री या कामिला ट्री के नाम से भी जाना जाता है.

सिंदूर के पेड़ के बीज और पत्तों का यूज कई तरीके से होता है. ये पेंट बनाने से लेकर ऊन या रेशम को रंगने और कई कमर्शियल यूज में होता है लेकिन क्या आपको पता है कि सिंदूर के पेड़ से कई गंभीर से लेकर सामान्य बीमारियों का भी इलाज संभव है. 

सिंदूर के पेड़ के ये औषधिय गुण भी जान लें

  1. कुष्ठ रोग से लेकर झाइयों और फुंसियों को दूर करने में इसके बीज का इस्तेमाल होता है.
  2. इसके बीज या पत्तों से कब्ज, पेट फूलना या टेपवर्म जैसी पाचन समस्याओं के साथ ही अल्सर, खांसी, आंतरिक रक्तस्राव, गुर्दे की पथरी को भी ठीक किया जा सकता है.
  3. इसके बीज या पत्ते शरीर की विषाक्त को खत्म करता हैं. यह आंत्र गतिविधि को बढ़ावा देते हैं.
  4. आंखों की समस्या में भी इसके बीज या पत्तों का यूज किया जाता है.
  5. इसके फलों और छाल का उपयोग औषधीय रूप से पेट के अल्सर और टेपवर्म के इलाज के लिए किया जाता है.
  6. पत्तियों के काढ़े का उपयोग दस्त के उपचार में किया जाता है.
  7. महिलाओं के लिए गर्भनिरोधक के रूप में जड़ के छिलके को पान के मिश्रण के साथ चबाया जाता है.
  8. यह ब्रोंकाइटिस, पेट के रोगों और प्लीहा वृद्धि के उपचार में उपयोगी है.
  9. इनका उपयोग खुजली, दाद और दाद जैसे त्वचा के परजीवी रोगों के इलाज के लिए किया जाता है.
  10. छाल का उपयोग टाइफाइड और मेनिनजाइटिस के लिए किया जाता है.
  11. त्वचा के संक्रमण और संक्रमित घावों के लिए पत्तियों का बाहरी उपयोग किया जाता है.
  12. नारियल के तेल के साथ मिश्रित फलों की ग्रंथियों/बालों का उपयोग घावों और जलन को भरने के लिए किया जाता है.
  13. तेल पुराने संक्रमित घावों को साफ करता है.
  14. कमला पौधे की पत्तियों और फूलों के अर्क में संवेदनाहारी गुण होते हैं और इसका उपयोग फ्लू, खांसी, स्टामाटाइटिस, रेबीज रोग, तपेदिक और गले की शिकायतों के इलाज के लिए एक पारंपरिक औषधीय पदार्थ के रूप में किया जाता है.
  15. ब्रोंकाइटिस, पेट के रोग, प्लीहा वृद्धि में इसके बीज या पत्तियों का रस काम आता है.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)

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