डीएनए हिंदी : देश के विकास के लिए बेहद ज़रूरी है कि समाज के सभी हिस्सों, सभी पक्षों, सभी लोगों का विकास हो. इस क्रम में दलित और महिला सशक्तिकरण की महती भूमिका है. बिहार के सबसे कद्दावर नेताओं और मुख्यमंत्रियों में एक रहे लालू प्रसाद यादव ने महिलाओं के पक्ष में एक बेहद ज़रूरी फ़ैसला लिया था. आज से लगभग 30 साल पहले बिहार के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने कामकाजी महिलाओं को एक ख़ास तरह की छुट्टी दी थी. 1992 में उनकी सरकार ने महिलाओं को पीरियड लीव देने का फ़ैसला लिया था. हालांकि उस वक़्त बिहार सरकार में बहुत कम स्त्रियां काम करती थीं फिर भी बिहार सरकार ने इस फ़ैसले को लेने में कोई आना-कानी नहीं की थी.
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Period Leave in Bihar : जानिए समूचा घटनाक्रम
बिहार नॉन गज़ेटेड एम्प्लॉयीज़ फेडरेशन के महासचिव रामबली प्रसाद के मुताबिक़ 1990 में लालू प्रसाद यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद राज्य सरकार के लगभग 6 लाख कर्मचारी हड़ताल पर थे, इनमें केवल दस प्रतिशत महिलाएं थीं. लगभग 5-6,000 लोग रोज़ सचिवालय के सामने खड़े होकर प्रदर्शन करते थे. 1991 के आख़िर तक चलने वाली इस हड़ताल में कुछ महिलाओं ने Period Leave भी जोड़ने को कहा.
पीरियड की छुट्टी पर तुरंत मान गए थे लालू जी
उस वक़्त कर्मचारियों के आंदोलन में साथ रहे लोगों के अनुसार कर्मचारियों के साथ बातचीत करते हुए लालू जी ने सभी मांगें तो नहीं सुनीं पर यह छुट्टी देने के लिए वे सहज मान गए. मुख्यमंत्री ने मेंस्ट्रुएशन के दौरान छुट्टी देने के लिए तुरंत मंज़ूरी दे दी. 2 जनवरी 1992 को Lalu Prasad Yadav के नेतृत्व में राज्य सरकार के एक आदेश के अनुसार यह फ़ैसला लिया गया कि कामकाजी महिलाओं को दो दिन की अतिरिक्त छुट्टी दी जाएगी. यह देश में Period Leave की शुरुआत थी.
लालू प्रसाद के समकालीन नेताओं के अनुसार यह फैसला उन्होंने बेहद सहज ढंग से तब लिया था जब कोई इस बारे में बात भी नहीं करता था.
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