डीएनए हिंदी: Kabir Das Ji Ke Dohe in Hindi- संत कबीरदास जी कहते हैं, कि जब गुरु और गोविंद एक साथ खड़े हों तो उन दोनों में से गुरु को प्रणाम करना चाहिए क्योंकि गुरु ही होते हैं जो गोविंद के पास जाने का मार्ग मनुष्य को बताते हैं. संत कबीर दास जी के ऐसे कई दोहे हैं जो मनुष्य को समस्याओं के अंधेरे से निकालकर समाधान के प्रकाश में ले जाते हैं. जीवन की आपाधापी में हर इंसान लक्ष्य प्राप्ति के लिए हाथ-पांव मार रहा है, किसी भी क्षेत्र में सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ना इतना आसान नहीं होता है. हमेशा साधना के मार्ग पर या फिर कहें लक्ष्य की राह में तमाम मुश्किलें आती हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं जिंदगी का फलसफा सिखाने वाली संत कबीर की दिव्य वाणियों का सार..
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पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।।
इस दोहे में संत कबीर दास जी कहते हैं कि बड़ी से बड़ी पोथी पढ़ने से कोई लाभ नहीं मिलता, जब तक कि आपमें विनम्रता नहीं आती है या फिर लोगों से प्रेम से बात नहीं करते हैं. कबीर दास जी कहते हैं जिसे प्रेम के ढाई अक्षर का ज्ञान प्राप्त हो जाता है वही इस संसार का असली विद्वान है.
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।।
संत कबीर दास जी कर्मकांड के बारे में कहते हैं कि लंबे समय तक हाथ में मोती की माला फेरने से कुछ लाभ नहीं मिलता. इससे आपके मन के भाव शांत नहीं होता. कबीर दास जी कहते हैं कि चित्त को शांत रखने और मन को काबू रखने से ही मन की शीतलता प्राप्त होगी. लोगों को अपने मन को मोती की माला की तरह सुंदर बनाना चाहिए.
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान।
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।।
कबीर दास जी जात-पात का विरोध करते थे. कबीर दास की का कहना था कि आप जिससे भी ज्ञान प्राप्त कर रहे हों उसकी जाति के बारे में न सोचें. इसका कोई महत्व नहीं होता है. कबीर दास जी आगे कहते हैं कि तलवार का मोल तलवार के म्यान से अधिक होता है क्योंकि तलवार का महत्व उसे ढकने वाले म्यान से ज्यादा होता है.
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जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय।
यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोय।।
संत कबीर दास जी मन की पवित्रता पर ज्यादा जोर देते हैं. उनका कहना था कि अगर आपका मन साफ और शीतल है तो इस संसार में कोई भी मनुष्य आपका दुश्मन नहीं हो सकता है, लेकिन अगर आपके मन में अहंकार है तो बहुत से लोग आपके दुश्मन बन जाएंगे. आप समाज में खुश रहना चाहते हैं तो किसी को भी अपना दुश्मन न बनाएं. सभी से प्रेम-व्यवहार बनाए रखें. इससे हर कोई आपका दोस्त बनकर रहेगा.
गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पांय
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय।
कबीर दास जी कहते हैं कि गुरु और गोविंद जब एक साथ खड़े हों तो उन दोनों में से सबसे पहले गुरु को प्रणाम करना चाहिए. क्योंकि गुरु ही गोविंद के पास जानें का मार्ग बताते हैं. गुरु पूजनीय हैं हमें सबसे पहले उनका उनका आदर सत्कार करना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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