डीएनए हिंदी: पीरियड्स की असुविधा और दर्द से शायद ही कोई बचता होगा लेकिन इस दर्द और असुविधा के बीच नींद का डिस्टर्ब होना भी बड़ी और गंभीर समस्या है. पीरियड्स के कारण रातों की नींद प्रभावित होती है और इसके पीछे वजह ऐंठन से लेकर लीकेज तक जिम्मेदार है.
यूके की एक शोध के मुताबिक नींद की कमी से महिलाओं में पीरियड्स के दौरान बेचैनी, चिंता और भय पैदा होने लगता है. यही नहीं रिसर्च में पाया गया कि अपने पूरे जीवनकाल में औसतन पांच महीने की नींद इन परेशानियों के चलते खो देती हैं. खास बात ये है कि तीन में से दो (69%) महिलाएं नींद की इस समस्या से जूझती हैं.
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बॉडीफॉर्म रिसर्च में 1,000 से अधिक महिलाओं पर हुए एक सर्वे के आधार पर पाया गया कि ये महलिाएंं पीरियड्स के दौरान लीकेज से बचने के लिए नींद से बार-बार उठती थीं. चार में से लगभग एक (24%) ही निश्चिंत सो पाती हैं. इसे पीरियोडसोमनिया का नाम दिया गया है.
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एक अध्ययन में पाया गया कि मासिक धर्म के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग के कारण नींद की अवधि कम हो जाती है. इससे थकान, तनाव और अवसाद की समस्या बढ़ती है. नींद की कमी ज्यादातर पीरियड क्रैम्प के कारण होती है जो हमेशा सुबह के समय होती है. रात में ब्लीडिंग नमी के कारण नींद को खराब करती है. जर्नल ऑफ स्लीप रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार जिन महिलाओं को नींद कम आती है उनकी नींद की गुणवत्ता भी सही नहीं होती है. अध्ययन में 500 से अधिक मासिक धर्म वाली महिलाओं को शामिल किया गया और सभी में ये समस्या कम या ज्यादा रही थी.
शोध के दौरान पाया गया कि महिलाओं ने पीरियड्स में नींद न आने के अलग-अलग थे. 57.6 महिलाओं इस दौरान सिरदर्द के कारण नहीं सो पाती थीीं तो 44 प्रतिशत महिलाएं पीरियड्स के दौरान अवसाद से इसे जोड़कर देखती हैंं.
41 प्रतिशत महिलाएं ब्रेस्ट में अधिक दर्द, 51 प्रतिशत महिलाओं को ब्लोटिंग, 8 प्रतिशत महिलाओं को कांस्टिपेशन और 69 प्रतिशत महिलाओं को पेट दर्द व क्रैंप के कारण नींद नहीं आती है.
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