Children's Health India : कुपोषित बच्चों की संख्या में आई है कमी लेकिन मोटापे ने बढ़ा दी है चिंता - UN Report

Written By शांतनू मिश्र | Updated: Jul 07, 2022, 11:05 PM IST

सांकेतिक चित्र

UN Report में सामने आया है कि भारत में कुपोषित बच्चों की संख्या घटी है मगर मोटे लोगों की संख्या में बड़ा उछाल आया है.

डीएनए हिंदी: संयुक्त राष्ट्र (United Nation Report) के 2019-2021 के रिपोर्ट में यह सामने आया है कि भारत में कुपोषित लोगों की संख्या पिछले 15 वर्षों में घटकर 224.3 मिलियन हो गई है. साथ ही रिपोर्ट में चेतावनी वाली जानकारी भी दी गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत में अधिक मोटे वयस्क लोग और एनीमिया से ग्रसित महिलाएं हैं. संयुक्त राष्ट्र के अन्य संगठनों की सामूहिक रिपोर्ट में यह भी बताया है कि भूख से प्रभावित लोगों की संख्या 2021 में बढ़कर 828 मिलियन हो गई है. वहीं 2020 से लगभग 46 मिलियन और COVID-19 महामारी के प्रकोप के बाद से 150 मिलियन की वृद्धि हुई है. 

भारत में घटी है कुपोषित लोगों की संख्या (Malnutrition Report in India)

कुपोषण की बात करें तो WHO के रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कुपोषित बच्चों की संख्या 2019-21 में घटकर 224.3 मिलियन हो गई, जो 2004-06 में 247.8 मिलियन थी.  संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या 2020 में घटकर 36.1 मिलियन हो गई है, जो 2012 में 52.3 मिलियन थी. अधिक वजन वाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या 2012 में 30 लाख से घटकर 2020 में 22 लाख हो गई है.

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वयस्क लोगों में बढ़ गया है मोटापा (Obesity Report in India)

लेकिन भारत में कुछ सालों के भीतर मोटे लोगों की संख्या में बड़ा उछाल आया है, जिनकी आबादी 1.38 बिलियन से अधिक है. बता दें 2012 में 25.2 मिलियन मोटापे से ग्रसित लोग थे जिनकी संख्या 2016 में बढ़कर 34.3 मिलियन हो गई है. इसके साथ एनीमिया से प्रभावित 15 से 49 वर्ष की आयु की महिलाओं की संख्या भी 2019 में बढ़कर 187.3 मिलियन हो गई जो 2012 में 171.5 मिलियन थी.

कोविड और यूक्रेन-रूस युद्ध ने बढ़ा दी है चिंता

बता दें 2020 में आई कोविड-19 महामारी के कारण खाने की कमी ने करीब 3.1 बिलियन लोगों परेशान किया. इसके साथ रूस-यूक्रेन युद्ध ने विश्व में भूख की समस्या को ओर भी बढ़ा दिया. करीब 2.3 बिलियन लोगों को महंगाई में हुई बढ़ोतरी की वजह से खाने-पीने की चीजों को खरीदने में परेशानी का सामना करना पड़ा. 

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