Positive Vibes At Home: घर की वाइव्रेशन पॉजिटिव बनाएं तो आस-पास सब कुछ होगा अच्छा-बीके शिवानी

सुमन अग्रवाल | Updated:Nov 22, 2022, 08:46 AM IST

Posituve Vibes at home- अपने घर की वाइव्रेशन को पॉजिटिव बनाएं तो जिंदगी और आस पास सब कुछ पॉजिटिव होता जाएगा. बीके शिवानी के कुछ टिप्स फॉलो करें

डीएनए हिंदी: Positive Vibration At Your Home Tips- हम सभी को अच्छी से पता है कि हमें जीवन में क्या चाहिए. अच्छी सेहत चाहिए, मन खुश चाहिए,रिश्ते में प्यार चाहिए, दुनिया बहुत खूबसूरत चाहिए लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि अब इन सब चीज़ों को बनाएगा कौन? मेरी दुनिया, मेरे भाग्य का निर्माता कौन है? जब भी जीवन में कोई भी छोटी बड़ी बात आती है, तो हम कहते हैं कि मेरे साथ भगवान ने ऐसा क्यों किया? इसका कारण क्या है. तो आज मोटिवेशनल स्पीकर बीके शिवानी हमें बता रही हैं कि कैसे हम अपने घर की वाइव्रेशन को अच्छा बनाए तो सभी चीजें धीरे धीरे अच्छी होती जाएंगी.

बचपन से ही बहुत गहरा बिलीफ सिस्टम है कि हमारा भाग्य ऊपर वाला लिख रहा है. इसलिए जब कोई भी बात आती है तो हम कहते हैं कि ऊपर वाले की मर्ज़ी. पत्ता पत्ता भी उसकी मर्ज़ी से हिलता है. हमने ऐसा सुना, पढ़ा और मान लिया. जिसने कहा था किसी भाव से कहा था और आज यह बिलीफ सिस्टम बन गया है. वास्तव में, जो हम पढ़ते हैं और सुनते हैं, उस पर हमें विचार भी करना चाहिए. सारे दिन में इतने उतार-चढ़ाव आ रहे हैं, किसी बच्चे की अकाले मृत्यु हो रही है, कोई बच्चा तो पैदा होते ही बीमारी के साथ आ रहा है, किसी के पास बच्चा नहीं है तो किसी के पास मात-पिता ही नहीं हैं. क्या यह सब वो ऊपर बैठकर लिखेगा हमारा भाग्य? क्या भगवान ऐसा है? अगर हम भी किसी का भाग्य लिखेंगे तो ऐसा भाग्य किसी का नहीं लिखेंगे. हम रोज़ उसे बता देते हैं - मेरी लाइफ में यह ठीक कर दो, मेरे बच्चे की लाइफ में यह ठीक कर दो, मेरे बिज़नेस में ये ठीक कर दो. फिर हम उन्हें इंसेंटिव देने की भी बात करते हैं कि अगर आपने यह किया तो मैं आपके लिए यह करूंगी. मंदिर में जाना, प्रसाद चढ़ाना, तीर्थ जाना ये सब करते हैं.

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यह तो प्यार और भावना से होना चाहिए, डील से नहीं होना चाहिए. डील से अगर किया तो उसके अंदर से भावना ही चेंज हो गई है. फिर डील भी कंडीशनल की है, अगर काम किया तो, हम आएंगे, नहीं किया तो हम नहीं आएंगे. इस प्रकार से हम वह खूबसूरत रिश्ता भूल गए जो हम उसके साथ बना सकते हैं. यह सब एक भय से क्रिएट हुआ कि जो कुछ भी हो रहा है, वो उसकी मर्ज़ी से हो रहा है. फिर हम उससे पूछते हैं कि हे भगवान्, तेरी दुनिया की हालत देख क्या हो गई है, इसे ठीक करो.

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यह दुनिया जो आज है, इसे हम कलयुग कहते हैं, बल्कि घोर कलयुग कहते हैं. यह घोर कलियुग बनाने में हम सब ने कंट्रीब्यूट किया है. आइये जानते हैं हमने इसे कलयुग बनाने में क्या कंट्रीब्यूट किया है. इसे प्रदूषित कर दिया है. सबसे बड़ा प्रदूषण है मानसिक अथवा भावनात्मक प्रदूषण, जो हवा में है. एक ऐसा समय जब हम में से अधिकांश कह रहे हैं टेंशन, स्ट्रेस, डर, गुस्सा तो नार्मल है, तो हवा के अंदर क्या होगा? जो हम सोचते हैं वैसा ही हम हमारे आस पास पाते हैं. घर, ऑफिस, शॉपिंग मॉल, सबकी एनर्जी हमारे मन से क्रिएट होती है. अतः अपने मन को चेंज करना होगा

हम ही अपने स्थान की एनर्जी बनाते हैं और फिर हमें ही अपने स्थान में रहना है. जब हम मंदिर, गुरूद्वारे, आश्रम जाते हैं, तो हम कहते हैं - बड़ी शान्ति लग रही है. उस मंदिर का पीसफुल वाइब्रेशन भी हमने बनाई है. जब हम मंदिर जाते हैं तो हम में समर्पण, शांति, शक्ति की, पूजा की भावना जाग्रत हो जाती है. जब हम वापिस घर आ जाते हैं तो हमारी सोच थोड़ी सी बदल जाती है. जैसे ही हमारी सोच बदल जाती है, हमारे घर का वातावरण बदल जाता है. ऑफिस में भी यही बात लागू होती है. अतः यह स्पष्ट है कि कलयुग हमने बनाया और अब इसका वातावरण ही हमें मुश्किल लगने लगा है.

इसके बजाय कि हम यहां के वातावरण को और मुश्किल बना दें, क्यों न हम इसके वातावरण को सतयुग बना दें. अब हमें पता चल गया कि कलयुग हमने बनाया है और कैसे-2 कंट्रीब्यूट किया है. अब मुझे इसे सतयुग बनाना है - मुझे जिम्मेदारी लेना कि मुझे ही अपनी दुनिया को बदलना है. घर, ऑफिस और समाज के बाहर की दुनिया मुझे अपनी सोच से ही पॉजिटिव करनी है

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