कभी ऊंचाई से गिरना, कभी गहरे पानी में डूबना, कभी जानवरों का हमला या किसी प्रियजन की मौत, कभी भूत का सपना, ऐसी कई डरावनी चीजों के हमले जैसा सपना रोज देखना किसी के लिए भी भयानक हो सकता है.
कुछ लोगों में ये एक बीमारी बन जाती है और वो सोने से भी बचने लगते हैं क्योंकि उनको रोज बेहद भयानक सपने आने लगते हैं. कई लोगों को नींद के दौरान ऐसा महसूस होता है जैसे उनकी छाती पर कोई चीज़ दब रही है. खासकर जब सीधा सोना तो कई लोगों को कुछ भी बोलने में भी दिक्कत होने लगती है.
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह बीमारी है स्लीप पैरालिसिस, यानी नींद के दौरान लकवा मार जाना कहलाती है. इस बीमारी में उसके शरीर के सारे अंग सो जाते हैं लेकिन मस्तिष्क जाग रहा होता है. यानी दिमाग को नींद में भी रेस्ट नहीं मिलता है. इस बीमारी में मुंह से आवाज निकालने, हाथ-पैर हिलाने या शरीर को इधर-उधर हिलाने की क्षमता नहीं रहती. यह निद्रा पक्षाघात केवल कुछ सेकंड या एक या दो मिनट तक ही रह सकता है. लेकिन इतने समय में ही सपने में कुछ बुरे दृश्य आ जाते हैं जिससे सो रहा व्यक्ति काफी डर जाता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि ये गहरी नींद और जागने के बीच का एक तंत्रिका संबंधी विकार होता है. बार-बार स्लीप पैरालिसिस के कारण चिंता के कारण रक्तचाप असामान्य रूप से उच्च या निम्न हो जाता है, जिससे कई बार लोगों की मौत तक हो जाती है. डॉक्टरों ने पाया है कि यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है.
हालांकि, किशोरावस्था के दौरान इसका प्रभाव बढ़ जाता है. यह मुख्यतः 6 कारणों पर आधारित है. पर्याप्त नींद का अभाव. लगातार 7-8 घंटे तक नींद न आना. सोने की स्थिति बदलना. अत्यधिक धूम्रपान या शराब पीना. किसी कारण से दिमाग पर अधिक दबाव. पैनिक डिसऑर्डर, बाइपोलर डिसऑर्डर या कोई अन्य मानसिक विकार. इनके अलावा अन्य कारणों से भी स्लीप पैरालिसिस हो सकता है.
स्लीप पैरालिसिस से बचने के उपाय:
- लगातार 7-8 घंटे की नींद लें. अपनी आँखें बंद करके सोने की कोशिश करें ताकि आप बार-बार न उठें. मोबाइल या लैपटॉप न देखें.
- हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें.
- कमरे की रोशनी धीमी करके शांत वातावरण में बिस्तर पर जाएं. पर्याप्त वेंटिलेशन प्रदान करें.
- धूम्रपान, शराब पीना और कैफीनयुक्त पेय पदार्थ, जैसे चाय, कॉफी आदि का सेवन कम करना चाहिए. रात को सोने से पहले इन्हें पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए.
- रात के खाने के बाद बिस्तर पर जाने से पहले कम से कम एक घंटे तक हल्की सैर करें.
- दिन में अधिक न सोएं.
- एकाग्रता बढ़ाने के लिए प्रतिदिन कम से कम आधा घंटा ध्यान करना चाहिए. खुद को बार-बार याद दिलाएं कि स्लीप पैरालिसिस बहुत ही कम अवधि का हमला है. इन नियमों का पालन करने से इस आक्रमण से पूरी तरह छुटकारा पाया जा सकता है.
अगर नियमों का पालन करने के बाद भी आपको स्लीप पैरालिसिस से छुटकारा नहीं मिलता है तो आपको डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए.
Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.
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