न बोलता था न कपड़े पहनता था, कच्चा मांस खाता था वो आदमी

| Updated: Nov 19, 2021, 03:49 PM IST

दीना शनिचर 6 साल की उम्र में आए थे इंसानों के बीच

लोमड़ियों के झुंड के साथ रहता था दीना. 20 साल इंसानों के साथ रहकर भी नहीं सीखा बोलना.

डीएनए हिंदी: अगर हम आपको बताएं कि एक ऐसा बच्चा था जो असलियत में मोगली की तरह लोमड़ियों के एक झुंड के साथ पला तो क्या आप यकीन करेंगे? ये बच्चा बोलता नहीं था, पैरों पर खड़ा नहीं होता था, कच्चा मांस खाता था लेकिन फिर भी इसकी ज़िंदगी जंगल में सही कट रही थी. इसे अपने इंसान होने का अहसास नहीं था क्योंकि ये बहुत छोटी उम्र में इंसानों से अलग हो चुका था. इसकी मुसीबतें तब बढ़ीं जब इसे इंसानों के बीच एक अनाथ आश्रम में ले जाया गया.

फरवरी, 1867 में शिकारियों के एक ग्रुप को यह बच्चा उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के जंगलों में मिला था. बच्चा लोमड़ियों के साथ एक गुफा में रहता था. उसकी उम्र करीब 6 साल थी. शिकारी इस बच्चे को देखकर हैरान रह गए उन्होंने उसे उठाया और सिंकदरा के मिशन अनाथ आश्रम में छोड़ दिया. यहां उसे शनिचर नाम दिया गया. क्योंकि वह शनिवार के दिन वहां पहुंचा था. 

बताया जाता है कि जब वह वहां पहुंचा तो जानवरों की तरह चल रहा था. वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हुआ. इतनी ही नहीं वो बोलता भी नहीं था. जब भी कुछ कहना होता तो लोमड़ी की तरह आवाज़ निकालता था. वह कपड़े पहनना भी पसंद नहीं करता था. खाने में कच्चा मांस खाता था. उसे इंसानों की तरह पका हुआ खाना खाने की आदत धीरे-धीरे पड़ी.

वह करीब बीस साल इंसानों के बीच रहा लेकिन बोलना नहीं सीख पाया. जैसा कि आप तस्वीर में देख सकते हैं कि वह बेहद कमज़ोर था. कहा जाता है कि उसे तंबाकू पीने की आदत थी. वह तंबाकू का इतना आदी था कि इसके चलते उसे टीबी हो गया था. आखिर में उसकी मौत भी टीबी से ही हुई. 

चाइल्ड साइकोलॉजी के एक्सपर्ट वायने डेनिस कहते हैं- 'जंगली परिवेश में पले बच्चों को ठंड और गर्म का अहसास नहीं होता. वह कच्चा मांस या कोई भी ऐसी चीज़ खा सकते हैं जो आम इंसान को गंदी लग सकती हैं. इनका इंसानों से बेहद कम या कोई लगाव नहीं होता'. हालांकि शनिचर की दोस्ती एक बच्चे से हुई थी. यह बच्चा भी उसी की तरह जंगल से लाया गया था.