World Chronic Fatigue Syndrome Day: ज्यादा थकान और सुस्ती इस लाइलाज सिंड्रोम के हैं संकेत, जानें लक्षण और बचाव

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 12, 2023, 06:46 AM IST

क्रोनिक फटी सिंड्रोम किसी भी उम्र या शख्स को हो सकती है. इसके लक्षण भी बहुत ही साधारण हैं, जो समय रहते दिख जाते हैं, लेकिन इनको अनदेखा करना भारी पड़ सकता है. 

डीएनए हिंदी: ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी या मानसिक स्वास्थ्य पर ज्यादा तनाव की वजह से जल्द ही थकावट होने लगती है. इस भागदौड़ भरे लाइफस्टाइल में स्वास्थ्य पर असर पड़ना तय है. इसबीच आपका खराब खानपान भी आपकी सेहत को प्रभावित करता है. यह एनर्जी को खत्म कर देता है. इसे क्रोनिक फटी सिंड्रोम जैसी स्थिति पैदा हो सकती है. क्रोनिक फटीग सिंड्रोम लाइलाज बीमारियों में से एक है. इसमें हर समय थकावट के साथ ही शरीर में टूटा जैसा रहता है. यह समस्या तब और ज्यादा बढ़ जाती है, जब लोग खानपान में कुछ ऐसे फूड शामिल कर लेते हैं, जो हमारी एनर्जी को बढ़ाने की जगह सोखने लगते हैं. आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण और बढ़ने के कारण व बचाव

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एक्सपर्ट के अनुसार, सीएफएस यानी क्रोनिक फटी सिंड्रोम किसी भी उम्र की महिला पुरुष या बच्‍चों में हो सकती है, लेकिन इसकी चपेट में सबसे ज्यादा 20 से 40 साल की महिलाएं आती हैं. इसकी वजह उनकी खराब जीवनशैली और स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही भी है. इस बीमारी के लक्षण सामान्य हैं, जिन्हें दिखने पर भी जानकारी के अभाव में महिलाएं अनदेखा कर देती है. इसी के चलते धीरे धीरे यह बीमारी शरीर में घर कर लेती है. यह आपके रूटीन को प्रभावित करने लगती है. यह शरीर में बढ़ती चली जाती है. सीएफएस को मायलजिक इंसेफेलाइटिस भी कहते हैं. वहीं इसके ज्यादा बढ़ने पर इसे फाइब्रोमाइल्जिया के नाम से भी जाना जाता हैण्

ये हैं क्रोनिक फटी सिंड्रोम के लक्षण

इस बीमारी के लक्षणों में मुख्य रूप से जोड़ों में दर्द, नींद न आना, सिरदर्द, चक्कर आना, मितली, अवसाद, तनाव, चिंताए सोचने की समस्या, ध्यान केंद्रित न कर पाना और बिगड़ती याददाश्त शामिल हैं. यह बीमारी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती है. 

डाइट में शामिल ये चीजें बढ़ाती हैं क्रोनिक फटी सिंड्रोम

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मांस

कुछ लोग रेड मीट बहुत ज्यादा पसंद करते हैं. इसमें वसायुक्त मांस शामिल करना सेहत के लिए बेहद नुकसदानदायक होता है. यह क्रोनिक फटी सिंड्रोम को बढ़ाता है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए इसका कम से कम सेवन ही फायदेमंद होता है. 

सफेद ब्रेड

भागदौड़ भरी जिंदगी में कुछ लोगों के दिन की शुरुआत ही नाश्ते में सफेद ब्रेड के साथ होती है. इसकी वजह इनका जल्दी तैयार हो जाना है. इसमें फाइबर की मात्रा न के बराबर होती है. ऐसे में लगातार इसका सेवन क्रोनिक फटी सिंड्रोम को बढ़ा सकता है. इसके लक्षणों का अनुभाव भी किया जा सकता है. 

कैंडी

कुछ लोगों को कैंडी बहुत पसंद होती है. यही वजह है वह दिन भर कैंडी का मजा लेते हैं, लेकिन यह आपके स्वास्थ्य को खराब कर सकती है. चीनी से भरपूर कैंडी ग्लूकोज लेवल को स्पाइक कर देती है. इसके ज्यादा सेवन से ही थकान, सुस्ती महसूस होती है. 

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अल्कोहल

शराब हमारी बाॅडी को निर्जलित कर देती है, जब हम पीते हैं तो यह एनर्जी को बढ़ा देती है, लेकिन कुछ समय बाद ही इसे थकान होने लगती है. यह क्रोनिक थकान सिंड्रोम को विकसित करती है. 

ये हैं बचाव

क्रोनिक फटी सिंड्रोम शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से प्रभावित करता है. इसके लिए हर समय थकान, सुस्ती या नींद व दर्द रहने पर डाॅक्टर को जरूरी दिखाएं. इस समस्या के डिटेक्ट होने या लक्षण महसूस करने पर दिनचर्या और खानपान में बदलाव कर लें. दिनचर्या में योगासन, एक्सरसाइज और घूमना शामिल करें. इसके साथ फाइबर और प्रोटीन युक्त चीजों को सेवन करें.

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