दिन भर के काम के बाद आराम करना हर व्यक्ति के लिए जरूरी है. नींद हमारी सेहत के लिए बहुत जरूरी है. नींद हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अनिद्रा या नींद की गड़बड़ी से मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है? एक नए अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग अपनी नींद के पैटर्न में बार-बार बदलाव का अनुभव करते हैं, उनमें मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है.
नई स्टडी में क्या कहा गया है?
अध्ययनों के अनुसार, सोने वाले लोगों की औसत नींद की अवधि 31 से 45 मिनट तक होती है. इन व्यक्तियों में मधुमेह का खतरा 15% बढ़ गया. वहीं, एक घंटे से ज्यादा देर तक सोने वाले लोगों में खतरा 59 फीसदी तक बढ़ गया. अध्ययन में यूके बायोबैंक के 84,000 से अधिक व्यक्ति शामिल थे. प्रतिभागियों ने सात रातों तक एक्सेलेरोमीटर पहना, जिससे उनकी नींद के पैटर्न पर नजर रखी जा सकी.
जो लोग कम सोते हैं उन्हें इसका खतरा अधिक होता है
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि जो लोग बहुत कम या बहुत अधिक सोते हैं उनमें मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है. अधिक सोने वालों में यह ख़तरा 34% तक बढ़ा हुआ पाया गया. नींद की कमी और मधुमेह के बीच संबंध दिखाने वाला यह पहला अध्ययन नहीं है. पिछले कुछ वर्षों में, कई अध्ययनों से पता चला है कि नींद की कमी से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है और उच्च रक्तचाप, मोटापा, अवसाद और हृदय रोग जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है.
किसी विशेषज्ञ से कब सलाह लें?
अगर आप भी नींद की समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको सावधान हो जाना चाहिए. नियमित नींद पाने के लिए आप कुछ कदम उठा सकते हैं, जैसे सोने का नियमित समय रखना, सोने से पहले फोन का इस्तेमाल कम करना और आरामदायक नींद का माहौल बनाना. यदि आप अभी भी नींद की समस्याओं का अनुभव करते हैं, तो आपको किसी विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए.
(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)
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