Shalabhasan: वजन कम करने के लिए हर रोज करें यह आसन, यहां जान लें आसान तरीका

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 04, 2022, 06:42 AM IST

शलभासन संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है. पहला 'शलभ' यानी टिड्डे या कीट (Locust) और दूसरा 'आसन' यानी मुद्रा. अंग्रेजी भाषा में इस आसन को 'ग्रासहोपर पोज' कहा जाता है.

डीएनए हिंदी: योग स्वस्थ रहने का सबसे सरल और सटीक उपाय है. इसके नियमित अभ्यास से न केवल आप स्वस्थ और सुखी रहतें हैं, बल्कि आपका इम्युनिटी सिस्टम भी मजबूत होता है. शरीर की सक्रियता को बनाए रखने के साथ लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए योग का नियमित अभ्यास करना काफी लाभदायक माना जाता है. योग के कई आसन हैं. इन्हीं में से एक हैै शलभासन. आइए इस आर्टिकल में शलभासन योग करने के आसान स्टेप्स और उसके फायदों (Benefits of Shalabhasan) के बारे में जानते हैं.

क्या है शलभासन?
शलभासन संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है. पहला 'शलभ' यानी टिड्डे या कीट (Locust) और दूसरा 'आसन' यानी मुद्रा. अंग्रेजी भाषा में इस आसन को 'ग्रासहोपर पोज' कहा जाता है.

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शलभासन करने का आसान तरीका

  • शलभासन करने के लिए सबसे पहले किसी साफ स्थान पर चटाई बिछा कर उलटे पेट के बल लेट जाएं.
  • कुछ ऐसे कि आपकी पीठ ऊपर की ओर रहे और पेट नीचे जमीन पर रहे. 
  • दोनों पैरो को सीधा रखें और अपने पैर के पंजे को सीधे तथा ऊपर की ओर रखें. 
  • अब अपने दोनों हाथों को सीधा करें और उनको जांघों के नीचे दबा लें. अपना दायां हाथ दायीं जांघ के नीचे और बायां हाथ बायीं जांघ के नीचे हो.
  • इस दौरान अपने सिर और मुंह को सीधा रखें. 
  • अब एक गहरी सांस अंदर की ओर लें. 
  • इसके बाद अपने दोनों पैरों को ऊपर की ओर उठाने की कोशिश करें.
  • अगर आप इस अभ्यास में नए हैं तो पैरों को ऊपर करने के लिए अपने हाथों का सहारा ले सकते हैं.
  • इस मुद्रा में कम से कम 20 सेकंड तक रहने की कोशिश करें.
  • इसके बाद आप धीरे-धीरे अपनी सांस को बाहर छोड़ते हुए पैरों को नीचे करते जाएं. 
  • अब दोबारा अपनी प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं. इस अभ्यास को 3-4 बार दोहराएं.

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शलभासन के जबरदस्त फायदे

  • शलभासन वजन को कम करने के लिए एक अच्छी योग मुद्रा मानी जाती है. 
  • शलभासन शरीर में चर्बी को खत्म करने में मदद करता है. 
  • मांसपेशियों को मजबूत करता है.
  • इसके अलावा कब्ज से भी राहत दिलाता है. 
  • शलभासन करने से शरीर में अम्ल और क्षार का संतुलन बना रहता है.

 

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