Positive Thoughts: अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों होता है, समझिए कैसे कर्मों से बनता है आपका भाग्य- बीके शिवानी

Written By सुमन अग्रवाल | Updated: Nov 15, 2022, 08:19 AM IST

कर्मों से आपकी किस्मत तय होती है, अपने कर्मों पर ध्यान दें कि आप किसके लिए कैसा सोच रहे हैं, तो आपके मन के सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे

डीएनए हिंदी: Relation Between Karmas and Destiny, BK Shivani Didi- कर्म और भाग्य में अंतर क्या है, हम हर बात को अपने भाग्य पर टालकर शांत हो जाते हैं, लेकिन कभी हमने ये नहीं सोचा कि हमारे कर्मों से ही हमारा भाग्य तय होता है. इसी बात पर आज रोशनी दे रही हैं मोटिवेशनल स्पीकर सिस्टर शिवानी. सुनते हैं वे इस बारे में क्या कहती हैं.
 
हर शब्द जो मैं बोलती हूँ, हर व्यवहार जो मैं करती हूँ वो कर्म है. यह बात सबसे महत्वपूर्ण है कि कर्म सिर्फ वो नहीं जो हम बोलते हैं, या करते हैं. कर्म वो हैं, जो हम सोचते हैं. वो कर्म इसलिए हैं क्योंकि कर्म का मतलब वो ऊर्जा है जिसकी रचना मैं खुद करती हूँ और बाहर भेजती हूं. भाग्य वो है, जो बाहर से मेरी तरफ आता है तो वही ऊर्जा सारा दिन चल रही है. एक ऊर्जा मुझसे बाहर जा रही है और एक ऊर्जा बाहर से मेरी तरफ आ रही है. एक वो जो मैं आपसे व्यवहार करूं और एक वो जो दूसरा मेरे साथ व्यवहार करे, जो व्यवहार मैं दूसरों के साथ करूं, वो मेरा कर्म है और जो दूसरा व्यक्ति मेरे साथ व्यवहार करे वो मेरा भाग्य है

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अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों होता है, क्या है कर्मों का हिसाब किताब

ऐसे में दो ऊर्जाएं सारा दिन मेरे साथ चल रही हैं तो अपने कर्म को चेक करने के लिए अपने संकल्पों को चेक करना जरूरी है. इसलिए यदि हम अंदर कुछ और, और बाहर कुछ और करेंगे तो खुद अपने आपसे धोखा खा लेंगे. फिर सोचेंगे कि हम तो सारे लेन-देन सही कर रहे थे लेकिन आखिर में बैलेंस शीट टैली नहीं करते. उदहारण के लिए, मैं किसी से मिली, मैं उनसे इतने प्यार से मिली, उन्हें खाना भी खिलाया और जाते-जाते उन्हें गिफ्ट भी दिया, फिर भी रिश्ता ठीक नहीं है क्योंकि मैंने यह नहीं चेक किया कि मैं अंदर से इनके लिए कैसा सोचती हूं. मैंने इनके लिए इतना किया, फिर भी मैं इनके लिए अच्छा नहीं सोचती क्योंकि मैंने यह नहीं सोचा कि मैं अंदर से इनके लिए कैसा सोचती हूं. इसलिए भले ही आप कुछ भी करें लेकिन आपकी सोच , आपका मन, विचार और संकल्प अगर उस व्यक्ति के लिए ठीक नहीं है तो आपका कर्म गलत है,बदले में आपको करवाहट ही मिलेगी. 

जो भी मैं सोचती हूँ, बोलती हूँ, व्यवहार करती हूँ, ऊर्जा बाहर निकलती है, यह कर्म है. जो कुछ भी मेरे पास आता है - जिसमें परिस्थिति, स्वास्थ्य, करियर-सम्बन्धी बातें, रिश्ते, मेरे साथ लोगों का व्यवहार आ सकते हैं, अर्थात कोई भी ऊर्जा जो इस प्रकार से मेरे अंदर आती है, यह मेरा भाग्य है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जो कुछ भी इस प्रकार से मेरे अंदर आता है, वो इसीलिए आ रहा है क्योंकि वो मेरे द्वारा बाहर गया है. जब हम फ्रिसबी फेंकते हैं, फिर वो जायेगी, घूमेगी और वापिस आएगी. इसी प्रकार, हम बुमेरांग फेंकते हैं, तो फिर वो जाएगा, घूमेगा और वापिस आएगा लेकिन जब वो जाएगा और वापिस आएगा, उसके बीच में दो मिनट, दो घंटे, दो दिन, यहाँ तक कि दो जन्म बीत सकते हैं क्योंकि उसने तो जाना है और वापिस आना है. अब मान लेते हैं, मैंने अभी फेंका है और उसने वापिस आना है और उसके बीच में अगर मैंने कॉस्ट्यूम बदलनी है, अर्थात दूसरा शरीर लेना है, फिर मैं कहूँ यह मेरी तरफ कहाँ से आ गई. 

