डीएनए हिंदी: एक वक्त था जब पत्र लिखने या संदेश भेजने के किसी भी माध्यम के जरिए रिश्ते और भी मजबूत हो जाया करते थे लेकिन आज टेक्नोलॉजी इतनी आगे निकल गई है कि संदेश भेजने के कई और माध्यम तो आ गए हैं लेकिन रिश्ते उतने ही उलझ भी गए हैं.बदलते वक्त के साथ मैसेज करने की प्रक्रिया ने रिश्तों में और दूरी-तनाव बढ़ा दिया है.
आमने-सामने न मिलकर मैसेज के जरिए बातचीत करने से गलतफहमियां ज्यादा बढ़ने लगी हैं और कई यही रिश्ते टूटने के कारण भी बन जाते हैं. रिश्तों में मिठास की जगह कड़वाहट घुल जाती है.जब हमने इस बारे में मनोवैज्ञानिक से बात की तो उन्होंने इसके पीछे कई कारण बताए. आईए जानते हैं उन कारणों को और साथ में कैसे रिश्तों को और मजबूत बनाया जाए इसके कुछ उपाय भी समझते हैं
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Messages makes relationships complicated
मैसेज में सामने वाले का भाव नहीं समझा आता बस शब्द होते हैं
मैसेज में सबसे बड़ी दिक्कत होती है कि हमें ये समझ नहीं आता कि मैसेज करने वाला किस भाव से लिख रहा है, उसका मूड कैसा है. हमें बस उसके शब्द मिलते हैं. सामने वाले ने किस मनोस्थिति में वो संदेश लिखा है? शब्द ये सब बयां नहीं कर पाते हैं. कई बार तो संदेश का मतलब ही नहीं समझ आता और हम उसे गलत समझ बैठते हैं. हमें शब्द दिखते हैं और हम प्रतिक्रिया दे बैठते हैं इसलिए गलतफहमियां बढ़ती हैं.
चेहरा नहीं दिखता,बस मैसेज मिलता है
चेहरा न दिखने के कारण कई बार सामने वाले के लिए गलत धारणाएं बन जाती हैं. मैसेज पढ़ते समय हमें सामने वाले का चेहरा नहीं दिखता.शब्दों के उतार-चढ़ाव के साथ ही चेहरे के एक्स्प्रेशन की भी काफी अहमियत होती है. जब हम आमने-सामने बातें करते हैं तो देखते हैं कि सामनेवाला किस बात पर ग़ुस्सा है,किस बात से खुश है,हो सकता है उसे हमने ही ग़ुस्सा दिलाया हो लेकिन मैसेज में नाराजगी का कारण नहीं समझ आता और हम सॉरी कहने से बचते हैं
मैसेज में झगड़े सुलझाना आसान नहीं
जब हम किसी के सामने होते हैं तो कोई भी झगड़े को सुलझाना आसान होता है लेकिन मैसेज में कितनी भी बातें लिख दीजिए उसका कोई समाधान नहीं होता. आप खुदको सही साबित नहीं कर पाते, आपका समय वेस्ट होता है. बस सही और गलत साबित करने की बहस जारी रहती है.
मैसेज का जवाब देर से आने पर होती है चीढ़
कई बार मैसेज का जवाब आने पर भी हमें चीढ़ होती है और गुस्सा आ जाता है. क्या पता सामने वाला बीजी है या फिर कोई परिस्थिति में घिरा हुआ है लेकिन अगर उसने मैसेज का जवाब नहीं दिया तो उसे गलत समझ लिया जाता है ऐसा नहीं होना चाहिए. हम खाम खा उल्टे पुल्टे खयालात पैदा करने लग जाते हैं.
मैसेज में प्यार का एहसास कम होता है
फेस टू फेस बात करने का बहुत फायदा है,अगर कोई आपसे नाराज है या कोई गलतफहमी है तो कम से कम हम सामने से उसे गले लगाकर मन हल्का कर सकते हैं, बात को ज्यादा न बढ़ाकर बस एक झप्पी से सब कुछ खत्म कर सकते हैं और एक नई शुरुआत हो सकती है लेकिन मैसेज में बात अधूरी सी रह जाती है और सुलह करने का कोई खास रास्ता नहीं नजर आता
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किन बातों का रखें ख्याल तो सुधर सकते हैं रिश्ते (Tips to improve your relationship in Hindi)
मनोवैज्ञानिक बरेली कॉलेज की मनोवैज्ञान विभाग की एसिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर हेमा खन्ना बताती हैं कि अगर हम मैसेज करने से पहले कुछ बातों का ख्याल रखें तो रिश्तों में खटास पैदा नहीं होगी
1- रिश्ता कैस है, अगर बहुत खास है तो उस तरह से मैसेज करें, अगर आम है या प्रोफेशनल है तो उस तरह से मैसेज करें, मतलब यही कि रिश्ते की अहमियत को देखते हुए मैसेज करना चाहिए
2- मैसेज में शब्दों का आंकलन बहुत ही सावधानी से करना चाहिए, रिश्ते की गंभीरता को समझते हुए शब्दों का प्रयोग करेंगे तो रिश्तों में गांठ नहीं आएगी
3- जब आपका मूड अच्छा नहीं है, उस वक्त मैसेज का रिप्लाइ देने से बचें,मतलब ये कि समय की नजाकत को देखकर मैसेज करें, ताकि उस मैसेज का प्रभाव सही पड़े,
4- परिस्थिति अगर सेंसेटिव है तो उस वक्त मैसेज ना करें,साइलेंट रहने में ही बेहतरी है
5-अगर बात ज्यादा आगे बढ़ रही है,तो उस वक्त मैसेज करना बंद कर दें,कोई भी इमोजी का इस्तेमाल न करें, उससे गलतफहमियां ज्यादा होती हैं
6-लगातार मैसेज करते रहने से एंग्जाइटी भी बढ़ सकती है, ऐसे में कई और तरह की बीमारियां पैदा हो जाती हैं
7- कोई भी बुरी खबर मैसेज में नहीं देनी चाहिए, इससे सामने वाले का मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है.
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