Male Infertility: पुरुषों के शुक्राणु में कमी बन सकती है उनके बांझपन की वजह, जानिए कैसे

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 23, 2022, 05:07 PM IST

Male infertility के कई कारण हैं, जिसमें पुरुषों के कमजोर स्पर्म और स्पर्म की संख्या में कमी एक बहुत बड़ी वजह है. आइए जानते हैं कैसे इससे पुरुषों की फर्टिलिटी प्रभावित होती है

डीएनए हिंदी: आपने महिलाओं में बांझपन (Women Infertility) के बारे में सुना है लेकिन क्या पुरुषों में बांझपन (Male Infertility) की समस्या के बारे में सुना है. जी हां आजकल पुरुष भी इस समस्या से जूझ रहे हैं. पहले इस बारे में बात नहीं की जाती थी और सिर्फ महिलाओं को ही बच्चा न होने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है. बल्कि अब पुरुष भी उतने ही जिम्मेदार हैं. दरअसल उनमें शुक्राणुओं (Male Sperms) की संख्या में कमी हो रही है जिसकी वजह से ही बांझपन हो रहा है.

पुरुष बांझपन आमतौर पर शुक्राणुजनन (Sperms Count) यानी स्पर्मेटोजेनेसिस की समस्याओं के कारण होता है. इसके अलावा व्यस्त जीवनशैली,धुम्रपान, शराब का सेवन(Smoking, alchohol) हॉर्मोनल बदलाव, जेनेटिक रीजन या फिर कोई और कारण भी हो सकते हैं जो मेल इंफर्टिलिटी के लिए भी जिम्मेदार हैं

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Weak sperm and less sperm count in Hindi

आपने स्पर्म कमजोर या फिर स्पर्म कम हैं ऐसा सुना होगा लेकिन इसके बारे में ज्यादा समझ नहीं होगी. दरअसल, शुक्राणु (वीर्य) की कमी को तकनीकी रूप से ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia in Hindi) के नाम से जाना जाता है, यह बीमारी पुरुषों में उप-प्रजनन या बांझपन का एक बहुत ही आम कारण है. इसलिए गर्भधारण करने में कुछ समय लग सकता है क्योंकि यह महिला साथी के अंडे को निषेचन में व्यवहार्य शुक्राणु का मौका कम कर देता है. कुछ मामलों में गर्भावस्था को रोक भी सकता है, ऐसे कई पुरुष हैं जिनके पास कम शुक्राणु कम हैं, वे लोग पिता बनने में अक्षम होते हैं 

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शुक्राणु (वीर्य) की कमी क्या है (What is Low Sperm Count)

शुक्राणुओं की कमी का अर्थ है कि यौन प्रक्रिया के दौरान पुरुषों के लिंग से निकलने वाले सीमेन में कम शुक्राणुओं का पाया जाना. कम शुक्राणुओं की समस्या यानि लो स्पर्म काउंट को ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia in Hindi) कहते हैं. 

अगर किसी पुरुष के सीमेन में एक भी शुक्राणु ना मिलें तो उसे एजूस्पर्मिया (Azoospermia) कहा जाता है. मगर तब भी निराश नहीं होना चाहिए. कई लोगों में क्रयफ़ोजूस्पेर्मिया भी होता है. 

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सामान्य शुक्राणु की संख्या कितनी होती है (Number of Normal Sperm Count in Hindi)

एक पुरुष के वीर्य में सामान्य तौर पर शुक्राणु की संख्या (Normal Sperm Count in Hindi) 15 मिलियन शुक्राणु से 200 मिलियन से अधिक शुक्राणु प्रति मिलीलीटर (एम एल) तक होती है, अगर किसी में एक मिलीलीटर सीमेन में 15 मिलियन से कम शुक्राणु की मात्रा हैं तो उसको कम शुक्राणुओं की समस्या कहते हैं. 

शुक्राणु कम होने के लक्षण (Low Sperm Count Symptoms in Hindi)

शुक्राणु कम होने के लक्षण में सबसे मुख्य लक्षण है कि एक पुरुष बच्चे पैदा करने में असमर्थ होता है
हार्मोन में असंतुलनता,फैला हुआ टेस्टिक्युलर नस या शुक्राणु के गुजरने में बाधा उत्पन्न करने वाला एक विकार संभावित रूप से चेतावनी संकेतों का कारण बन सकता है.

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वृषण (testes)में दर्द, सूजन या गांठ का होना

शरीर के बालों का कम होना या फिर क्रोमोसोम अथवा हार्मोन की असामान्यता भी शुक्राणु की कमी के लक्षण हो सकते हैं. 

यह कई कारणों से हो सकते हैं. जेनेटिक, लाइफस्टाइल में बदलाव, ज्यादा तनाव लेना या फिर स्मोकिंग करना, कोई दूसरी बीमारियों के लिए दवा लेना या फिर शराब का सेवन करना. इसके साथ ही हॉर्मोन में बदलाव. 

शुक्राणु बनने की प्रक्रिया एक जटिल प्रक्रिया है. इसके लिए वृषण के साथ हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्रंथियों को सामान्य रूप से कार्य करने की आवश्यकता होती है. अगर किसी भी अंग में समस्या हुई तो शुक्राणु की पैदावार कम हो सकती है. अक्सर कम शुक्राणुओं की कमी की समस्या के कारण के बारे में पता नहीं लग पाता है. इसका इलाज भी समस्या की गंभीरता पर निर्भर करता है

कई बार शरीर में कोई दूसरी बीमारी होती है जिसकी वजह से भी यह समस्या हो सकती है. अगर किसी पुरुष को स्खलन (Ejaculation) में समस्या होती है, तो उसे शुक्राणुओं की कम संख्या की समस्या हो सकती है.

इलाज 

कई बार लाइफस्टाइल में थोड़ा सा बदलाव, हेल्दी डाइट और डॉक्टर से बातचीत से ही काफी हद तक यह समस्या सुलझ जाती है. 

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