डीएनए हिंदी: कोरोना (Coronavirus) ने हर तरह से हमारे जीवन को प्रभावित किया है. पहली और दूसरी लहर के दौरान जब लॉकडाउन लगाया गया तो दुनिया थम सी गई. अकेलापन, तनाव, डिप्रेशन जैसे मामले सामने आने लगे. इस दौरान ऑनलाइन चैट, सोशल मीडिया, वीडियो कॉल ही लोगों का सहारा बना और यहीं से हाइब्रिड डेटिंग (Hybrid dating) भी चलन में आया.
क्या है हाइब्रिड डेटिंग?
बता दें कि हाइब्रिड डेटिंग में ऑनलाइन चैट और वीडियो कॉल के जरिए भी रोमांस होता है. यह आजकल दफ्तर का काम करने जैसा ही है. लोग सप्ताह में कुछ दिन दफ्तर में बैठकर काम करते हैं और बाकि समय वर्क फ्रॉम होम. दरअसल कोविड के दौरान ऐसे कई डेटिंग एप सामने आए जिनके जरिए युवा जोड़ें इस नए तरीके को आजमाने लगे. सीधे शब्दों में कहें तो फिजिकली रोमांस के साथ-साथ जब वर्चुअल रोमांस भी जुड़ जाए तो यह हाइब्रिड डेटिंग कहलाता है.
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होते हैं ये फायदे
आज लॉकडाउन भले ही नहीं है लेकिन कोरोना का साया अभी भी हमारे ऊपर बना हुआ है. देश में संक्रमण के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. ऐसे में हमेशा एक डर बना रहता है कि बाहर जाने से कहीं परेशानी न हो जाए. ऐसी स्थिति में लोग हाइब्रिड डेटिंग का सहारा ले रहे हैं. इसके जरिए वे अपने साथी से एक जुड़ाव महसूस कर पाते हैं और उनके साथ सुकून के कुछ पल बिता पाते हैं.
हाइब्रिट डेटिंग की चुनौतियां
हालांकि इस तरह की कनेक्टिविटी में प्राइवेसी भी एक बड़ा मुद्दा है. दूसरी तरफ दिक्कत तब होती है जब एक पार्टनर किसी वजह से व्यस्थ हो. ऐसे में रिश्ते में कम्युनिकेशन गैप आने लगता है. मजबूत प्यार के लिए भावनात्मक आदान प्रदान बहुत जरूरी है लेकिन अपेक्षाकृत ज्यादा दिनों में मिलने से ऐसा नहीं हो पाता और बाद में यह मशीनी डेटिंग लगने लगती है.