भारत में खराब जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ी हैं. इसमें हृदय संबंधी बीमारियों की दर अधिक होती है. शरीर में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल हृदय रोग का कारण होता है. इंडियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 15 प्रतिशत युवाओं में उच्च कोलेस्ट्रॉल का खतरा बढ़ रहा है. जो दुनिया भर के औसत 5 से 10% से कहीं ज़्यादा है.
रिपोर्ट में क्या शामिल है?
इंडियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का मुख्य कारण आनुवंशिकी है. इसे 'फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया' कहा जाता है, इसलिए कम उम्र में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से हृदय रोग का खतरा भी बढ़ जाता है.
इसके अलावा, इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हृदय रोग के मामले दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में एक दशक पहले आते हैं. यानी दुनिया भर में हृदय रोग की औसत उम्र 62 साल है, जबकि भारत में यह 52 साल है. क्योंकि ये बीमारियां आनुवंशिकता के कारण कम उम्र में ही हो जाती हैं.
ऐसा प्रतीत होता है कि इसमें लिपोप्रोटीन की मात्रा अधिक होती है
इस रिपोर्ट के मुताबिक भारतीयों के लिपिड प्रोफाइल में लिपोप्रोटीन की मात्रा अधिक होती है. चौंकाने वाली बात यह है कि 25 प्रतिशत से अधिक लोगों ने इसे सामान्य से अधिक पाया है. वैश्विक औसत 20 प्रतिशत से भी कम है. उच्च लिपोप्रोटीन का स्तर हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया के लिए आनुवंशिक जोखिम का संकेत देता है.
इतने प्रतिशत भारतीयों का लिपिड प्रोफाइल खराब है
हाल ही में लिपिड प्रोफाइल पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 81% भारतीयों का लिपिड प्रोफाइल खराब है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 67% भारतीय कम एचडीएल कोलेस्ट्रॉल (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) और उच्च ट्राइग्लिसराइड्स से जूझते हैं.
(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)
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