डीएनए हिंदी: ऑनलाइन या ब्लाइंड डेटिंग (Online or Blind Dating) के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन शुगर डेटिंग (Sugar Dating) के बारे में ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता. शुगर डेटिंग भी आम डेटिंग ही होती है बस इसमें कपल्स की उम्र के बीच फासला ज्यादा होता है.
असल में शुगर डेटिंग में बड़ी उम्र का शख्स जब छोटे उम्र के साथी के साथ अपनी यौन जरूरतों को पूरा करने के लिए आर्थिक लाभ पहुंचाता है. अमूमन ये शुगर डेटिंग ज्यादा उम्र के पुरुष और कम उम्र की लड़कियों के बीच होती है. यही कारण है कि इस डेटिंग को शुगर डैडी कहा जाता है.
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इस डेटिंग में बड़ी उम्र का शख्स केवल अपनी यौन जरूरतों को पूरा करने के लिए महंगे तोहफे, डिनर या आउटिंग ट्रिप का ऑफर खुद से बेहद कम उम्र की लड़कियों को देते हैं. ऐस तरह की डेटिंग से रिश्ते बहुत कांप्लीकेटेड भी होते हैं. मनोवैज्ञानिक आधार पर शुगर डेटिंग को व्यक्तित्व, कॅरियर और मेंटल और सेक्सुअल हेल्थ के लिए सही नहीं माना गया है. तो चलिए जानें कि शुगर डैडी (Sugar daddy) या शुगर डेटिंग (Sugar dating) से जुड़ी हर बात.
समझिए क्या है शुगर डैडी
उम्र से बड़े लोगों के साथ डेटिंग करना ही शुगर डेटिंग है और यही कारण है कि सामान्य रूप से डेट कर रहे दो लोगों को हम गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बुलाते हैं, जबकि शुगर डेटिंग में शुगर डैडी और शुगर बेबी बोला जाता है.
म्युचुअली बेनिफिशियल रिलेशनशिप नहीं होती सेटिस्फेक्ट्री
शुगर डैडी इस डेटिंग के बदले शुगर बेबी के सारे फाइनेंशियल नीड्स को पूरा करते हैं और साथ ही उनके फिजिकल और इमोशनल नीड्स को पूरा करती है. साइकोलॉजिस्ट इस तरह के डेटिंग को मानसिक तथा शारीरिक तनाव का कारण भी मानते हैं. इसके पीछे वजह यही है कि ये डेटिंग दिल से नहीं, बल्कि फाइनेंशियलती जुड़ी होती है.
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शुगर डेटिंग एक म्युचुअली बेनिफिशियल रिलेशनशिप (Mutually Beneficial Relationship) होती है, यानी यह रिश्ता दोनों को फायदा पहुंचाने वाला होता है. ऐसी रिलेशनशिप्स अमूमन आर्थिक सह यौन ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बनाई जाती हैं. अक्सर ऐसे रिश्ते रिलेशनशिप केवल मैनिपुलेशन और सेक्सुअल एक्सप्लोइटेशन पर केंद्रित होते हैं.
इमोशनल अटैचमेंट भी संभव लेकिन.....
एक्सपर्ट की मानें तो वे शुगर डेटिंग में भी इमोशनल अटैचमेंट होने की संभावना को देखते हैं लेकिन इसे चांसेज बेहद कम होते है. उनका मानना है कि बहुत कम मामलो में फिजिकली अटैचमेंट के बाद इमोशनल लगाव होता है.
सोशिऑलोजिस्ट मारेन स्कल के मुताबिक़ शुगर डेटिंग कम से कम सात तरह की होती है. इसमें शुगर प्रॉस्टीट्यूशन से लेकर कम्पेंसेटेड कम्पैनियनशिप तक शामिल होती है. शुगर प्रॉस्टीट्यूशन जहां भावनाहीन होता है और केवल यौन सुख के बदले आर्थिक मदद की बात करता है वहीं कम्पेंसेटेड कम्पैनियनशिप में प्लैटोनिक रिश्ता होता है यानी शारीरिक की जगह भावनात्मक रिश्ता होता है.
समय के साथ बढ़ता एक्सपेक्टेशन होता है खतरनाक
समय के साथ ऐसी डेटिंग में एक्सपेक्टेशन्स सामने वाले की बढ़ने लगती हैं. दोनों में से किसी एक की भी एक्सपेक्टेशन्स बढ़ने से दूसरे में तनाव बढ़ता है. शुगर डैडी के एक्सपेक्टशंस बढ़ना ,हैरेसमेंट, सेक्सुअल एसॉल्ट और मैनिपुलेशन को जन्म देता है वहीं शुगर बेबी की एक्सपेक्टेशन फाइनेंशियल प्राब्लम क्रिएट कर सकती है.
यही कारण है कि ऐसी डेटिंग को लेकर बहुत ज्यादा लंबे रिलेशनशिप की संभावना नहीं होती. ऐसे रिलेशनशिप कड़वाहट के साथ खत्म होने के चांसेज बढ़ाते हैं.
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