डीएनए हिंदी: जीवन में हर माता पिता चाहते हैं कि उनका बच्चे उनसे भी ज्यादा कामयाब और साहसी बनें. जिंदगी के सभी फैसले खुद और सही लें, लेकिन कुछ बच्चे बहुत ही शर्मीले स्वभाव के होते हैं. वह सभी के सामने आने और बोलने से बचते हैं. डर के साथ ही कॉन्फिडेंस की कमी होती है. बच्चे की स्वभाव, डर और कॉन्फिडेंस की कमी को लेकर मां बाप उनके भविष्य को लेकर चिंता में रहते हैं. अगर आपका बच्चा भी ऐसा है तो परेशान न हो. बच्चे में आप भी आत्मविश्वास भर सकते हैं.
माता पिता कुछ एक्सपर्ट्स की कुछ टिप्स अपनाकर बच्चों साहसी और हिम्मत वाला बना सकते हैं. इससे बच्चों में कॉन्फिडेंस को बढ़ता ही है. वह अपने फैसले खुद ले पाते हैं. अपनी किसी हिचकिचाहट के सभी सामने रखते हैं. आइए जानते हैं कैसे बच्चों बूस्ट करें आत्मविश्वास
खुद करने दे अपने काम
अगर आप को बच्चे में कॉन्फिडेंस की कमी लगती है. उसे आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं तो अपने काम खुद करने दीजिए. उसकी दूसरों पर निर्भरता को धीरे धीरे कम कर दीजिये. बच्चे को अपना बैग बनाने से लेकर तैयार होने तक के कार्य खुद करने दें. इससे बच्चे में जिम्मेदारी बढ़ेगी. उसे खुद को जिम्मेदार बनाने का एहसास होगा. इससे बच्चा जीवन में आने वाली कठिनाईयों के सामने कमजोर बनने की जगह डटकर सामना कर सकेगा.
बच्चों को सिखाएं व्यवहार
अगर बच्चा सभी के सामने आने से शर्माता है या घबराता है तो उसे समझाइये. बच्चे को बताईये कि कैसे लोगों के सामने व्यवहार करना है. उनके मन की बात जानें. मन में छिपे डर और हिचकिचाहट को बाहर लेकर आएं. ऐसा करने से बच्चे चुनौतियों का सामना करने से नहीं डरेंगे. उनके दिमाग में चल रही गलतफहमियां भी दूर हो जाएगी.
बच्चे को सिखाएं ये काम
आज के समय में माता पिता बच्चे को कोई काम नहीं करने देने चाहते हैं. बच्चा खुद भी आगे बढ़ता है तो उसे रोकते हैं. ऐसा करना गलत है. बच्चे को हाईजीन के बारें बताएं. उन्हें ब्रश से लेकर घर की डस्टिंग करना सिखाएं. उनके साफ सफाई का महत्व बताएं. जब आप खुद कोई काम कर रहे हैं तो उसमें बच्चों की मदद लें. ऐसा करने से बच्चे के अंदर आत्मविश्वास बढ़ता है.
शब्दों की अहमियत समझाएं
बच्चों को बातचीत में कौन सा शब्द कैसे और कब इस्तेमाल करना है. यह जरूर सिखाएं. इसके लिए आपको बच्चे की कोई क्लास नहीं लेनी है. उन्हें सिर्फ प्यार से समझाना है कि कोई भी ऐसी बात न बोले जिससे किसी को बुरा लगे. बहुत चिल्लाकर नहीं बोलना चाहिए. अपने काम समय पर पूरे करने चाहिए. बच्चों को गलती पर डांटने की बजाए उसकी वजह जानें और प्यार से समझाएं.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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