Dinosaurs का काल बने थे उल्का पिंड, चांद पर भी कर दिया था 'हमला' 

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 29, 2022, 06:57 PM IST

चांद से लाई मिट्टी में मिले सबूत

Science News in Hindi: चांद से लाई गई मिट्टी की स्टडी के बाद यह सामने आया है कि जैसे उल्का पिंड पृथ्वी पर गिरे थे, वैसे ही चांद पर भी गिरे थे.

डीएनए हिंदी: चीन का Chang-e 5 एयरक्राफ्ट चांद से मिट्टी के सैंपल इकट्ठा करके लाया है. अब इस सैंपल का अध्ययन किया जा रहा है. इसी स्टडी में सामने आया है कि चांद पर भी ठीक वैसे एस्टेरॉइड (Asteroid) गिरे थे जिस तरह के कभी उल्का पिंड (Meteorite) कभी पृथ्वी पर गिरे होंगे. चांद से इकट्ठा किए गए सैंपल्स में सबूत मिले हैं कि वहां पर जमकर एस्टेरॉइड गिरे थे. माना जाता है कि ऐसे ही उल्का पिंडों के गिरने से धरती पर मौजूद डायनासोर (Dinosaurs) मारे गए थे और उनकी पूरी प्रजाति ही खत्म हो गई. अब पृथ्वी पर डायनासोर के सिर्फ़ और सिर्फ़ अवशेष ही पाए जाते हैं, डायनासोर नहीं. 

चांद की मिट्टी का विश्लेषण करने पर पता चला है कि सिर्फ़ धरती ही ऐसा ग्रह नहीं है जो उल्का पिंडों का शिकार हुई. Curtin यूनिवर्सटी के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि चांद की मिट्टी में 200 करोड़ साल पुराने तत्व पाए गए हैं. आपको बता दें कि चांद की मिट्टी साल 2020 में चीन के स्पेसक्राफ्ट की मदद से लाई गई थी. यह मिट्टी दुनियाभर के वैज्ञानिकों को दी गई थी ताकि वे इस पर रिसर्च कर सकें.

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पृथ्वी पर भी पाए गए गए हैं सबूत
इस मिट्टी का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि इस मिट्टी में पाए गए माइक्रोस्कोपिक ग्लास बीड्स तभी बन सकते हैं जब उल्का पिंड गिरने की वजह से ज्यादा तापमान और दबाव का माहौल बने. ऐसा ही कुछ पृथ्वी पर तब होता है जब कहीं पर कोई बड़ा उल्का पिंड गिरे. जहां उल्का पिंड गिरता है वहां सिलिकेट ग्लास बन जाते हैं. ऐसे निशान या सबूत तब छूटते हैं जब ज्वालामुखी का लावा पिघला हो या फिर कोई उल्का पिंड गिरा हो.

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इस बारे में रिसर्च पेपर लिखने वाले प्रोफेसर अलेक्जेंडर नेमचिन ने कहा है, 'इस स्टडी में सामने आया है कि ऐसे ही सबूत 6.6 करोड़ साल पहले पृथ्वी पर बने Chicxulub क्रेटर से भी पाए गए थे.' अब यह टीम तुलना करना चाहती है ताकि यह समझा जा सके कि चांद पर बने क्रेटर और पृथ्वी पर बने क्रेटर के समय और उनकी संरचनाओं में कितनी समानता है.

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