मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाता है भरतनाट्यम, डॉ.उमा रेले ने बताईं इस नृत्य की खूबियां

ऋतु सिंह | Updated:Mar 18, 2024, 08:37 PM IST

डॉ. उमा रेले

क्या आपको पता है कि अगर आप भरतनाट्यम रोज करें तो इससे सेहत को कई फायदे हो सकते हैं. महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार से सम्मानित डॉ.उमा रेले ने भरतनाट्यम से जुड़ी कई जानकारी दी है.

भरतनाट्यम एक शास्त्रीय भारतीय नृत्य शैली है और ये नृत्य शैली की विशेषता इसकी सुंदर चाल, जटिल हाथ के इशारे और लयबद्ध फुटवर्क है. लेकिन क्या आपको पता है कि इस डांस शैली के से फिजिकल ही नहीं, मेंटल हेल्थ भी बेहतर होती है.

नालंदा नृत्य कला महाविद्यालय मुंबई की प्राचार्य डॉ. उमा रेले को भरतनाट्यम के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान के लिए महाराष्ट्र के औद्योगिक मंत्री उदय सावंत और मंत्री दीपक वसंत केसरकर ने उन्हें महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया है.

डॉ. उमा रेले छात्रा थीं तब भी वह विशेष आवश्यकता वाले अस्थिबाधित, सुनने और बोलने में अक्षम बच्चों को प्रशिक्षण देने लगी थीं. उनका कहना है कि भरतनाट्यम एक साधना है जो मन-मस्तिष्क को सक्रिय करता है और इससे शरीर और मानसिक तरंगों का तालमेल बेहतर होता है. चलिए डॉ. उमा रेले से जाने कि भरतनाट्यम करने के और क्या फायदे हैं.

आपको भरतनाट्यम नृत्य क्यों सीखना चाहिए?

1. आंखों का अच्छा व्यायाम 

भरतनाट्यम में विभिन्न नेत्र गतिविधियां हैं जो आपकी आंखों के लिए बेस्ट एक्सरसाइज है. आंखों की भाव भंगिमाएं एक तरह से आपकी आंखों को और बेहतर बनाती हैं. इससे आंखों की मांसपेशियों मजबूत होती हैं. 

2. फिटनेस होती है बेटर

विभिन्न अदावस (मूल नृत्य चालें), मुद्राएं (हाथ के इशारे)  और अरिमुंडी (अपने पैरों की एड़ियों को एक-दूसरे को छूते हुए उकड़ू स्थिति में बैठना) हाथ, जांघ और पैर को मजबूत करते हैं. मांसपेशियों. वे एक सही और संरेखित मुद्रा भी सुनिश्चित करते हैं जो आपकी रीढ़ को मजबूत और लंबा करती है. 

3. संतुलन की बढ़ी हुई भावना

भरतनाट्यम में अनंत मुद्राएं हैं जो आपको शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करती हैं. 

4. नई भाषाए सीखने से दिमाग तेज होता है

भरतनाट्यम गाने संस्कृत, तमिल, कन्नड़ और तेलुगु गानों पर आधारित हैं. जब आप डांस स्टेप्स सीखते हैं और विभिन्न भाषाओं में गानों के अर्थ को पूरी समझ और आत्मसात करते हुए दृश्यों का अभिनय करते हैं, इससे आपका दिमाग तेज होता है.

5. बेहतर लचीलापन और गति

भरतनाट्यम में शिरो भेदा (सिर हिलाना), ग्रीवा भेदा (गर्दन हिलाना), दृष्टि भेदा (आंख हिलाना), अरिमुंडी (बैठना) और ऐसी कई गतिविधियां हैं जो शरीर को लचीलापन देते हैं

7. करियर की बेहतर संभावनाएं 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) ने संगीत और नृत्य को बढ़ावा दिया है क्योंकि इसमें कला को समग्र रूप से पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. इसलिए, छात्र अब भरतनाट्यम जैसे संगीत और नृत्य को व्यवस्थित रूप से अपना सकते हैं और उनमें सक्रिय करियर बना सकते हैं.

डॉ. उमा रेले शास्त्रीय नृत्य को आज की पीढ़ी पर थोपने के बजाय उसके प्रति जुनून पैदा करने के महत्व पर जोर देती हैं.

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