डीएनए हिन्दी: शादी की तरह तलाक़ भी शाश्वत सच्चाई है. भारतीय संविधान में इसे हिन्दू मैरिज एक्ट के सेक्शन 13 में शादी के ख़त्म होने के तौर पर मान्यता दी गयी है. वहीं मुस्लिम शादियों में यह Dissolution of Muslim Marriages Act, 1939 के तहत दर्ज है. फैमिली कोर्ट के एक आंकड़े के अनुसार मुंबई में हर दिन लगभग 22 डाइवोर्स पिटीशन फ़ाइल होते हैं. एक और आंकड़ा कहता है कि कोविड के दौरान तलाक़ के मामले बढ़े हैं. क्या हैं वो वजहें जिनकी वजह से तलाक़ के मामले बढ़े हैं.
- स्त्रियों का जागरूक होना – इन दिनों हुए अधिकांश मामलों में तलाक़ के एक प्रमुख वजह के रूप में स्त्रियों का अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना है. अधिकारों को जानने वाली लड़कियों ने पति और परिवार के अन्याय के ख़िलाफ़ खुलकर बोलना शुरु कर दिया है. अपने अधिकारों की रक्षा करने और अपने सम्मान को बचाने के लिए उन्होंने विवाह को अब जन्म-जन्मान्तर के बंधन से बाहर निकलना शुरु कर दिया है. मानसिक और आर्थिक रूप से आज़ाद होने ने भी महिलाओं को आगे बढ़ने में मदद दी है.
- बेवफ़ाई – इसे तलाक़ के दूसरे सबसे बड़े कारण के तौर पर दर्ज किया गया है. रपटों और सर्वेक्षणों की मानें तो इसमें मोबाइल फोन और डेटिंग एप्स का भी ख़ासा योगदान है.
- पति-पति के बीच सेक्सुअल समस्याएं – सेक्सुअल कम्पेटिबिलिटी का न होना भी तलाक़ के बड़े कारणों में एक माना जाता है. कई बार इंटरेस्ट की कमी या किसी तरह के सेक्सुअल डिसऑर्डर का छिपाना भी तलाक़ के कारणों में निकल कर सामने आया है. इस आधार पर तलाक़ मिलता भी है.
- घरेलू हिंसा या क्रुएल्टी – कुछ दशक पहले औरतों के ख़िलाफ़ जिस घरेलू हिंसा को बेहद सामान्य माना जाता था, उसके ख़िलाफ़ अब आवाज़ उठानी शुरु कर दी है महिलाओं ने और हिंसापूर्ण रिश्तों से बाहर निकलने के लिए मोर्चा भी लेना शुरू कर दिया है. वह हर जोखिम उठाने को तैयार रहने लगी हैं. फैमिली कोर्ट ने घरेलू हिंसा को तलाक़ की एक बड़ी वजहों में एक माना है. इसे कई सेक्शन में पर्याप्त सबूत के साथ आपराधिक भी माना गया है.
- डेजर्टेशन – डेजर्टेशन या पति/पत्नी का छोड़ जाना भी तलाक़ के बड़े कारणों में उभर कर आया है. सेक्शन 9 जिसका लेना-देना restitution of conjugal rights यानि कोर्ट की मदद से वैवाहिक संबंधों की स्थापना से है, कई तलाक़ के केसों की भूमिका के तौर पर काम करता है.