NASA: अंतरिक्ष में मौजूद है विशाल महासागर, वहां जीवन की खोज में निकला ये स्पेसक्रॉफ्ट

Written By शिवानी झा | Updated: Oct 16, 2024, 03:08 PM IST

Representaional Image of Solar System

बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा पर बर्फ की परत के नीचे एक विशाल महासागर हो सकता है, जहां जीवन मौजूद होने की संभावनाएं हैं. नासा का स्पेसक्राफ्ट इस रहस्य से पर्दा उठाने के लिए भेजा गया है. क्या इस मिशन में जीवन की खोज सफल होगी? आइए इसे तफ्सील से जानते हैं.

NASA: अंतरिक्ष में कई ऐसे रहस्य हैं, जिनके बारे में हमें अभी तक पूरी जानकारी नहीं है. इसी दिशा में नासा (NASA) (National Aeronautics and Space Administration) ने एक नई खोज की शुरुआत की है, जो सबको चौंका रही है. नासा का स्पेसक्राफ्ट (Spacecraft) अब एक विशाल महासागर की खोज में निकला है, जो बृहस्पति (Jupiter) के चंद्रमा ‘यूरोपा’ में छिपा हो सकता है.

यूरोपा का महत्व
यूरोपा हमारे सौर मंडल (Solar System) का एक खास चांद है. ये बृहस्पति के चार बड़े चंद्रमाओं में से एक है. इसे 1610 में गैलीलियो गैलीली (Galileo Galilei) ने खोजा था. इसकी सतह पर मोटी बर्फ की परत है. वैज्ञानिक मानते हैं कि इसके नीचे एक विशाल महासागर हो सकता है. यहां पानी की मात्रा पृथ्वी के महासागरों से भी ज्यादा हो सकती है.

जीवन की संभावना
यूरोपा की सतह पर कई दरारें और रेखाएं हैं. ये बताती हैं कि अंदर महासागर में गतिविधि (Activity) हो रही है. इसे बाहरी जीवन के लिए संभावित (possible) जगह माना जा रहा है. बर्फ की परत के नीचे पानी, पोषक तत्व (Nutritive Value) और ज्वालामुखीय गतिविधि जीवन (Volcanic Activity Life)  के लिए जरूरी चीजें मुहैया करवा सकती हैं. नासा के अलावा, दूसरी अंतरिक्ष (Space) एजेंसियां भी यहां जीवन के संकेतों की खोज कर रही हैं.


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नासा का “Europa Clipper” मिशन
नासा ने “Europa Clipper” मिशन लॉन्च किया है. इसका मकसद यूरोपा की सतह और उसके अंदर के महासागर का अध्ययन (Study) करना है. ये चांद की बर्फ की परत की संरचना, महासागरीय गहराई और जीवन के लिए अनुकूल हालात का पता लगाएगा.

यात्रा का समय
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर यहां जीवन की संभावना साबित होती है, तो ये हमारे सौर मंडल में जीवन के बारे में हमारी सोच को पूरी तरह बदल सकता है. ‘यूरोपा क्लिपर’ को बृहस्पति तक पहुंचने में साढ़े पांच साल लगेंगे.


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ये स्पेसक्राफ्ट ‘स्पेसएक्स’ ने लॉन्च किया है, जो 18 लाख मील की दूरी तय करेगा. इसे फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से भेजा गया है. 

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