Darjeeling Tea: चांदनी रात में खास लोग ही क्यों तोड़ते हैं चाय की ये पत्तियां, ब्रिटेन का शाही परिवार भी है इसका दीवाना

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jan 16, 2023, 02:21 PM IST

चांदनी रात में खास लोग ही क्यों तोड़ते हैं चाय की ये पत्तियां

Silver Tips Imperial Tea दार्जलिंग में पैदा होने वाली दुनिया की सबसे महंगी चाय की पत्तियों में से एक है, जानिए इसके बारे में..

डीएनए हिंदीः दार्जलिंग पश्चिम बंगाल (West Bengal) का खूबसूरत हिल स्टेशन तो है ही, साथ ही यह कड़क चाय के लिए भी बेहद फेमस है (Darjeeling Tea). सालों से दार्जलिंग की चाय की पत्तियों का निर्यात दुनियाभर में हो रहा है. यही वजह है कि दुनिया भर में दार्जलिंग ‘शैम्पेन ऑफ़ टी’ (Champagne of Teas) के नाम से फेमस है. दार्जलिंग (Darjeeling) में वैसे तो कई तरह की चाय की पत्तियों का उत्पादन होता है, लेकिन इन सब में से सबसे खास और अलग है 'सिल्वर टिप्स इम्पीरियल चाय' (Silver Tips Imperial Tea). यह चाय दुनिया के टॉप 10 सबसे महंगी चाय की लिस्ट में शुमार है. इस चाय को ब्रिटेन, अमरीका और जापान के ख़रीदार ले जाते हैं (Most Expensive Tea). इतना ही नहीं ब्रिटेन का शाही परिवार (British Royal Family) इस चाय का दीवाना है. आइए जानते है इस चाय से जुड़ी कुछ खास बातें..

1.36 लाख रुपये प्रति किलो है कीमत 

इस चाय की पत्तियां केवल 50 से 100 किलो के बीच ही पैदा होती है. ऐसे में तैयार होते ही जापान, ब्रिटेन और अमरीका के ख़रीदार इसे खरीद लेते हैं. साल 2014 में यह चाय की पत्तियां 1.36 लाख रुपये प्रति किलो से भी ज़्यादा दाम पर बिकी थीं. भारत में पैदा होने वाली इस चाय की कीमत किसी भी चाय से अब तक की सबसे ज़्यादा क़ीमत का रिकॉर्ड है.

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पूर्णमासी के दौरान ही तोड़ी जाती हैं इसकी पत्तियां

इस चाय की पत्तियों को पूर्णमासी के दौरान तोड़ने की ख़ास वजह है. क्योंकि इस दौरान समुद्र में ज्वार आता है, जो बहुत ताकतवर होता है. इससे पूरे ब्रह्मांड की शक्ति धरती पर असर डालती है. कहा जाता है कि ऐसे मौक़े पर जो भी चीज तैयार की जाती है, वो बहुत ही ताक़तवर होती है. क्योंकि इस वक्त हवा में ज़्यादा ऑक्सीजन होता है और आबो-हवा में ऊर्जा ज़्यादा होती है. जिसके प्रभाव से नरम और चिकनी चाय की पत्तियां तैयार होती हैं. इस चाय को तोड़ने की प्रक्रिया देखने के लिए सैलानी अलग-अलग देशों से दार्जिलिंग आते हैं. 

कुछ खास लोग ही तोड़ते हैं इस चाय की कलियां 

यह चाय ‘मकाईबाड़ी बागान’ में ही उगाई जाती है, जिसे कुछ खास दिनों में ही 4 से 5 बार तोड़ा जाता है. इसके अलावा इस चाय की कलियों को कुछ खास लोग ही तोड़ते हैं. पूर्णमासी की रात हाथ में मशाल लिए हुए कुछ खास मजदूर ही इसकी कलियां चुनते हैं और भोर होने से पहले पैक कर देते हैं. क्योंकि सूरज की किरणें पड़ने से इसकी खुशबू पर असर पड़ता है और स्वाद के साथ साथ इसका रंग-रूप भी बदल जाता है.

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163 साल पुराना है ‘मकाईबाड़ी का बागान

1859 में स्थापित मकाईबाड़ी का चाय बागान दार्जिलिंग का सबसे पुराना टी एस्टेट है. जिसे जीसी बनर्जी ने स्थापित किया था. फिलहाल इस बागान को उनके पड़पोते राजा बनर्जी चलाते हैं. ये बागान दुनिया का पहला बायोडायनैमिक टी फ़ार्म है. मकाईबाड़ी में धरती और ब्रह्मांड के दूसरे ग्रहों की चाल के हिसाब से चाय तैयार किया जाता है.

ब्रिटेन का शाही परिवार भी इस चाय का है दीवाना

इस चाय के शौकीनों में ब्रिटेन का शाही परिवार भी शामिल है. 2018 में अपनी ब्रिटेन यात्रा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने ब्रिटेन की पूर्व महारानी एलिज़ाबेथ को ‘सिल्वर टिप्स इम्पीरियल चाय’ का एक पैकेट गिफ़्ट किया था. इसके अलावा साल 2014 के 'Football World Cup' के दौरान भी यह चाय बेची गई थी. 

एंटी-एजिंग है यह चाय 

इस चाय की और भी कई खूबियां हैं. ये चाय एंटी-एजिंग है और डिटॉक्स भी करती है. इसके अलावा इस चाय में मौजूद पॉलीफ़ेनोलिक कंपोनेंट्स की वजह से पाचन तंत्र भी दुरुस्त रहता है. साथ ही कई रोगाणुरोधी गुण होने की वजह से ये चाय पाचन तंत्र की सफाई करती है, जिसकी वजह से पाचन तंत्र स्वच्छ और मज़बूत बना रहता है.

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