SpaceX के Starlink सैटेलाइट से बढ़ा रेडियो प्रदूषण का खतरा, अंतरिक्ष पर मंडरा रहा है भयानक संकट

| Updated: Sep 21, 2024, 03:32 AM IST

स्पेस में लगातार बढ़ती सैटेलाइट्स की संख्या अन्तरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए कई तरह का समस्याओं का सामना कर रहे हैं. एलन मस्क की स्टारलिंक प्रोजेक्ट को लेकर अब एस्ट्रोनॉमर्स ने कई तरह की चिंता जाहीर की है.

एलन मस्क अपने नए-नए आइडिया के लिए जाने जाते हैं. उनकी ही कंपनी SpaceX का एक ड्रीम प्रोजेक्ट 'स्टारलिंक' है. इस योजना के तहत पूरी दुनिया में हाई-स्पीड इंटरनेट सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है. अब ये प्रोजेक्ट अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. स्टारलिंक सैटेलाइट्स, जो उन इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाने का काम कर रहे हैं जहां अब तक इसकी सुविधा नहीं थी. 

एस्ट्रोनॉमर्स को करना पड़ रहा है दिक्कतों का सामना 

हाल ही में एक शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि स्टारलिंक के नए सैटेलाइट्स पिछले सैटेलाइट्स के तुलना में 32 गुना अधिक रेडियो प्रदूषण फैल रहा है. जिसके वजह से जो एस्ट्रोनॉमर्स के रेडियो ऑब्जर्वेशन में बाधा आ रही है. नीदरलैंड्स इंस्टीट्यूट फॉर रेडियो एस्ट्रोनॉमी (ASTRON) के वैज्ञानिकों के अनुसार, इन सैटेलाइट्स से निकलने वाले रेडियो सिग्नल अन्य सैटेलाइट्स की तुलना में कहीं अधिक चमकीले और तेज हैं.

यह समस्या विशेष रूप से नीदरलैंड्स में स्थित लो फ्रीक्वेंसी एरे (LOFAR) जैसे प्रोजेक्ट्स के लिए गंभीर साबित हो रही है. LOFAR दुनिया के सबसे बड़े और ताकतवर रेडियो टेलिस्कोपों में से एक है, जिसे अंतरिक्ष के रिसर्च के लिए उपयोग किया जाता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इतनी तीव्र रेडियो तरंगों के कारण अंतरिक्ष का अध्ययन करना लगभग असंभव हो गया है.

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हजारों सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में मौजूद

स्टारलिंक प्रोजेक्ट के तहत वर्तमान में हजारों सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में मौजूद हैं, और इनकी संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. हर सैटेलाइट लगभग पांच साल तक काम करता है, जिसके चलते सैटेलाइट्स की यह बढ़ती संख्या एस्ट्रोनॉमर्स के लिए बड़ी चिंता का कारण बन रही है.इसके अवा लाचीन समेत कई और देश भी अपना सैटेलाइट लगातार भेज रहे हैं जिससे अन्तरिक्ष में लगातार प्रदूषण बढ़ती जा रही है.

वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो अंतरिक्ष के अध्ययन क्षेत्र में बड़ी दिक्कतें उत्पन्न हो सकती हैं. हालांकि, अभी तक इस मुद्दे पर कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया है, लेकिन उम्मीद है कि आने वाले समय में अंतरिक्ष अनुसंधान और कनेक्टिविटी दोनों के बीच संतुलन बनाने के लिए कदम उठाए जाएंगे. 

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