दूसरे शब्दों में उस समय मैं सवाल करूं कि ये मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं, मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है, मतलब ये मेरे पास वापिस कहां से आ रहे हैं, तो इसके लिए एक बात समझनी होगी. वह यह कि उसे फेंकने के बाद मैंने कॉस्ट्यूम बदल दिया. कॉस्ट्यूम बदल लिया अर्थात स्मृति चली गई. 2-3 साल की उम्र तक आत्मा को याद होता है. आत्मा जब गर्भ में होती है, उसे अपने अतीत के सारे कर्म याद होते हैं. इसलिए जब आप शरीर से बाहर की स्थिति का अनुभव करते हैं, आत्मा-आत्मा का शरीर से बाहर की स्थिति का अनुभव होता है. कुछ मिनटों में ही वो अपने जीवन के समस्त कर्मों  को देख सकते हैं. क्योंकि जब हम शरीर से अलग होते हैं, तब हम अपने जीवन के सभी कर्मों को देख सकते हैं. 

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इसीलिए आत्मा जब वो शरीर छोड़ती है, उसे अपना सब कुछ दिखता है. यही कारण है कि आत्मा जब गर्भ में है, वह अपने नए शरीर और नए परिवार से अटैच्ड नहीं है, उसको सब कुछ दिख रहा है लेकिन कुछ समय बाद, प्रकृति इतनी सुन्दर है कि जैसे ही वो वर्तमान से अटैच्ड होते हैं, उसको अतीत का भूलता जाता है और भूलना ही चाहिए. अगर याद आया, तो वह बहुत परस्पर विरोधी होता है. तो हमें अतीत का याद नहीं रखना है लेकिन केवल इतना याद रखना चाहिए कि कुछ चीज़ें हम ऐसे ही फेंक आये थे, उनमें से अधिकाँश बहुत अच्छे वाले हैं. आज हमारे पास बहुत स्वस्थ शरीर और इतनी प्यारा परिवार है, जो ऐसे ही नहीं मिलते हैं. 

आज हम इतने सुन्दर प्रोफेशन से हैं, यह ऐसे ही नहीं मिलता है. यह सारा हमारे बहुत सारे श्रेष्ठ कर्मों का रिटर्न है लेकिन वो चीजें हमें श्रेष्ठ कर्मों के रिटर्न में मिलती हैं. उसके लिए हम यह नहीं कहते हैं कि मैं ऐसे कैसे इतने अच्छे प्रोफेशन में आ गया, बल्कि हम कहते हैं, "मैंने मेहनत की है". लेकिन छोटी सी चीज़ हमारे पास दूसरी आती है, उसके लिए हम कहते हैं "मेरे साथ ऐसा कैसे हो गया?" उसके लिए हम ऐसे नहीं कहते कि "मैंने कोई मेहनत की होगी, तभी आई है". दोनों चीज़ें मेरे कर्मों की वजह से है. और अधिकांश चीज़ें सुन्दर हैं.

अब हमें यह देखना है कि 1-2 जो दूसरी चीज़ें आ रही हैं, उसका हमें क्या करना है? आज से हमारा हर कर्म कैसा हो? अब से हमारा हर कर्म पवित्र होना चाहिए, क्योंकि हम यहां पर फ़रिश्ते हैं, और फरिश्ता कभी भी गलत संकल्प, बोल और कर्म करेगा ही नहीं। लेकिन फ़रिश्ते बनने से पहले हम कोई-कोई फ्रीज़बी फेंक कर आये हुए हैं, चाहे वो इस कॉस्ट्यूम से हैं या पिछले कॉस्ट्यूम से, और  वो वापिस आती है. ज्ञान और परमात्मा की शक्ति आत्मा को इतना शक्तिशाली बनाते हैं कि जब कोई अतीत का कर्म सामने आता है, हम उसको बड़े प्यार से पार कर लेते हैं.

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