साड़ी पहनने की एक आदत उन्हें कैंसर के करीब ले जाती है. इस कैंसर को मेडिकल भाषा में साड़ी-पेटीकोट कैंसर का नाम दिया गया है. आइये जानते हैं आखिर मामला क्या है. महिलाओं की पारंपरिक पोशाक सारी को लेकर एक अहम रिसर्च सामने आई है. इस शोध के मुताबिक महिलाओं में साड़ी कैंसर या पेटीकोट कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा होता है. साड़ी कैंसर एक दुर्लभ स्थिति है, जो हर दिन साड़ी पहनने वाली महिलाओं को प्रभावित कर सकती है. यह कैंसर शरीर के उस हिस्से को प्रभावित करता है जहां साड़ी बांधी जाती है यानी कमर के बीच का हिस्सा.
क्या है ये साड़ी-पेटीकोट कैंसर
बिहार और महाराष्ट्र में डॉक्टरों द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि कई भारतीय महिलाएं साड़ी पहनते समय पेटीकोट को बहुत कसकर बांधती हैं. टाइट फिटिंग पेटीकोट त्वचा पर लगातार रगड़ और दबाव का कारण बन सकता है. लंबे समय तक संपर्क में रहने से कैंसर हो सकता है. डॉक्टरों ने दो बुजुर्ग महिलाओं के ऐसे मामलों की सूचना दी है, जिन्हें 'मार्गोलिन अल्सर' नामक त्वचा कैंसर हो गया है. रिपोर्ट हाल ही में बीएमजे केस रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुई थी.
क्यों होती है कस के नाड़ा बांधने से दिक्कत
टाइट पेटीकोट नाभि लंबे समय तक जलन पैदा कर सकती है. भारतीय गर्मियों के दौरान यह समस्या तेजी से बढ़ सकती है, खासकर ग्रामीण इलाकों में. टाइट साड़ी या हल्की चमक के कारण त्वचा का रंग खराब होना गंभीर लक्षण हो सकता है.
डॉक्टरों का कहना है कि साड़ी कैंसर का मतलब यह नहीं है कि साड़ी पहनने से कैंसर हो जाएगा, बल्कि यह एक प्रकार का त्वचा कैंसर है, जो पेटीकोट को बहुत कसकर बांधने से होता है. लंबे समय तक नाड़ा एक ही स्थिति में बंधा रहने से यह खतरा बढ़ जाता है.
केवल साड़ी ही नहीं, टाइट धोती पहनने वाले पुरुषों और टाइट चूड़ीदार पहनने वाली महिलाओं को भी त्वचा कैंसर का खतरा होता है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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