बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति अपने लुक, अपियरेंस और को लेकर अत्यधिक संजीदा हो जाता है और खुद ही अपने अंदर कमियां खोजने लगता है. ये एक ऐसी मानसिक स्थिति हैं जिसमें सामने वाले को व्यक्ति की कमियां या तो दिखती नहीं या उसके लिए मायने नहीं रखतीं लेकिन पीड़ित व्यक्ति के लिए वो शारीरिक कमी किसी अवसाद से कम नहीं होती हैं.
जब आप बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर से पीड़ित होते हैं, तो आप अपने रूप और शरीर की छवि के बारे में अत्यधिक चिंता करते हैं और दिन के कई घंटे इसी सोच में बिता सकते हैं. इस बीमारी से जूझ रहा व्यक्ति खुद को दिन में कई बार या लगातार सजाता-संवारता रहता है और खुद को आईने में देख कर अपनी कमियों को छुपाने के रास्ते तलाशता है. उसकी इस आदत से उसके रोज के काम तक इफेक्ट होने लगते हैं. वह हीन भावना से ग्रस्त होता जाता है.
हाल ही में फेय डिसूजा के साथ एक साक्षात्कार में, फिल्म निर्माता और निर्देशक करण जौहर ने बताया कि कैसे बॉडी डिस्मॉर्फिया ने उन्हें सालों तक खुद से घृणा करने पर मजबूर कर दिया है. "उन्हें बॉडी डिस्मॉर्फिया है, वह पूल में जब उतरते हैं तो उन्हें बहुत अजीब लगता है.
करण ने बताया कि उन्होंने इस बीमारी को दूर करने की बहुत कोशिश की है. करण कहते हैं कि चाहे आप कितनी भी सफलता हासिल कर लें, चाहे आप अपने आप को अपने दिमाग में जो भी समझते हों, लेकिन वह हमेशा इससे जूझते रहते हैं. वह चाहे कितना भी वेट कम कर ले लेकिन उन्हें हमेशा लगता है कि वह मोटे हैं. इसलिए वह नहीं चाहते कि कोई भी उनके शरीर का कोई भी हिस्सा देखें.
बॉडी डिस्मॉर्फिया के लक्षण
1. किसी दोष को लेकर अत्यधिक जुनूनी होना जिसे दूसरे लोग नहीं देख पाते या जो छोटा लगता है. यह दृढ़ धारणा कि आपके रूप में कोई दोष है जो आपको बदसूरत या विकृत बनाता है.
2. यह विश्वास कि दूसरे लोग आपके रूप-रंग को नकारात्मक दृष्टि से देखते हैं या आपका मजाक उड़ाते हैं.
3. ऐसी गतिविधियों में संलग्न होना जिनका उद्देश्य कथित खामियों को सुधारना या ढंकना है, जिन्हें टालना या नियंत्रित करना कठिन है, जैसे बार-बार आईना देखना, सजना-संवरना .
4. स्टाइलिंग, मेकअप या कपड़ों के माध्यम से कथित दोषों को छिपाने का प्रयास करना. लगातार दूसरों के साथ अपने आकर्षण की तुलना करना.
अपने शरीर में खुद को कितना असहज महसूस करते हैं, इस बारे में बात करते हुए करण ने बताया कि, "जब मैं आठ साल का था, तब से कुछ भी नहीं बदला है. मैं हमेशा खुद को लेकर शर्मिंदगी महसूस करता हूं. जिस दिन आपको लगता है कि आप अच्छे दिख रहे हैं...इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने क्या हासिल किया है. यहां तक कि अंतरंगता की स्थितियों में भी, मुझे लाइट बंद करने की ज़रूरत होती है. मैं इसके लिए थेरेपी करवा चुका हूं. ये सभी समस्याएं...सभी बढ़ती जाती हैं और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा करती हैं. पैनिक अटैक से पीड़ित होने के बाद मैंने दवा भी ली थी."
चिकित्सा सहायता कब लें?
जब आप देखते हैं कि यह स्थिति आपके रोज़मर्रा के जीवन पर बड़ा असर डाल रही है, तो मदद लेना सबसे अच्छा है.
(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)
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