National Space Day: एक साल पहले आज ही चांद पर सो गए थे प्रज्ञान-विक्रम, ISRO ने शेयर किए वो फोटो, जिन्हें बताया जा रहा खजाना

अनामिका मिश्रा | Updated:Aug 23, 2024, 01:18 PM IST

आज भारत का पहला National Space Day है. चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने चांद के सतह से कई दुर्लभ तस्वीर भेजी हैं, जिससे भारतीय वैज्ञानिकों को चांद के बारे में कई जानकारियां मिल सकती हैं.

आज भारत अपना पहला National Space Day मना रहा है. पिछले साल 23 अगस्त को चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग हुई थी. इस मुकाम को हासिल करने वाला भारत चौथा देश बन गया है . अब 1 साल बाद इसरो प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर के द्वारा चांद की सतह पर खींची गई तस्वीरों को आम जनता के साथ किया है. पिछले साल चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के बाद भारत सरकार ने ये फैसला किया था कि अब हर साल भारत अपनी अंतरिक्ष यात्रा को मनाने के लिए 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाएगी.

पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं
पीएम मोदी ने अपने संदेश में कहा है, “देश के पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर आप सभी को बधाई. हम बहुत गर्व के साथ अपने देश की अंतरिक्ष क्षेत्र में उपलब्धियों को याद करते हैं. यह दिन हमारे देश के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के योगदान की सराहना करने का भी है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने इस क्षेत्र से संबंधित कई दूरदर्शी फैसले लिए हैं और आने वाले समय में और अधिक लेंगे.”

क्यों खास है आज का दिन
भारत की अंतरिक्ष यात्रा का एक गौरवशाली इतिहास रहा है. तमाम कठिनाइयों और सीमित सुविधाओं के साथ 15 अगस्त 1969 से इसरो ने अपनी सफर की शुरुआत की थी. भारत ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा में कई अभूतपूर्व प्रगति और उपलब्धियां हासिल की हैं. पिछले साल 14 जुलाई को श्री हरिकोटा से चंद्रयान 3 ने अपनी यात्रा को शुरू किया था और 23 अगस्त वो 
दिन था जब भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक और गौरव गाथा का विषय उस समय जुड़ गया जब चंद्रयान 3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की. 

आपको बता दें पिछले साल पीएम मोदी ने 26 अगस्त को इस बात की घोषणा की थी कि चंद्रयान 3 का लैंडर विक्रम जिस जगह पर उतरा था, उस जगह को शिव शक्ति पॉइंट के नाम से जाना जाएगा. पीएम मोदी की इस घोषणा के करीब 6 महीने बाद इंटरनेशनल एस्ट्रोनोमिकल यूनियन (IAU) ने भी इस नाम को मान्यता दे दी थी.


ये भी पढ़ें-Delhi-NCR में भारी बारिश, जलभराव में करंट उतरने से 1 की मौत


चंद्रयान-3 मिशन
चंद्रयान-3 मिशन ने चंद्रमा के शुरुआती समय के विकास का एक रहस्य खोला है. अहमदाबाद में स्थित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) और इसरो के वैज्ञानिकों की एक टीम ने अपने अध्ययन में बताया कि चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर से मिली जानकारी के आधार पर, चंद्रमा की सतह कभी मैग्मा के समुद्र से ढकी हुई थी. ये जानकारी चंद्रमा की मिट्टी की माप पर आधारित है, जिसे प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर दर्ज किया था.

 

शोधकर्ताओं ने इन आंकड़ों का अध्ययन किया, जिससे पता चला कि चंद्रमा की मिट्टी एक प्रकार की चट्टान फेरोअन अनोर्थोसाइट से बनी है. प्रज्ञान रोवर पर लगे अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) द्वारा किए गए मापों का उपयोग करके वैज्ञानिकों ने बताया कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र का इलाका काफी समान है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के आसपास की मिट्टी में खनिजों की मात्रा ज्यादा पाई गई है.

ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.

National Space Day ISRO S Somnath Vikram Lander Pragyaan Rover shiv shakti point South Pole Chandrayan-3