डीएनए हिंदीः अंतरिक्ष से टूटते तारों की बारिश हर साल होती है. साल में सात बार होने वाली यह खगोलीय घटना 14 दिसंबर को रात को इस साल की आखिरी घटना होगी. हर घंटे करीब 100 से अधिक उल्पापिंड धरती पर गिरते नजर आएंगे. इसे जेमिनिड मेटियोर शॉवर (Geminid Meteor Shower) कहते हैं. भारत में लोग इसे शाम साढ़े छह बजे के बाद देख सकते हैं. वहीं रात 2 बजे यह पूरे चरम पर होगा.
अभी तक के सबसे चमकदार होंगे उल्कापिंड
इस बार की उल्कापिंड की बारिश में सबसे खास बात यह होगी कि यह जेमिनिड उल्कापात आज तक के सभी जेमिनिड उल्कापातों में सर्वाधिक चमकदार होगा. जेमिनिड उल्कापात हर साल दिसंबर में होती है. जेमिनिड उल्कापिंडों की बारिश 4 दिसंबर 2022 से शुरू हुई है. यह 17 दिसंबर को खत्म हो जाएगी. इस पूरे समय में आसमान में उल्कापिंडों की बारिश होती दिखेगी. लेकिन 14 दिसंबर की रात यह ज्यादा तीव्र और सबसे अधिक खूबसूरत होगी. यह उल्कापिंड जेमिनी नक्षत्र से आ रहे हैं.
भारत में भी दिखाई देगा नजारा
यह नजारा भारत में भी दिखाई देगा. अगर मौसम साफ रहा तो इसे भारत से अधिकांश शहरों में देखा जा सकेगा. बता दें कि उल्कापिंडों की बारिश तब दिखाई देती है, जब पृथ्वी सूरज की उस कक्षा में पहुंचती है, जहां पर उल्कापिंडों की बड़ी बेल्ट है. ये उल्कापिंड जब पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण शक्ति की वजह से हमारे वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, तो ये जलते हुए दिखाई देते हैं. ऐसे लगता है कि आसमानी बारिश हो रही है. दिसंबर में अंतरिक्ष में पृथ्वी का रास्ता, 3200 ‘फैथॉन’ नाम के एस्टेरॉयड के रास्ते से मिलता है जिसके कण पृथ्वी की राह में पड़ने के बाद पृथ्वी के वायुमंडल के घर्षण से जलकर रंगीन रेखा बनाते हैं जिसे आम भाषा में टूटते तारे कहा जाता है.
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